सिदो-कान्हू मुर्मू
जन्म : सिदो मुर्मू- 1815, कान्हू मुर्मू – 1820,
भोगनाडीह, साहेबगंज (झारखंड)
बलिदान : 26 जुलाई, 1856
असंथाल जनजाति में जन्मे सिदो और कान्हू सगे भाई थे। इनके दो और भाई थे चांद और भैरों।
ये चारों ही जनजातीय समाज की अस्मिता, स्वाभिमान और स्वशासन के ज्वलंत प्रतीक और महान योद्धा थे।
अंग्रेजों की लूट और अत्याचारों का विरोध करने के लिए सिदो और कान्हू ने 30 जून, 1855 को हूल क्रांति की घोषणा की। दोनों के नेतृत्व में संथालों ने एक वर्ष तक संघर्ष किया और बड़ी संख्या में अंग्रेजों को मारा।
छल से अंगे्रेजों ने दोनों भाइयों को पकड़ लिया और 26 जुलाई, 1856 को उनकी हत्या कर दी। इन दोनों के सम्मान में दुमका विश्वविद्यालय का नाम सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय रखा गया है।
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