दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने बड़ा झटका दिया है। एलजी ने आम आदमी पार्टी सरकार की बनाई स्टैंडिंग कमेटी को भंग कर दिया है। बताया जा रहा है कि एलजी ने यह फैसला आपराधिक केसों की जांच और उसके अभियोजन में गुणवत्ता सुनिश्चित किए जाने को लेकर लिया है। एलजी की ओर से कहा गया कि यह स्टैंडिंग कमेटी साल 2014 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है।
उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से नोट शेयर किया गया है, जिसमें बताया गया है, ‘दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा बनाई गई मौजूदा स्टैंडिंग कमेटी को भंग कर दिया है ताकि क्रिमिनल केसों और उनका अभियोजन गुणवत्तापूर्वक किया जा सके। उपराज्यपाल ने इस बात पर गौर किया कि यह साल 2014 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।’
इसी के साथ उपराज्यपाल ने स्टैंडिंग कमेटी के फिर से गठन को मंजूरी दे दी है। इस कमेटी में अध्यक्ष के तौर पर एडिशनल चीफ सेक्रेटरी/प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) अध्यक्ष के तौर पर होंगे और प्रिंसिपल सेक्रेटरी (लॉ), डायरेक्टर (प्रॉसिक्यूशन) और स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस सदस्यों के तौर पर होंगे। फिलहाल दिल्ली सरकार की तरफ से इस कमेटी को भंग किए जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की ओर से कहा गया है कि 11 मई 2017 को उनके पूर्वाधिकारी अनिल बैजल ने आदेश दिया था कि स्टैंडिंग कमेटी के गठन की समीक्षा करें और शीर्ष अदालत के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत लाया जाए। उसके बाद उन्होंने 19 फरवरी 2018, 22 जून 2018, 18 अक्टूबर 2018 और 31 मई 2019 को फिर से इस पर ध्यान दिलाया, लेकिन कमेटी के पुनर्गठन को लेकर कोई प्रोपोजल नहीं दिया गया था।
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