रूस और यूक्रेन के बीच गत 22 महीनों से जारी युद्ध क्या थमने जा रहा है? क्या दोनों देशों के वरिष्ठ फौजी अफसर पर्दे के पीछे वास्तव में किसी शांति वार्ता पर चर्चा कर रहे हैं? क्या पुतिन और नाटो के बीच चली आ रही तनातनी में कुछ नरमी आई है? क्या यूक्रेन ने फिलहाल नाटो से जुड़ने का अपना फैसला टाल दिया है? क्या पश्चिमी देश यूक्रेन को युद्ध और लंबा खींचने के लिए हथियार और पैसा देते देते थक चुके हैं?
ये ऐसे सवाल हैं जो दुनिया के बड़े देशों में भीतरखाने सुगबुगा रहे हैं। कारण? एक अमेरिकी पत्रकार ने दावा किया है कि यूक्रेन और रूस के दो वरिष्ठ फौजी अफसरों के बीच युद्ध बंद करने की शर्तों पर बातचीत चल रही है। अमेरिकी पत्रकार ने तो दोनों जनरलों के नाम तक उजागर कर दिए हैं।
इस अमेरिकी पत्रकार, सेमुर हेर्श का कहना है कि यूक्रेन तथा रूस के मध्य युद्ध को लेकर वार्ता चल रही है जिसका एजेंडा युद्ध में किसी तरह की रोक को लेकर है। बताया गया है कि दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय से जारी इस बातचीत में अब तेजी आई है। दोनों ही देशों के सैनिक सर्द मौसम की भीषण मार सहते हुए मोर्चों पर डटे तो हैं, लेकिन इसमें कितनी दिक्कतें हैं उसका अनुभव उन्हें पिछले जाड़ों में हो चुका है।
पिछले दिनों एक और खबर आई थी कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने सैनिकों की भर्ती तेज की है जिससे युद्ध के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध रहे। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका कारण यह है कि दोनों ही पक्षों के सैनिक बड़ी संख्या में मारे गए हैं। दोनों ही पक्ष एक दूसरे के रणनीतिक महत्व के ठिकानों को बर्बाद करने के दावे करते आ रहे हैं, लेकिन पश्चिमी देशों के सहारे खुद को थामे रहकर यूक्रेन रूस जैसी महाशक्ति का सामना कर रहा है।
हालांकि अमेरिकी पत्रकार हेर्श ने अपना दावा ‘सूत्रों से मिली जानकारी’ के अनुुसार किया है, लेकिन मीडिया के एक वर्ग का भी मानना है कि संभवत: यह बात सही हो, विशेष रूप से इस्राएल—हमास के बीच छिड़ी जंग के चलते माना जा रहा है कि पहले से उलझे दो देश शायद संघर्षविराम की ओर बढ़ें, लेकिन कुछ शर्तों के साथ।
अमेरिकी पत्रकार के सूत्रों ने उन्हें बताया है कि यूक्रेन की ओर से जनरल वालेरी जालुजनी तथा रूस की ओर से जनरल गेरासिमोव इस ‘शांतिवार्ता’ के सूत्रधार हैं। उन दोनों के बीच ‘बिहाइंड द क्लोज्ड डोर’ यानी पर्दे के पीछे किसी तरह के समझौते को लेकर चर्चा चल रही है। अगर यह चर्चा सिरे चढ़ जाती है तो शायद रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रुक जाए।
इस बारे में अमेरिकी पत्रकार ने एक लेख में यही कहा है कि दोनों ही देश, रूस तथा यूक्रेन लगभग दो साल से चली आ रही जंग लड़ते हुए थकान महसूस करने लगे हैं। जहां तक भनक मिल रही है, उसके अनुसार, हेर्श का मानना है कि अगर शर्तें मानने लायक रहीं तो शायद पुतिन को युद्ध रोकने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इनमें एक शर्त शायद सैनिकों की मौजूदा स्थिति को लेकर है। रूसी पक्ष का मानना है कि उसी को देखते हुए सीमाएं तय हों तो बेहतर रहेगा।
वार्ता की इन चर्चाओं के बीच रूस में सैनिक भर्ती अभियान भी जोरों पर है। रूस के बड़ी संख्या में सैनिक हताहत हो चुके हैं। इस वजह से रूस में नए फौजियों को सेना में शामिल किया जा रहा है। इस संबंध में कागजों पर पुतिन ने हस्ताक्षर हो चुके हैं। माना जा रहा है कि रूस की फौज में 1 लाख 70 हजार सैनिक भर्ती किए जाने वाले हैं।
उल्लेखनीय है कि रूस तथा यूक्रेन के बीच गुपचुप चर्चा चला रहे दोनों जनरल इस वक्त युद्ध के प्रमुख रणनीतिकार भी है और मोर्चों पर डटे हैं। रूस के जनरल वालेरी गेरासिमोव और यूक्रेन के जनरल जालुजनी के बीच शर्तों पर सहमति हो जाती है तो रूस बहुत संभव है क्रीमिया के अलावा दोनेत्स्क, लुहान्स्क, जापरिजिया तथा खेरसॉन के इलाकों पर अपना आधिपत्य बनाए रखेगा। इन इलाकों पर रूस ने पिछले साल कब्जा करके वहां अपना प्रभुत्व भी जताया है। चुनाव कराए हैं। इसकी पूर्ति के तौर पर रूस संभवत: यूक्रेन के नाटो से जुड़ने को लेकर कोई व्यवधान नहीं डालेगा।
लेकिन, जैसा पहले बताया, वार्ता की इन चर्चाओं के बीच रूस में सैनिक भर्ती अभियान भी जोरों पर है। रूस के बड़ी संख्या में सैनिक हताहत हो चुके हैं। इस वजह से रूस में नए फौजियों को सेना में शामिल किया जा रहा है। इस संबंध में कागजों पर पुतिन ने हस्ताक्षर हो चुके हैं। माना जा रहा है कि रूस की फौज में 1 लाख 70 हजार सैनिक भर्ती किए जाने वाले हैं।
इस सबके बीच, दोनों ही देशों ने एक दूसरे के महत्वपूर्ण स्थानो, सामरिक महत्व के ठिकानों को ध्वस्त करना जारी रखा हुआ है। यूक्रेन को आरोप है कि रूस ने उसके अनेक जरूरी संयंत्रों को तबाह कर दिया है।
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