शेखपुरा में हिजाब पहनकर विद्यालय आने वाली मुस्लिम छात्राओं से प्रधानाध्यापक ने कहा कि स्कूल ड्रेस में आओ। इसके बाद मुसलमानों की भीड़ ने शिक्षकों को धमकाया। वहीं बेगूसराय में एक अपराधी ने शिक्षकों से मांगी रंगदारी। नहीं देने पर एक महीने से बंद है विद्यालय।
बिहार में शुक्रवार की छुट्टी का असर दिखने लगा है। अब मुस्लिम छात्राओं को बुर्का पहनकर विद्यालय में जाने की अनुमति चाहिए। परीक्षा में भी बुर्का पहनकर जायेंगी लेकिन जांच करने पर अपना चेहरा नहीं दिखाएंगी। अगर प्रधानाध्यापक ऐसा करने से मना करते हैं, तो मुस्लिम अभिभावक उनके साथ बदसलूकी करते हैं और विद्यालय बंद करा देने की धमकी देते हैं। यह मामला शेखपुरा जिला की शेखोपुरसराय नगर पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चरुआवां का है। जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर चरुआवां उत्क्रमित विद्यालय है। इस सामान्य विद्यालय में बड़ी संख्या में मुस्लिम बच्चे भी पढ़ते हैं। सरकारी योजना से सभी छात्र-छात्राओ को स्कूल ड्रेस के लिए राशि दी जाती है। लेकिन मुस्लिम समुदाय की छात्राएं स्कूल ड्रेस के बजाय बुर्का और हिजाब पहनकर विद्यालय आती हैं। प्रधानाध्यापक सत्येंद्र कुमार चौधरी के अनुसार जब छात्राओं को विद्यालय में बुर्का और हिजाब के बजाय स्कूल ड्रेस में आने के लिए कहा जाता है तो मुस्लिम अभिभावक विद्यालय आकर धमकी देते हैं।
अभी हाल ही में 29 नवंबर को हिजाब और बुर्का की मनाही करने पर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग विद्यालय में घुस गए। उन लोगों ने विद्यालय में जमकर बवाल किया। विद्यालय से जाते समय इन लोगों ने प्रधानाध्यापक को धमकी भी दी। इसको लेकर डरे—सहमे प्रधानाध्यापक ने जिलाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी को अलग-अलग लिखित आवेदन देकर सुरक्षा की मांग की है।
यहां के पूर्व मुखिया मो. असलम ने धमकी दी है कि अगर विवाद बढ़ा तो स्कूल में ताला लगा देंगे। मो. असलम के अनुसार बच्चे क्या पहनेंगे, यह तय करने वाला प्रधानाध्यापक कौन होता है? हिजाब और बुर्का इस्लाम से जुड़ा मुद्दा है। इसे पहनकर आने से कोई कैसे मना कर सकता है? चोरी और सीनाजोरी का माहौल है। मो. असलम कहता है कि छात्राओं के बुर्का और हिजाब पहनने पर प्रधानाध्यापक जान-बूझकर विवाद खड़ा कर रहे हैं। इसको लेकर हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी से भी मिलकर स्थिति स्पष्ट कर दी है कि हिजाब और बुर्का मुस्लिम का निजी मामला है, इसमें छेड़छाड़ और विवाद को नहीं बढ़ाया जाए। शेखपुरा के जिला शिक्षा पदाधिकारी ओमप्रकाश सिंह इसे गंभीर मामला बताते हैं। उनके अनुसार, “विद्यालय में बुर्का और हिजाब नहीं चलेगा। विद्यालय में विद्यालय का ड्रेस पहनकर आना है। वहां के प्रधानाध्यापक ने लिखित रूप से यह मामला दिया है। इसकी जांच के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है।”
बिहार शिक्षक संघ ने भी प्रधानाध्यापक की सुरक्षा और विद्यालय में सरकारी व्यवस्था को कड़ाई से लागू करने की मांग की है।
रंगदारी के कारण विद्यालय बंद
बेगूसराय के नावकोठी का नवसृजित प्राथमिक विद्यालय अपराधियों के डर से पिछले एक माह से बंद है। प्रधानाध्यापक रवींद्र कुमार ठाकुर के अनुसार गत तीन नवंबर को शिक्षक विद्यालय में काम कर रहे थे। इसी दौरान दिन के लगभग 12 बजे चमरडीहा के सुनील सिंह का पुत्र अजय कुमार अपने 4 अन्य साथियों के साथ विद्यालय में आ धमका। उसने सभी शिक्षकों से 24 घंटे के अंदर 50,000 रुपए घर पंहुचाने को कहा। ऐसा नहीं करने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी दी।
भयभीत शिक्षकों ने प्रधानाध्यापक रवींद्र कुमार ठाकुर के साथ थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। शिक्षकों ने पंचायत की मुखिया विभा देवी को भी इस घटना की जानकारी दी। चार नवंबर को सभी शिक्षकों ने बीआरसी, नावकोठी में योगदान दे दिया। तब से ये शिक्षक बीआरसी में बने हुए थे। जब यह घटना मीडियाकर्मियों के संज्ञान में आया तब विभाग ने आनन-फानन में एक पत्र निकालकर पांचों शिक्षकों को मध्य विद्यालय नावकोठी में प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया। जबकि, शिक्षक वहां जाने के लिए तैयार नहीं हैं। बहरहाल, विद्यालय एक महीने से बंद है। संपर्क करने पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी राजेंद्र पांडेय ने बताया कि वरीय अधिकारी इसे खुलवाने पर विचार कर रहे हैं।
इस विद्यालय में 125 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें अधिकांश वंचित समाज के हैं। अधिकांश के पिता दैनिक मजदूरी करके अपना जीवन—यापन करते हैं। इस घटना को लेकर स्थानीय जन प्रतिनिधि भी कोई सुध नहीं ले रहे हैं। 1 दिसंबर को मुख्य अभियुक्त अजय कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है लेकिन अन्य अपराधी अभी भी फरार हैं।
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