भारत के पड़ोसी श्रीलंका से इस्लामिक कट्टरपंथ और हिन्दू घृणा सामने आई है, जहां मौलवी अब्दुल हमीद शरई ने भारतीय सांस्कृतिक नृत्य भरतनाट्यम की तुलना वेश्यावृति से कर डाली। शरई ने कहा कि कलाकार दरबारी थे औऱ वो राजा को लुभाने के लिए करते थे। यह पराठियों (वेश्याओ) से जुड़ा नृत्य है।
मौलवी हामिद शरई के इस बयान के बाद श्रीलंका समेत भारत में सनातन धर्म का पालन करने वालों में बवाल मच गया। इस कृत्य के खिलाफ हिन्दुओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद श्रीलंका की एक इस्लामिक बॉडी ने माफी मांग कर मामले से इति श्री कर ली। निकाय ने कहा कि वो आरोपी मौलवी के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान समर्थित गजवा-ए-हिंद मॉड्यूल मामले में एनआईए ने मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में छापेमारी की
ऑल सीलोन जमीयतुल उलमा काउंसिल के महासचिव अशेक एम अरकम नूरमिध ने कहा, “हम मौलवी की टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हैं, जिसने हिन्दुओं की भावनाओं को आहत किया है। अन्य धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं के खिलाफ भाषण देना इस्लाम के खिलाफ है और हम इस बयान की कड़ी निंदा करते हैं। इस मामले पर मालीगावाट्टा में उनके समूह के मुख्य कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया गया जिसमें महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक नेताओं ने भी भाग लिया।”
वहीं इस मामले में अब्दुल हमीद शरई ने तमिल दावा मीडिया चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया। इसमें मौलवी ने सफाई दी कि वो तो भरतनाट्यम के बारे में हिन्दू विशेषज्ञों का संदर्भ दे रहा था। यदि उनकी बातों से हिन्दुओं को ठेस पहुंची हो तो उन्होंने खेद भी जताया।
इसे भी पढ़ें: चीन में रहस्यमयी बीमारी से केंद्र सरकार अलर्ट, अस्पतालों की तैयारियों को लेकर राज्यों को दी अहम सलाह
क्या है पूरा मामला
दरअसल, श्रीलंका में एक इस्लामिक संस्थान में शिक्षक दिवस पर एक कार्यक्रम चल रहा था। कार्यक्रम के दौरान पुरुष छात्रों ने भरतनाट्यम का प्रदर्शन किया। इसी के बाद हामिद शरई के मुंह से इस्लामिक कट्टरपंथ और हिन्दू घृणा से सनी सोच शब्द बनकर बाहर आ गई। मौलवी ने कहा, “यह अफसोसजनक है कि पुरुषों ने छात्रों के सामने भरतनाट्यम का प्रदर्शन किया, जो आमतौर पर पराठियों से जुड़ा नृत्य है, जिससे वे महिलाओं की तरह दिखते हैं। अतीत में, वेश्याओं को ‘पराथी’ कहा जाता था। भरतनाट्यम एक बार राजाओं के मनोरंजन के लिए किया जाता था, जिसका अर्थ यह था कि वेश्याएं राजाओं के लिए कामुक माहौल बनाने के लिए नृत्य करती थीं।”
शरई की हिन्दू घृणा से सनी टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बवाल खड़ा हो गया। हिन्दुओं ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बता दें कि सनातन संस्कृति में पुरुष और महिलाएं समान रूप से भरतनाट्यम नामक पवित्र और पारंपरिक नृत्य करते हैं, जिसकी जड़ें दक्षिण भारत में हैं और इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।
टिप्पणियाँ