दीनदयाल जी ने एक अंत्योदय मंत्र दिया था, जिसका अर्थ है, समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की उन्नति वास्तविक उन्नति है, वही देश की उन्नति में अग्रसर होता है।
गत नवंबर को परखम (मथुरा) में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दीनदयाल गो विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होेंने कहा कि दीनदयाल जी ने एक अंत्योदय मंत्र दिया था, जिसका अर्थ है, समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की उन्नति वास्तविक उन्नति है, वही देश की उन्नति में अग्रसर होता है।
उन्होंने कहा कि गाय के संवर्धन का यह प्रकल्प देश को विश्व पटल पर अग्रणी बनाएगा। उन्होंने कहा कि जो हमारा पालन करती है, वह हमारी माता है। चाहे वह गाय के रूप में हो, नदी के रूप में या धरती के रूप में हो। हम इन सभी के कृतज्ञ हैं। इनसे प्रेरणा लेकर इनके लिए कुछ करना ही मानव जीवन है। यह सब हमें परंपराओं ने सिखाया है।
दीदी मां साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि गोमाता वात्सल्य जननी है। गो-माता कचरे से भूख मिटाती है तो दिल को दर्द होता है। धरती को माता कहते हैं, लेकिन रासायनिक खाद से उसकी गोद को छलनी किया जा रहा है। इस अनुसंधान केंद्र के निर्माण से इन सब चीजों पर कुछ हद तक अंकुश लगेगा।
उन्होंने कहा कि देशी गाय के दूध की महिमा को पूरा विश्व समझता है। समिति के मंत्री हरिशंकर ने बताया कि दीनदयालधाम की स्थापना 1988 में भाऊराव देवरस ने की थी। संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. ओमप्रकाश जी की प्रेरणा से यहां गोशाला का निर्माण हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गो संवर्धन गतिविधि के अखिल भारतीय प्रमुख श्री शंकरलाल ने कहा कि यह केंद्र भारत ही नहीं, अपितु पूरे विश्व के लिए गोमाता की सेवा का अनूठा प्रकल्प बनेगा।
हंस फाउंडेशन की मंगलमाता ने आशीर्वचन प्रदान किया। दीदी मां साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि गोमाता वात्सल्य जननी है। गो-माता कचरे से भूख मिटाती है तो दिल को दर्द होता है। धरती को माता कहते हैं, लेकिन रासायनिक खाद से उसकी गोद को छलनी किया जा रहा है। इस अनुसंधान केंद्र के निर्माण से इन सब चीजों पर कुछ हद तक अंकुश लगेगा। कार्यक्रम में सरसंघचालक जी ने दीनदयाल बुनकर केंद्र व बायोगैस चलित जनरेटर प्लांट का लोकार्पण व आयुष पशु चिकित्सा संस्थान का शिलान्यास भी किया।
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