इजरायल के विरुद्ध अक्सर यह आरोप लगाए जाते हैं कि वह फिलिस्तीन के बंदियों के साथ सही व्यवहार नहीं करता है और वह अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करता है। उसी इजरायल की भूमि पर 7 अक्टूबर को जिसके द्वारा हमला कराए जाने का आरोप लग रहा है, उसकी जान और किसी ने नहीं बल्कि इजरायल के डॉक्टर्स ने ही बचाई थी। उसके दिमाग में ट्यूमर था और जिसके कारण वह पीड़ा में था और जब उसके इस ट्यूमर का पता चला तब वह इजरायल की जेल में था। वह और कोई नहीं बल्कि वही याह्या सिन्वर था, जिसने इजरायल पर 7 अक्टूबर को हमला करके हजारों निर्दोष लोगों की हत्या कराई थी। उसकी जान इजरायल ने बचाई थी। वह मरने की कगार पर था। फरवरी 2008 में वह कई मामलों में उम्रकैद की सजा इजरायल की जेल में काट रहा था। तभी उसे एक दिन पता चलता है कि उसके दिमाग में ट्यूमर है। यह सुनते ही उसके पांवों के नीचे से जमीन फिसल जाती है।
सिन्वर का ट्यूमर उस समय 15 साल पुराना था, मगर पता तब चला जब वह इजरायल में सजा काट रहा था। उस समय प्रिजनर सर्विस में सेवारत लहात, जो अब 68 वर्ष की हैं और आज अल्फ़ेई मेनाशे के सामरिया शहर में रहती हैं, को यह पूरी तरह से याद है कि कैसे इस दुर्दांत हत्यारे को यह पता चला था कि उसके दिमाग में ट्यूमर है और वह बहुत खतरनाक स्थिति में पहुँच गया है तो वह एकदम टूट गया था।
Mishpacha के अनुसार उन्होंने कहा कि “जब हमने उसे इस समाचार के बारे में बताया तो वह पूरी तरह से टूट गया था। उसे डर था कि सब खत्म हो गया है। उसका डर स्वाभाविक और सही था क्योंकि उसका कैंसर बहुत तेजी से बढ़ रहा था और उसके ब्रेनस्टेम के पास था।” सिन्वर इजरायल से इस सीमा तक घृणा करने वाला अपराधी है कि उसने जब हमास की सुरक्षा ब्रांच की स्थापना की थी तो उसका काम था “नैतिकता” का उल्लंघन करने वालों एवं उन फिलिस्तीनियों की हत्या करना जिनपर इजरायल के साथ कार्य करने का संदेह होता था। इजरायल के जाँच अधिकारियों ने जब यह देखा था कि वह कितनी तेजी से इजरायल की सहायता करने वालों की हत्या कर रहा है तो उन्होंने उसे “खान यूनुस की ओर से कसाई” के रूप में बताया था।
वर्ष 1988 में सिन्वर को दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था और हिंसा के माध्यम से शारीरिक नुकसान पहुंचने के लिए इजरायल की जेल में चार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी। और वर्ष 2011 में जब उसे उन एक हजार फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में रिहा कर दिया गया था, जिन्हें छुड़ाने की शर्त पर ही फिलिस्तीन ने एक इजरायली सैनिक को रिहा किया था। वर्ष 1988 से 2011 तक की अवधि में ही उसे उसके ब्रेन ट्यूमर के बारे में पता चला था और यह इजरायल के डॉक्टर्स थे, जिन्होनें उसके ट्यूमर को ठीक किया था। इजरायल ने इस बात की भी परवाह नहीं की कि सिन्वर को एक-दो नहीं बल्कि चार-चार आजीवन कारावासों की सजा मिली हुई है। उसे वर्ष 1989 में दो इजरायली सैनिकों की हत्या का और चार उन फिलिस्तीनी नागरिकों की हत्या का दोषी पाया गया था जिन्होनें उसके अनुसार इजरायल का साथ दिया था।
जिस इजरायल पर यह आरोप लगाया जाता है कि वह फिलिस्तीनी नागरिकों की चिकित्सा सुविधाएं बर्बाद कर रहा है, वही इजरायल उस कैदी के घातक ब्रेन ट्यूमर का इलाज करवाता है, क्योंकि वह भी नहीं चाहता होगा कि चिकित्सीय लापरवाही से किसी कैदी की मृत्यु हो। मगर उसे यह भी नहीं पता होगा कि जिसके प्राणों की रक्षा वह कर रहा है, वही एक दिन उसे इतना बड़ा घाव देगा। लहात के अनुसार सिन्वर के दिल में इजरायल के इस अहसान के प्रति कृतज्ञता नहीं थी। उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि उसका ऑपरेशन सफल हुआ है तो उन्होंने उससे कहा था कि “तुम देखो, अंत में इजरायल राज्य ही तुम्हारी जान बचा रहा है, जिसे तुम बर्बाद करना चाहते हो!” उसके चेहरे पर कोई भी कृतज्ञता के निशान नहीं थे। उसने कहा कि “यह आपकी जिम्मेदारी है, जाहिर है कि आपने हमें बचाया है!”
उन्होंने बताया कि “सिन्वर उसके बाद कुछ समय तक बहुत परेशान रहता था और पूछता था कि कहीं उसका ट्यूमर वापस तो नहीं आएगा!” उसके कुछ दिनों बाद उसे जेल के अस्पताल में शिफ्ट कर दिया था। मगर जब उसे एक सैनिक के बदले में रिहा कर दिया गया तो उसके बाद उसने इजरायल के खिलाफ अपना अभियान और तेज कर दिया था। सिन्वर जितने दिन इजरायल की कैद में रहा था, उसके अनुसार वह अपने दुश्मन का अध्ययन कर रहा था। ऐसा नहीं है कि सिन्वर ने केवल इजरायली नागरिकों और सैनिकों या उनकी मदद करने वाले नागरिकों की हत्या की थी, बल्कि यह कहा जाता है कि उसने हमास के कमांडर महमूद इश्तिवी की भी हत्या वर्ष 2015 में की थी क्योंकि उस पर समलैंगिक होने का आरोप था और सिन्वर को लगता था कि इससे हमास में विकृति आएगी। हमास का नेता समलैंगिक संबंधों के विरोध में है और हास्यास्पद यह है कि समलैंगिक एक्टिविस्ट इन दिनों हमास और फिलिस्तीन के पक्ष में नारे लगाते नहीं थक रहे हैं!
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