पतंजलि अपने विश्वविद्यालय के रिसर्च विंग के जरिए सनातन के शास्त्रों वेद, पुराणों में दर्ज श्लोकों के अध्ययन करके एक विशाल शोध ग्रंथ तैयार कर रहा है। ये ग्रंथ भविष्य में योग आर्युवेद के क्षेत्र में विश्व को नई राह दिखा सकता है। पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय के रिसर्च विंग ने 1.25 लाख पेज की एक रिपोर्ट तैयार की है, जोकि भविष्य में एक शोध ग्रंथ का रूप लेगा।
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि इस रिपोर्ट में शास्त्रों, वेद-पुराणों के 60 हजार श्लोकों का अध्ययन करके उनका शाब्दिक अर्थ दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में तकरीबन 3.60 औषधीय वनस्पतियां हैं, जिनका उपयोग हम लोगों के इलाज में कर सकते हैं। इन्हें पहचानने और इनसे फायदा लेने का काम भारत में पहले कभी नही हुआ।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि 1995 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देश की औषधीय जड़ी-बूटियों पर अध्ययन करने के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसे उन्होंने 2010 में बंद कर दिया था। इस अपूर्ण प्रोजेक्ट के बारे में हम ज्यादा कुछ कहना नहीं चाहते। हमने अपने भीतर ही इस चुनौती को कबूल करते हुए इस पर लगातार काम किया, जो अब पूर्ण होने की स्थिति में आ गया है। हमारी रिपोर्ट तैयार है और इसे हम प्रमाणिकता के साथ सार्वजनिक करेंगे और ये रिपोर्ट एक महाग्रंथ के रूप में विश्व को मार्गदर्शन करने वाला साबित होगा।
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि क्रिया, मुद्रा और आसन के अध्ययन को पंतजलि देश-दुनिया के सामने प्रमाणिक दस्तावेज के रूप में लाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में जड़ी-बूटी उत्पादन में राज्य सरकारों को गंभीरता से नीति बनाने के लिए सोचना चाहिए क्योंकि इससे खास कर छोटे किसानों की आय में वृद्धि हो जाएगी।
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