उत्तरकाशी टनल हादसा : ड्रिल मशीन हुई फेल, अब टनल के ऊपर से छेद करने के लिए मशीनें तैयार

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दिनेश मानसेरा

उत्तरकाशी। सिलक्यारा टनल में बचाव कार्य को बड़ा झटका लगा है। एक बार फिर अन्तिम चरण में ऑगर मशीन को काम करने से रोक दिया गया है। बताया गया है कि मशीन के ड्रिल पार्ट्स दो टुकड़ों में बंट गए हैं। ऐसा ड्रिल करते वक्त लोहा फंस जाने की वजह से हुआ है। इस मशीन के टूट जाने से टनल में फंसे मजदूरों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा।

रेस्क्यू विशेषज्ञों ने अब टनल के ऊपर पहाड़ से ड्रिल करने का काम करने की योजना बनाई है। इसके लिए टीमें पहाड़ी पर पहुंच गई हैं और ड्रिल मशीन को भी पहुंचाया जा रहा है। ये काम जैसे ही शुरू होगा उसके बाद ही कहा जा सकेगा कि श्रमिक बाहर कैसे निकलेंगे। ऐसा माना जा रहा था आगर मशीन से 5 मीटर ड्रीलिंग होना बाकी थी और सभी विभागों को अलर्ट मोड़ पर रख दिया गया था। अस्थाई हेली पैड स्यालना में एंबुलेंस की लंबी कतारें भी वहां तैनात कर दी गई थीं, लेकिन 25 मिमी की सरिया व लोहे के पाइप बने ड्रिलिंग में बाधा उत्पन्न कर दी और उसने मशीन को दो टुकड़ों में बांट दिया।

मशीन के खराब होने की जानकारी देते हुए टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिस्क ने बताया कि इस मशीन को अब बेकार समझा जाए अब हमें नए रास्ते से काम शुरू करना है। ऑगर मशीन के फंसने से रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे अधिकारियों के चेहरे उतर गए हैं। वहीं दूसरी तरफ सिलक्यारा टनल के ऊपरी हिस्से में आज शनिवार को पानी का रिसाव बढ़ने से चिंताएं भी बढ़ रही हैं। 14 दिन से सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर न निकालने पर बाहर परिजनों का गुस्सा देखा गया।

हालात को देखने सीएम धामी भी मौके पर पहुंचे और बचाव एजेंसियों के अधिकारियों के साथ बातचीत की और उन्होंने नए विकल्पों पर तुरंत काम शुरू करने की अपेक्षा जताई। सीएम धामी ने मीडिया को बताया कि हमें धैर्य रखना होगा। मशीन खराब हुई है, दिक्कतें पेश आई हैं, हमने दूसरे रास्तों से काम शुरू करवा दिया है। सीएम धामी ने आज फिर श्रमिकों से संचार माध्यम से बातचीत की और उन्हें स्थिति से अवगत कराया। श्रमिकों ने उनसे कहा कि हम इंतजार करेंगे।

बहरहाल अगले दो दिन अभी और लग सकते हैं क्योंकि ड्रिल मशीन अब ऊपर से काम करेगी। उसमें वक्त लग सकता है। उधर ये भी सवाल उठा जब सड़क परिवहन राज्य मंत्री पूर्व जनरल वीके सिंह ने 10 दिन पहले पांच विकल्प सुझाए थे और युद्ध स्तर पर काम करने की बात कही थी तब फिर एक ही विकल्प पर काम क्यों शुरू हुआ और अन्य विकल्प क्यों नहीं काम में लाए गए?

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