अब दुनिया में गर्व से लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि हम हिंदू हैं। कई देशों के प्रमुख भी खुद को हिंदू कह रहे हैं। ये बहुत बड़ा परिवर्तन है और ये हमारी सफलता है। ‘इंडिया’ की बजाय ‘भारत’ शब्द के उपयोग की आवश्यकता
वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस के संस्थापक-सूत्रधार स्वामी विज्ञानानंद का मानना है कि हिन्दू धर्म को दुनिया में तभी प्रतिष्ठा मिलेगी जब वह अर्थव्यवस्था, शिक्षा, अकादमिक, मीडिया और राजनीतिक क्षेत्र में सामूहिक प्रभाव पैदा करने में सक्षम होंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से शिक्षित और बाद में संन्यास लेकर सेवा करने वाले स्वामी विज्ञानानंद ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस में दुनिया के 61 देशों के सनातन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
अत: यह हिन्दुओं की महासभा है और इसका उद्देश्य दुनिया में हिन्दुओं का प्रभाव बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से विभिन्न देशों, स्थानों पर विभिन्न क्षेत्रों में असर रखने वाले सनातनधर्मियों को एकत्रित करके हिन्दू स्वभाव को निर्देशित किया जा रहा है, युवा पीढ़ी एवं महिला शक्ति को केंद्र में रखा है। उन्होंने कहा कि ये पांच पहलू किसी भी समाज को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी हैं।
भारत सदा से ही हिन्दू राष्ट्र है। लेकिन केवल शब्दों में कहते रहे तो यह खोखला हिन्दू राष्ट्र रह जाएगा। इसके लिए हिन्दू अर्थव्यवस्था, हिन्दू प्रतिरक्षा, हिन्दू कूटनीति, हिन्दू शिक्षा और हिन्दू अकादमिक अनुसंधान एवं विकास को बहुत मजबूत करना है।
हिंदू समाज के लोग व्यक्तिगत रूप से तो ये कर रहे थे, लेकिन सामूहिक रूप से इन मूल मुद्दों पर ध्यान कम ही था। ऐसे में पिछले करीब 10 वर्षों से इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसका फायदा यह हुआ है कि पहले दुनिया में हिंदू नाम से हिन्दुओं की पहचान कम हो गई थी। लेकिन अब इसे बदला गया है।
अब दुनिया में गर्व से लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि हम हिंदू हैं। कई देशों के प्रमुख भी खुद को हिंदू कह रहे हैं। ये बहुत बड़ा परिवर्तन है और ये हमारी सफलता है। ‘इंडिया’ की बजाय ‘भारत’ शब्द के उपयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस सहित कई अन्य मंचों पर भारत शब्द को ही अब उपयोग में लाने और इंडिया शब्द से दूरी बनाने का निर्णय लिया गया है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत सदा से ही हिन्दू राष्ट्र है। लेकिन केवल शब्दों में कहते रहे तो यह खोखला हिन्दू राष्ट्र रह जाएगा। इसके लिए हिन्दू अर्थव्यवस्था, हिन्दू प्रतिरक्षा, हिन्दू कूटनीति, हिन्दू शिक्षा और हिन्दू अकादमिक अनुसंधान एवं विकास को बहुत मजबूत करना है।
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