पाकिस्तान में आजादी के समय जहां लगभग 18 प्रतिशत हिन्दू उस पार अपने पुरखों की जमीन पर बने रहे थे, उनके घर, मंदिर, धर्मशालाएं, पूजा स्थल, श्माशन स्थल सब वहीं पर थे। लेकिन वक्त के साथ इस्लामी जिहाद की गाज न सिर्फ वहां के हिन्दुओं को लील गई बल्कि धर्म से जुड़ी किसी भी चीज को मौजूद न रहने देने की जिहादी तालीम ने हिन्दुओं से जुड़े लगभग सभी चिन्ह, स्मारक, प्रतीक, शिल्प और भवन ध्वस्त कर दिए गए। वक्त के थपेड़ों से जो कुछ वहां बचे एक प्रतिशत हिन्दुओं ने बचाए रखे उन पर किसी न किसी बहाने हथौड़ा चलाया जा रहा है। सिंध में स्थित हिंगलाज माता मंदिर पर अदालत की कुदाल चलाकर एक बार फिर इस्लामवादियों ने साबित किया है कि अन्य मत—पंथों के प्रति वे कितने असहिष्णु और बर्बर हैं।
पड़ोसी इस्लामी देश में मंदिरों की जगह मॉल बनाने या अन्य किसी बहाने से इस्लामी कुदाल चलाई जाती रही है और हिंगलाज माता मंदिर को अतिक्रमण ठहराकर तोड़ दिया जाना बताता है कि पाकिस्तान में पैसे के साथ ही दिमागी दिवालियापन भी हावी है।
हिन्दुओं के जुटने और देवी के प्रति आस्था व्यक्त करने का यह पवित्र स्थान शायद वहां की इस्लामवादी सरकार की आखों में कब से चुभ रहा था। इसी हिंगलाज मंदिर के अहाते में इस बार भी हिन्दुओं ने एकत्र होकर मां के भजन गाए थे, जयकारे लगाए थे। लेकिन अब ‘अतिक्रमण’ हटाने के नाम पर इस मंदिर को ध्वस्त करके शायद पाकिस्तान के कठमुल्लों के दिलों को राहत मिली होगी।
इस मंदिर के अलावा नियंत्रण रेखा के पास स्थित प्राचीन शारदा पीठ मंदिर पर भी इस्लामी कुदाल चलाई गई है। हैरानी की बात है कि शारदा पीठ को सुरक्षित रखने का हुक्म तो वहां के सर्वोच्च न्यायालय ने ही दिया हुआ था! फिर भी तोड़ डाला! कहते हैं, मंदिर के निकट अब कोई कॉफी पीने का रेस्टोरेंट खुलने वाला है।
कहा जा रहा है कि अदालत ने इसका हुक्म दिया था। जाने पाकिस्तान में अधिकारी किसी अदालत से फरमान भी ले आए! सिंध में हिंगलाज माता मंदिर पर जिहादी कुदाल चलाने में पाकिस्तान के तमाम प्रशासनिक अधिकारियों की भागीदारी रही। सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में प्रशासन ने मीठी नामक नगर में स्थित हिंगलाज माता मंदिर को तोड़ने के वक्त अदालती फरमान की आड़ ले ली थी।
प्राप्त रिपोर्ट बताती है कि इस मंदिर के अलावा नियंत्रण रेखा के पास स्थित प्राचीन शारदा पीठ मंदिर पर भी इस्लामी कुदाल चलाई गई है। हैरानी की बात है कि शारदा पीठ को सुरक्षित रखने का हुक्म तो वहां के सर्वोच्च न्यायालय ने ही दिया हुआ था! फिर भी तोड़ डाला! कहते हैं, मंदिर के निकट अब कोई कॉफी पीने का रेस्टोरेंट खुलने वाला है। इस्लामवादियों को हिंदुओं के उस पवित्र स्थल को तोड़कर ही कॉफी पीने का मजा प्राप्त हो सकता था क्या?
कन्वर्जन, हत्या, जबरन वसूली, अपहरण, घर जलाना, ईशनिंदा के झूठे आरोप लगाना, महिलाओं—बच्चियों को उठा ले जाना और कन्वर्ट करके किसी मुसलमान से ब्याह देना….ऐसी एक नहीं, हर साल सैकड़ों घटनाएं वहां होती आ रही हैं। अदालती दिखावटी मुकदमे चलाती हैं। वहां रहने वाले हिन्दू समुदाय ने मंदिर को न तोड़ने की गुहार लगाई, इस कार्रवाई का मुखर विरोध किया, पर उनकी एक न चली। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया ने इस घटना पर दुख जताते हुए एक ट्वीट भी किया है।
Pakistani authorities continues crackdown on Hindu religious places. Following an order of anti-encroachment court Mirpurkhas, Hinglaj Mata Mandir has been demolished in Mithi, Tharparkar, Pakistan. pic.twitter.com/EUOHHcXkQt
— Danish Kaneria (@DanishKaneria61) November 23, 2023
सवाल तो उठते ही हैं, पाकिस्तान की मंशाओं पर। हिन्दुओं को जड़—मूल से खत्म करने में जुटे वहां के इस्लामी उन्मादी बताएं कि लाहौर के कृष्ण मंदिर की जगह पर ही मॉल बन सकता था क्या? हिन्दू बेटियों को अगवा करके उनका जबरन किसी मुसलमान से निकाह करा देने की ही दीनी तालीम दी जाती है? हिन्दुओं की धार्मिक—सांस्कृतिक धरोहरों को ध्वस्त करने से ही इस्लाम कायम रहेगा वहां?
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