मुजफ्फरनगर। यूपी के मुजफ्फरनगर में मुस्लिम छात्राओं ने बुर्के में कैटवॉक किया तो उलेमा इसके विरोध में उतर आए हैं। श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेज में हुए कार्यक्रम पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एतराज जताया है। वहीं, छात्राओं का कहना है कि बुर्का पर्दा भी है और फैशन भी। कॉलेज प्रबंधन ने कहा कि कार्यक्रम स्टूडेंट के करियर से जुड़ा था, इसे धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। मामले को लेकर बहस तेज होती नजर आ रही है।
मुजफ्फरनगर के श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेज में फैशन स्पलैश 2023 कार्यक्रम का आयोजन 24 नवंबर से 26 नवंबर तक हुआ। समारोह में मशहूर फिल्म अभिनेत्री मंदाकनी सहित तमाम मॉडल्स ने हिस्सा लिया था। कार्यक्रम में कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने भी रैंप पर कैटवॉक कर डिजाइनदार कपड़ों की प्रदर्शनी में भागीदारी की थी। इसमें मुस्लिम छात्राएं भी शामिल थीं। कॉलेज में पढ़ने वाली बीएफए की कुछ छात्राओं ने बुर्का और हिजाब पहनकर रैंप पर कैटवॉक किया। कैटवॉक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो मुस्लिम संगठन इसके विरोध में खड़े हो गए हैं।
बुर्के में कैटवॉक के विरोध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जिला संयोजक मौलाना मुकर्रम काजमी का बयान सामने आया है। मीडिया को जारी बयान में काजमी ने कहा कि कॉलेज के फैशन शो में बुर्के में कैटवाक कराकर धार्मिक भावनाएं भड़काने का काम किया गया है। बुर्का फैशन शो का हिस्सा नहीं है, यह केवल तन का पर्दा है। ऐसे वस्त्रों में फैशन शो जैसे कार्यक्रम नहीं कराए जाने चाहिए। आगे ऐसा हुआ तो हम हम कार्रवाई को मजबूर होंगे।
वहीं, श्रीराम कॉलेज में बुर्का और हिजाब में कैटवाक करने वाली 13 छात्राओं की डिजाइनर शनेहा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके विभागाध्यक्ष ने कहा था कि फैशन शो में कुछ अलग करके दिखाएं। इसके बाद हमने मुस्लिम बहनों के लिए यह निर्णय लिया कि बुर्के को फैशन का रूप दिया जाए। बुर्के में कैटवॉक का अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ। बुर्का हमारा पर्दा है, लेकिन यह फैशन भी बन सकता है। देवबंद की रहने वाली एक छात्रा ने कहा कि फैशन शो में शॉर्ट ड्रैस तैयार हो रहीं थीं, लेकिन हमने अपनी मुस्लिम बहनों के लिए बुर्के में फैशन निकाला है।
श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेज के मीडिया प्रभारी रवि गौतम ने पूरे मामले पर कहा है कि कॉलेज में हुए फैशन शो में छात्राओं द्वारा ड्रैस डिजाइन की गई थीं। कुछ छात्राओं ने बुर्के को भी फैशन का हिस्सा बनाया। यह सिर्फ क्रिएटिवटी का हिस्सा है, जो सीधे तौर पर छात्राओं के करियर से जुड़ा है। इसे धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
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