देहरादून। राजधानी में शत्रु संपत्ति मामलों में सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद शत्रु संपत्तियों की फाइलें खुलने लगी हैं। काबुल हाउस के बाद अब फैज़ मोहम्मद शत्रु संपत्ति की फाइल खुल गई है, जिसकी जांच-पड़ताल डीएम देहरादून ने नगर मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह को सौंप दी है।
जानकारी के मुताबिक फैज़ मोहम्मद नाम से दर्ज शत्रु संपत्तियां देहरादून में दर्ज है। इन्हें खुर्दबुर्द करने में सहारनपुर और देहरादून के भू माफिया पिछले कुछ समय से लगे हुए हैं और इनके फर्जी वारिसान दस्तावेजों के जरिए अवैध कब्जा जमाए हुए हैं। ऐसा बताया गया है कि उत्तराखंड बनने के बाद भी देहरादून, हरिद्वार के जमीनी राजस्व दस्तावेज सहारनपुर कमिश्नरी में पड़े रहे, क्योंकि उस वक्त कमिश्नरी सहारनपुर में ही हुआ करती थी और वर्षों पुराने जमीनी दस्तावेज वहीं मिलते थे। वहीं से भू माफिया देहरादून की जमीनों के कागजों में फर्जीवाड़ा करते रहे। इन्हीं मूल दस्तावेजों को हाल ही में डीएम देहरादून ने अपने यहां मंगवाया, जिसके बाद से भूमाफिया की धरपकड़ शुरू हुई।
देहरादून प्रशासन ने कस्टोडियन संपत्ति काबुल हाउस खाली करवाने के आदेश के बाद फैज मोहम्मद शत्रु संपत्ति पर काबिज लोगो की नींद हराम कर दी है। जानकारी के मुताबिक आईएसबीटी के पास टर्नर रोड पर 70 बीघा जमीन फैज मोहम्मद शत्रु संपत्ति के रूप में चिन्हित हो चुकी है, जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी सूचीबद्ध किया है। फैज मोहम्मद नाम की माजरा क्षेत्र में भी 1800 बीघा शत्रु संपत्ति चिन्हित है। बताया जाता है कि डीएम सोनिका के निर्देश पर नगर मजिस्ट्रेट ने उक्त जमीन के दस्तावेजों की जांच पड़ताल और मौका मुआयना भी किया है। एक अनुमान के अनुसार ये दोनों संपत्तियों की कीमत अरबों में है और इस पर अवैध रूप से लोग सहारनपुर ,मुजफ्फरनगर आदि इलाकों से आकर बसे हुए हैं या बसाए गए हैं और इस साजिश पीछे कई प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं।
उत्तराखंड सरकार को गृह मंत्रालय की तरफ से भी निर्देश हैं कि राज्य सरकार शत्रु संपत्तियों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें जिला अधिकारी की देखरेख में सुपुर्द करे। इसी क्रम में नैनीताल की मेट्रोपॉल होटल शत्रु संपत्ति को खाली करवाया गया और देहरादून का काबुल हाउस भी खाली करवाया जा रहा है। शेष संपत्तियों की भी फाइल अब ठंडे बस्ते से बाहर निकाल दी गई है।
कौन सी होती हैं शत्रु संपत्तियां
केंद्र सरकार द्वारा 10 सितंबर 1959 और 18 दिसंबर 1971 को एक अध्यादेश जारी कर उन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था जिनके मालिक आजादी के दौरान हुए बंटवारे में देश छोड़कर दूसरे देश में जाकर बस गए और उन्होंने वहां की नागरिकता हासिल कर ली।
कौन कर रहे शत्रु संपत्ति को खुर्दबुर्द?
जो लोग दूसरे देशों में जाकर बस गए उनके कथित रिश्तेदार यहां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वारिस बन गए और शत्रु संपत्ति को अपना बताते हुए उन पर दावा करने लगे। उनके द्वारा उक्त संपत्ति की फर्जी रजिस्ट्रियां भी हैं जिनके मामले स्थानीय अदालतों में चल रहे हैं। इन पर अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कानूनी कारवाई शुरू कर दी है। इन संपत्तियों पर अपने कब्जे लेने की कारवाई तेज कर दी है।
देश में करीब एक लाख करोड़ की शत्रु संपत्तियां
पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने एक सर्वे में पाया कि देश भर में 12611 के करीब शत्रु संपत्तियां चिन्हित हैं, जिनकी कीमत करीब एक लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। इनमें से 12485 संपत्तियां ऐसी हैं जिनके मालिक बंटवारे के दौरान पाकिस्तान जाकर बस गए और 126 ऐसे थे जो चीन के नागरिक बन गए। उत्तराखंड में भी ऐसी 34 शत्रु संपत्तियां हैं, जिन्हें अवैध कब्जों से मुक्त करवाने का अभियान उत्तराखंड सरकार ने शुरू किया है। जानकारी के मुताबिक गृह मंत्रालय द्वारा शत्रु संपत्तियों से 3407.98 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।
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