लगता है बिहार सरकार पीएफआई के एजेंडे के अनुरूप कार्य कर रही है। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने वर्ष 2024 के लिए अवकाश के लिए जो कैलेंडर जारी किया है, उसमें कुल 60 दिन का अवकाश घोषित किया है। 30 दिन की गर्मी छुट्टी है। इस कैलेंडर के अनुसार मुसलमानों के पर्वों के लिए 11 दिन का अवकाश दिया गया है। लेकिन हिंदू पर्वों के लिए सिर्फ 9 दिन दिए गए हैं। ईद और बकरीद की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं, लेकिन विजयादशमी, रक्षाबंधन, तीज और जिउतिया जैसे पर्वों की छुट्टी रद्द कर दी गई है। बिहार सरकार के इस फरमान के अनुसार मुस्लिम बच्चे हज़रत मोहम्मद पैगंबर की जयंती पर छुट्टियों का आनंद ले पाएंगे, लेकिन हिंदू बच्चे महाशिवरात्रि, श्रीराम नवमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और सीता नवमी जैसे आयोजन से वंचित रहेंगे। पीएफआई ने 2047 तक भारत को गजवा-ए-हिंद बनाने का लक्ष्य रखा था। इससे संबंधित दस्तावेज पटना के फुलवारी शरीफ से मिले भी थे।
बिहार सरकार का शिक्षा विभाग सरकारी छुट्टियों को लेकर कुछ समय पहले भी चर्चा में था। रक्षाबंधन के ठीक एक दिन पहले पूर्व निर्धारित हिंदू पर्वों की छुट्टियां रद्द कर दी गई थीं। बाद में जब जन दबाव बढ़ा तो सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था। 2024 के कैलेंडर में भी बिहार सरकार ने पिछली बातों को सुधारा नहीं, बल्कि हिंदुओं को प्रताड़ित करने वाला निर्णय लिया है। बिहार सरकार ने 2024 के लिए 27 नवंबर को छुट्टियों का कैलेंडर जारी किया। इस कैलेंडर में रक्षाबंधन, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी की छुट्टी को खत्म कर दी गई है। इसके साथ ही मकर संक्रांति, तीज, विश्वकर्मा पूजा और जिउतिया की भी छुट्टी रद्द कर दी गई है। वहीं दूसरी ओर ईद और बकरीद पर छुट्टी बढ़ा दी गई है। 2023 के कैलेंडर में ईद पर एक दिन और बकरीद पर दो दिन की छुट्टी थी। अब दोनों त्योहारों पर तीन-तीन दिन की छुट्टी रहेगी। इस कैलेंडर को शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक के आदेश पर जारी किया गया है।
इसके अनुसार ग्रीष्म अवकाश (15 अप्रैल से 15 मई) सिर्फ विद्यार्थियों के लिए रहेगा। इस अवकाश में शिक्षक और शिक्षकेत्तर—कर्मी प्रशासनिक कार्य करेंगे। इस दौरान शिक्षक और अभिभावकों की बैठकें भी होती रहेंगी। किसी जिले में यदि जिला पदाधिकारी किसी विशेष अवसर पर अगर छुट्टी घोषित करना चाहें तो उन्हें मुख्यालय से इसके लिए अनुमति लेनी होगी। विद्यालय के प्रधानाचार्य अपने स्तर से कोई छुट्टी रद्द नहीं कर सकते हैं। ऐसा करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
विद्यालय में ही वार्षिकोत्सव, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और दूसरे महापुरुषों की जयंती मनाई जाएगी। इसके साथ ही शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव को लेकर ग्रीष्म अवकाश में परिवर्तन किया जा सकता है। विभाग इसके लिए अलग से आदेश निकालेगा।
बिहार सरकार ने इस बार उर्दू और सामान्य विद्यालयों के लिए छुट्टी को लेकर अलग—अलग कैलेंडर जारी किया है। विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सभी उर्दू प्राथमिक, मध्य एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों और मकतबों में साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार को रहेगा, जबकि यहां रविवार को विद्यालय खुला रहेगा। इसके साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में स्थित सामान्य विद्यालय भी उर्दू विद्यालय की तरह रविवार की जगह शुक्रवार को अवकाश घोषित कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। जिलाधिकारी को इसके लिए मुख्यालय से अनुमति नहीं लेनी होगी।
शिक्षा विभाग के आदेश के बाद बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि जिस तरह से लालू यादव और नीतीश कुमार हिंदुओं की भावानाओं पर चोट कर रहे हैं, भविष्य में उन्हें मोहम्मद नीतीश और मोहम्मद लालू यादव के नाम से जाना जाएगा। राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि एक ओर नीतीश कुमार हिंदुओं को जाति में बांट रहे हैं, तो दूसरी ओर मुस्लिम तुष्टिकरण के जरिए वोट की राजनीति कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने बिहार सरकार पर हमला करते हुए कहा, ”बंटाधार वाली सरकार को नहीं सहेगा अपना बिहार।” उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश बाबू, बिहार की जनता आपके तुष्टिकरण के खेल को बखूबी समझ रही है।
बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी भी इस निर्णय से स्तब्ध हैं। उनके अनुसार इस तरह के फैसले से जनभावना आहत होगी, यह गलत है। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में नीतीश कुमार को बचाते हुए कहा कि हो सकता है कि शिक्षा मंत्री ने इस कैलेंडर नहीं देखा हो, सीएम को पता चलेगा तो वे जरूर संज्ञान लेंगे।
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