मेरे पति रविंद्र जडेजा क्रिकेटर हैं। दुनिया में उनकी एक पहचान है। इसके बावजूद उन्होंने मुझसे एक बार कहा कि तुम अपनी अलग पहचान बनाओ। मेरी वही कोशिश चल रही है। इसलिए मैं और महिलाओं को भी सलाह देती हूं कि जहां भी रहें, अपनी पहचान बनाएं।
सनातन संस्कृति में हमें बचपन से सिखाया जाता है कि यदि किसी के जीवन से आप प्रभावित होते हैं, तो ऐसे व्यक्ति की चरण-धूलि माथे पर लगानी चाहिए। यानी उनका मान-सम्मान करें, उन्हें प्रणाम करें। इससे हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यही कारण है कि हमारी संस्कृति और संस्कारों को विश्व में सभी जगह आदर भाव से देखा जाता है।
हम चाहें कितनी भी ऊंचाई पर पहुंच जाएं, अपने मूलभूत विचारों को न छोड़ें। आपकी सोच में किसी भी तरह की दुविधा हो तो आप भगवद्गीता पढ़ें। इसके पश्चात् आप दुविधा से निश्चित रूप से निकल सकते हैं। संसार में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसकी धरती को ‘माता’ कहा जाता है। इसलिए अपने देश की गरिमा को बनाए रखना हमारा दायित्व है। हम सब ऐसा कार्य करें, ताकि आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति, संस्कार और एक आदर्श सौंप सकें।
मेरे पति रविंद्र जडेजा क्रिकेटर हैं। दुनिया में उनकी एक पहचान है। इसके बावजूद उन्होंने मुझसे एक बार कहा कि तुम अपनी अलग पहचान बनाओ। मेरी वही कोशिश चल रही है। इसलिए मैं और महिलाओं को भी सलाह देती हूं कि जहां भी रहें, अपनी पहचान बनाएं। हालांकि सामाजिक रूप से सभी महिलाओं की स्थिति एक जैसी नहीं होती है। इसके बावजूद जिसं जहां अवसर मिल रहा है, वह अच्छा कर रही है। किसी न किसी रूप में देश की सेवा कर रही है। यह सेवा अनवरत रहे।
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