लखनऊ। ज्ञानवापी परिसर में 2 नवंबर तक किये गये एएसआई के सर्वेक्षण की वैज्ञानिक कार्यवाही की आख्या न्यायालय में आज प्रस्तुत होनी थी। एएसआई के शासकीय अधिवक्ता ने तीन सप्ताह का और समय 28 नवंबर को मांगा था। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ताओं ने एएसआई के द्वारा रिपोर्ट विलंबित करने पर आपत्ति की थी। इस मामले पर आज फिर सुनवाई हुई। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन ने बताया कि जिला जज ने एएसआई के द्वारा तीन सप्ताह का और समय मांगने पर हिदायत देते हुए एएसआई को 10 दिन का और समय दिया है।
उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य हिस्से का सर्वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने किया है। रडार और कॉर्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग किया गया है। 35 से अधिक सदस्यों द्वारा ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया किया गया। आठ बिंदुओं पर सर्वे की रिपोर्ट तैयार की गई है। पहले बिंदु में वैज्ञानिक जांच में देखा जाएगा कि क्या ढांचे का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर की संरचना के ऊपर किया गया था। दूसरे बिंदु में पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति की जांच की गई है। तीसरे बिंदु में अंदर मिली कलाकृतियों को सूचीबद्ध किया गया है। इन सभी की वैज्ञानिक जांच की गई है. तीनों गुम्बदों के नीचे सर्वे किया गया है. इमारत की उम्र और निर्माण की प्रकृति को लेकर भी सर्वे किया गया है।
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