एक वक्त था जब भारत के छात्र उच्च अध्ययन के लिए कनाडा जाने की जबरदस्त चाह रखते थे। दूतावास के बाहर वीसा के लिए आवेदकों की लंबी कतारें दिखती थीं। लेकिन वक्त बदल गया है। अब ऐसा नहीं रहा। ताजा रिपोर्ट यह है कि भारत के छात्र अब पढ़ने के लिए कनाडा को प्राथमिकता पर नहीं रख रहे हैं। पढ़ने के लिए कनाडा जाने के दावेदारों में 40 फीसदी की गिरावट आई है।
इसमें बहुत बड़ी वजह है, भारत और कनाडा सरकारों के मध्य चल रहा रहे विवाद। भारत के युवा जानते हैं कि कनाडा की सरकार की इस संदर्भ में जिस तरह का बर्ताव कर रही है और जिस तरह बिना तथ्य के भारत पर दोषारोपण कर रही है।
कनाडा में पिछले कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ बुरा बर्ताव देखने में आया था। एक रिपोर्ट बताती है कि दूसरे देशों से वहां पढ़ने गए हुए अनेक छात्रों ने अपने साथ वहां हुए बुरे बर्ताव के बारे में सोशल मीडिया पर अनेक बातें साझा की हैं। ऐसी पोस्ट आदि ने भी इस कमी में योगदान दिया है।
साल 2023 के बाद के छह महीनों में जो आंकड़े सामने आए हैं वे इस गिरावट का खुलासा करते हैं। कनाडा में पढ़ने के इच्छुकों की कम अर्जियां कनाडा दूतावास को भी हैरान किए हुए हैं। 2022 में जुलाई से अक्तूबर के मध्य पढ़ने के लिए कनाडा के परमिट की मांग करने वाले 145,881 आवेदक थे तो अब 2023 के इसी कालखंड में यह संख्या महज 86,562 रह गई यानी पहले के मुकाबले 40 फीसदी कम।
आवेदकों की संख्या में आ रही इस कमी की वजह यह भी मानी जा रही है कि कनाडा में पिछले कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ बुरा बर्ताव देखने में आया था। एक रिपोर्ट बताती है कि दूसरे देशों से वहां पढ़ने गए हुए अनेक छात्रों ने अपने साथ वहां हुए बुरे बर्ताव के बारे में सोशल मीडिया पर अनेक बातें साझा की हैं। ऐसी पोस्ट आदि ने भी इस कमी में योगदान दिया है।
कनाडा के बुनियादी ढांचा तथा समुदाय मंत्री सीन फ़्रेज़र ने पिछले दिनों यह कहा था कि देश में दाखिला लेने के लिए बाहर आने वाले छात्रों की सीमा तय करनी होगी। उनके कहने का आशय यह था कि आजकल कनाडा खुद आवास को लेकर संकट के दौरी से गुजर रहा है। आबादी और आवास में बहुत ज्यादा फर्क आ चुका है। लोग ज्यादा हैं, लेकिन रहने को घर पूरे नहीं हैं। इस वजह से आवासों के दाम बढ़ चुके हैं। ऐसे हालात में वहां बाहर से पढ़ने गए छात्रों को भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
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