देहरादून। उत्तराखंड में करीब 400 करोड़ रुपए की वन संपदा का अवैध दोहन हो रहा है। खास बात ये है कि जलाऊ लकड़ी से लेकर इमारती लकड़ी की तस्करी में एक खास वर्ग विशेष के लोग शामिल हैं और इन्हें भ्रष्ट वन कर्मियों का संरक्षण मिलता रहा है। पिछले दिनों उत्तराखंड हाई कोर्ट के द्वारा तराई क्षेत्र में जलाऊ लकड़ी के बड़े पैमाने पर दोहन किए जाने पर वन अधिकारियों का जवाब तलब किया था, ये प्रकरण, खुद विद्वान न्यायमूर्ति द्वारा ऐसे ही संज्ञान में नहीं लिया गया। बताया जाता है कि खुद उनके द्वारा ही कालाढूंगी क्षेत्र में लकड़ियों को ले जाते हुए देखा गया जोकि आगे जाकर एक टाल पर एकत्र की जा रही थी। ये कोई एक घटना नहीं है, ऐसे सैकड़ों लोग जंगल से जलाऊ लकड़ी बिनने के नाम पर रोज उत्तराखंड के तराई भावर के जंगलों में जाते हैं और लकड़ियों के गट्ठर उठाकर बाहर निकलते हैं और फिर ट्रक, जीप में उन्हें भरकर शहरों की टाल पर एकत्र करके बेचते हैं।
ऐसा जानकारी में आया है कि टाल पर लकड़ी एकत्र करके उन्हें मध्य प्रदेश, राजस्थान तक फर्जी दस्तावेजों के आधार भी भेजा जा रहा है। जहां ये लकड़ी, ईट भट्ठों, ओवन प्लांटों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल की जा रही है। शहरी क्षेत्रों में लकड़ी से कोयला बनाए जाने का भी अवैध कारोबार इसी लकड़ी के बलबूते पर चल रहा है।
उत्तराखंड में 70 फीसदी हिस्से में जंगल है और यहां मुस्लिम समुदाय के लकड़ी तस्करों द्वारा अलग-अलग वन प्रभागों में घुसपैठ कर वन विभाग के निचले स्तर के कर्मचारियों से मिलीभगत करके जलाऊ लकड़ी बिनने का अवैध धंधा चल रहा है। जंगलों में इन तस्करों के सदस्य जिनमें महिलाएं भी शामिल होती हैं रोज जंगल में जाते हैं और वहां से दोपहर तक लकड़ी के गट्ठर सिर पर लादकर सड़कों तक आते हैं, जहां छोटे वाहन अथवा ट्रकों में ये लकड़ी लाद कर टालों तक पहुंचाई जाती है।
ऐसी जानकारी भी मिली है कि गैंग के सदस्य जंगल में जाकर हरे पेड़ों की लॉपिंग कर, गिरा आते हैं और फिर थोड़े समय बाद उसके सूख जाने पर उसे उठा लाते हैं। पहले दराती, कुल्हाड़ी से ये काम होता था अब इन्हें काटने के लिए सीढ़ी और आधुनिक कटर का भी इस्तेमाल होने लगा है। बताया गया है कि भ्रष्ट वन कर्मियों को गट्ठर के हिसाब से हिस्सा मिलता है। इसी आड़ में दूसरे हरे पेड़ भी काट कर इमारती लकड़ी भी टाल या आरा मशीनों तक पहुंच रही है और फिर बाजार में जाकर बिक रही है। इस अवैध धंधे में मुस्लिम समुदाय के आरा मशीन चलाने वाले और कारपेंटर लगे हुए हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि करीब 400 करोड़ का ये अवैध कारोबार उत्तराखंड में फैल चुका है और वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की इसमें मिलीभगत साफ तौर पर सामने आई है।
रिजर्व फॉरेस्ट में जाने पर है पाबंदी
उत्तराखंड के जितने भी रिजर्व फॉरेस्ट हैं, वहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी का कानून है। बावजूद इसके यहां हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग धारदार हथियारों के साथ कैसे प्रवेश लेते हैं? ये बड़ा सवाल है। तराई, रामनगर, हरिद्वार, सुरई, देहरादून, कालसी फॉरेस्ट, नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के अलावा राजा जी और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में भी लकड़ी बिनने वाले के रूप में लकड़ी तस्कर गैंग के सदस्य प्रवेश लेते देखे जा सकते हैं।
नहीं हुई लंबे समय से आरा मशीनों की जांच
उत्तराखंड में 400 से ज्यादा आरा मशीनों का संचालन हो रहा है और इनकी नियमित जांच का प्रावधान है कि ये निगम द्वारा बेची गई लकड़ी का ही चिरान कर रहे हैं अथवा किसी और स्थान से आई लकड़ी का कारोबार कर रहे हैं। डीएफओ कार्यालय से इसकी जांच पड़ताल का प्रावधान है, लेकिन लंबे समय से इसकी जांच पड़ताल नहीं हुई है।
प्लाईवुड फैक्ट्रियों में पहुंच रही चोरी की लकड़ी
पिछले दिनों राम नगर से बाजपुर के बीच डीएफओ प्रकाश आर्य ने एक अभियान चलाकर एक ही दिन में 7 ट्रैक्टर-ट्राली और फिर कुछ दिन बाद बड़ी मात्रा में टालों में लकड़ी जप्त की थी। बताया गया कि उक्त लकड़ी आसपास की प्लाईवुड फैक्ट्रियों में पहुंचाई जाने वाली थी, इनमें जामुन, आम, शीशम प्रजाति की लकड़ी शामिल थी। जंगल में ट्रैक्टर- ट्रालियों को किसने प्रवेश लेने दिया, इतनी बड़ी संख्या में अवैध कटान किसके संरक्षण में हो रहा था इसका जवाब वन विभाग के उच्च अधिकारियों के पास तो है, लेकिन वो मौन साधे रहते हैं।
भ्रष्ट वन अधिकारियों को चार्जशीट दिए जाने की तैयारी
पिछले कुछ समय पहले चकराता और टोंस वन प्रभागों में हरे देवदार के पेड़ों को अवैध रूप से काटने के आरोप में बैठाई गई जांच में चकराता के रेंजर महेंद्र गुंसाई, वन दरोगा प्रमोद कुमार और आशीष के खिलाफ आरोप पत्र तय किया गया है। टोंस वन प्रभाग में डीएफओ सुबोध काला, एसडीओ विजय सैनी, रेंजर राम कृष्ण सहित 17 वनकर्मी निलंबित हैं। इनकी उच्च स्तरीय जांच भी चल रही है। फॉरेस्ट के चीफ पीसीसीएफ अनूप मलिक के अनुसार जांच का काम अंतिम चरण में है शीघ्र ही आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर शासकीय कार्रवाई की जाएगी।
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