अगले माह भारत सहित विश्व भर के करोड़ों राम भक्तों का एक चिरकालीन सपना साकार होने जा रहा है। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या नगरी में एक बार फिर दीपोत्सव के साथ भव्य राम मंदिर में भगवान राम लला के दर्शन होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साधु—संतों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति मंदिर को लोकार्पित करेंगे। इस निमित्त अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय को श्रीराम मंदिर निर्माण के इस चरण तक पहुंचने के पीछे की 500 साल की संघर्ष गाथा बताई जाएगी। इसके लिए एक विशेष वेबिनार श्रृंखला तैयार करके आज से उसका शुभारम्भ किया गया है।
अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों को राम मंदिर के इतिहास की पांच खंडों में संपूर्ण गाथा इस विशेष वेबिनार श्रृंखला में माध्यम से बताई जाएगी। जानकारी दी जाएगी कि बीते 500 साल के दौरान कौन कौन से आंदोलनों, संघर्षों और कितनी आहुतियों के बाद राम मंदिर निार्मण का मार्ग प्रशस्त हो पाया है। इस श्रृंखला का आयोजन विश्व हिन्दू परिषद की अमेरिका इकाई ने हिन्दू विश्वविद्यालय के सहयोग से किया है।
आगामी 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी में श्रीराम मंदिर के भव्य उद्घाटन से पूर्व भारत में भी अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। देश के 8 हजार गणमान्यजन को इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के आमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं। ऐसे में अमेरिका की धरती पर बसे भारतवंशियों में भी असीम उत्साह का माहौल दिख रहा है। विश्व हिंदू परिषद ने इसी को ध्यान में रखते हुए इस अनूठे कार्यक्रम को आयोजित किया है।
इस वेबिनार श्रृंखला के माध्यम से भारतवंशी अमेरिकियों के सामने मंदिर का पूरा इतिहास पांच खंडों या कड़ियों में दर्शाया जाएगा। 9 दिसंबर यानी आज इसकी पहली कड़ी प्रस्तुत की जाएगी। विहिप अमेरिका तथा वहां के हिंदू विश्वविद्यालय ने इस बारे में और विस्तार से समझाते हुए एक वक्तव्य जारी किया है। इसमें कहा गया है कि विहिप 9 दिसम्बर से ‘अयोध्या में श्रीराम मंदिर के पुनर्निर्माण हेतु हिदुओं का 500 वर्ष का संघर्ष’ नाम से वेबिनार शुरू करने जा रही है। यह भी बताया गया है कि इस वेबिनार श्रृंखला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक के.के. मोहम्मद की एक विशेष प्रस्तुति दिखाई जाएगी।
जहां भगवान राम का जन्म हुआ था, उस अयोध्या नगरी को सर्वप्रकार सजाया जा रहा है। भव्य कार्यक्रम से पूर्व वहां हर प्रकार की व्यवस्था की जा रही है। विदेशों से भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए, इंतजाम विशाल स्तर पर किए जा रहे हैं।
उधर अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शुभारम्भ की तैयारियां जोर—शोर से जारी हैं। इसी मंदिर में आगामी 22 जनवरी को विशिष्ट संतों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी भगवान राम लला की प्राणप्रतिष्ठा के समारोह में शामिल होंगे।
जहां भगवान राम का जन्म हुआ था, उस अयोध्या नगरी को सर्वप्रकार सजाया जा रहा है। भव्य कार्यक्रम से पूर्व वहां हर प्रकार की व्यवस्था की जा रही है। विदेशों से भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए, इंतजाम विशाल स्तर पर किए जा रहे हैं।
यहां कभी अयोध्या में अवस्थित प्राचीन राम मंदिर को 14वीं शताब्दी में बर्बर मुगल शासक बाबर ने तोड़ने का लाख प्रयत्न किया, लेकिन वह दुष्ट इसे पूरी तरह खंडित न करा पाया तो उसने इसके अवशेषों को ढकते हुए एक ढांचा बना दिया, जिसे बाबरी ढांचा कहा जाता था। इतिहासकार बताते हैं कि साल 1525 में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को बाबर के सेनापति मीर बाकी ने जमींदोज करने का बीड़ा उठाया था। लेकिन प्रभु की लीला ही थी कि वह अपने मंसूबे में पूरी तरह सफल न हो पाया और कालांतर में श्रीराम मंदिर ने खुदाई के बाद, स्वयं के प्रमाण प्रकट करके अपने प्राचीन गौरव का हल्का सा भाग करा दिया। उसी स्थान पर अब भव्य मंदिर लगभग तैयार हो चुका है।
मंदिर निर्माण ट्रस्ट के अनुसार मंदिर के मुख्य शिखर की ऊंचाई 161 फीट है। यह कुल 67 एकड़ जमीन में से 2 एकड़ में बन रहा है। मंदिर के आसपास मंदिर से ही जुड़े अन्य निर्माण हुए हैं।
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