युद्ध और तनाव से जूझती दुनिया में शांति लाने में कोई बड़ी भूमिका निभिा सकता है तो वह है भारत। हिन्दू बहुत भारत के धर्म और संस्कृति की वैश्विक स्वीकार्यता की ओर इंगित करते सऊदी अरब के राजदूत के इस वक्तव्य ने उस बात को रेखांकित किया है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर मंच से बोलते रहे हैं।
रूस—यूक्रेन युद्ध के बीच इस्राएल और हमास में छिड़ी जंग ने विश्व भर में तनाव का महौल बनाया हुआ है। ऐसे समय में अरब लीग की यह सोच सामने रखते हुए सऊदी राजदूत का संकेत है कि भारत ही है जो संघर्षरत पक्षों के बीच शांति में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
अभी दो दिन पूूूर्व अरब लीग के प्रतिनिधियों ने नई दिल्ली में फिलिस्तीन के दूतावास में ‘फिलिस्तीन के नागरिकों के प्रति एकजुटता’ दर्शाते हुए ‘अंतरराष्ट्रीय दिवस’ मनाया था। उसमें भारत में सऊदी अरब के राजदूत सालेह ईद अल-हुसैनी ने खुलकर कहा दुनिया में स्थिरता लाने में भारत की नि:संदेह एक बड़ी भूमिका है।
राजदूत सालेह अल-हुसैनी ने यह भी बताया कि गत दिनों रियाध में हुए अरब इस्लामिक शिखर सम्मेलन में दुनिया के प्रमुख देशों में जाकर शांति तथा युद्धविराम की जरूरत को रेखांकित करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल बनाया गया था। उनके अनुसार, हत्याओं का सिलसिला रोकने के लिए युद्धविराम बहुत जरूरी है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा था कि दुनिया में शांति और स्थिरता लाने में भारत की प्रमुख भूमिका होगी।
अरब लीग के देशों के मन की बात सामने रखते हुए सऊदी अरब के राजदूत ने एक प्रकार से भारत के संयुक्त राष्ट्र में रखे मत का अनुमोदन किया है कि युद्ध का रास्ता नहीं, बातचीत का रास्ता ही शांति और समाधान का रास्ता हो सकता है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यूक्रेन और रूस के नेताओं सहित इस्राएल के प्रधानमंत्री के सामने अपना यह मत प्रकट कर चुके हैं।
खाड़ी के देशों सहित अरब लीग के लगभग सभी देशों के साथ भारत के मधुर संबंध कायम हो चुके हैं। मोदी की सफल कूटनीति की बदौलत आज विश्व राजनीति के सभी मंचों पर भारत को निमंत्रित ही नहीं किया जाता बल्कि भारत की बात गौर से सुनी भी जाती है। जी5 हो या जी7 या फिर जी20 की मेजबानी, हर बैठक में भारत ने अपनी रणनीतिक और कूटनीतिक कुशलता का शानदार प्रदर्शन किया है।
शांति और समन्वय की भारत की सोच घोर इस्लामी देशों में भी सराही जा रही है। यही वजह है कि अरब लीग को संकट में फंसे फिलिस्तीन में शांति की किरण भारत की दखल में दिख रही है।
इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कतर की मध्यस्थता में इस्राएल—हमास युद्ध में संघर्षविराम चल रहा है, जिसके और दो दिन बढ़ने की पूरी उम्मीद है। लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है। इसके अलावा बर्फबारी के बीच भी रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है। इन दो युद्धों की वजह से दुनिया में माहौल अशांत बना हुआ है।
राजदूत सालेह का संकेत संभवता समग्र रूप से शांति की ओर है। सऊदी अरब के राजदूत ने उस अरब लीग के प्रतिनिधि के नाते अपने ऐसे विचार रखे हैं जो आपस में अनेक तनावों से गुजर रहे हैं और गृहयुद्ध में उलझे रहते हैं। उनके पास समाधान का कोई मार्ग नहीं बचा है। अब उन्हें भारत से दुनिया में शांति—व्यवस्था लाने में भूमिका निभाने की उम्मीद है।
नई दिल्ली के उस कार्यक्रम में राजदूत सालेह अल-हुसैनी ने यह भी बताया कि गत दिनों रियाध में हुए अरब इस्लामिक शिखर सम्मेलन में दुनिया के प्रमुख देशों में जाकर शांति तथा युद्धविराम की जरूरत को रेखांकित करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल बनाया गया था। उनके अनुसार, हत्याओं का सिलसिला रोकने के लिए युद्धविराम बहुत जरूरी है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा था कि दुनिया में शांति और स्थिरता लाने में भारत की प्रमुख भूमिका होगी।
इसी कार्यक्रम में फिलिस्तीन के राजदूत अदनान अबू अल-हैजा ने भारत के साथ अपने देश के मजबूत संबंधों की बात की। वे चाहते हैं विश्व के एक महत्वपूर्ण देश भारत से दो स्वतंत्र देशों के मार्ग का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत फिलिस्तीन को एक संप्रभु तथा स्वतंत्र राष्ट्र के नाते स्थापित करने संबंधी विचार रख चुका है। भारत ने युद्धविराम के प्रयासों की भी सराहना की है।
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