पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार किसी से छिपा नहीं है। वहां से आए दिन हिंदुओं के पूजा स्थलों में तोड़फोड़ और उनकी बहन-बेटियों पर अत्याचार की घटनाएं सामने आती रहती हैं। पाकिस्तान का कठोर ईशनिंदा कानून हिंदुओं समेत अल्पसंख्यों के लिए बड़ा खतरनाक है। इसमें लोगों को मौत की सजा तक सुना दी जाती है।
अमेरिका के कई सांसदों ने पाकिस्तान के कठोर ईशनिंदा कानून पर आपत्ति जताई है। साथ ही अमेरिकी प्रशासन से कहा है कि पाकिस्तान को मिलने वाली सैन्य सहायता तत्काल रोक देनी चाहिए। अमेरिका के 11 सांसदों ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को पत्र लिखकर कहा है कि जब तक पाकिस्तान में निष्पक्ष चुनाव होने के बाद कोई लोकतांत्रिक सरकार नहीं बन जाती, उसे सैन्य सहायता नहीं देनी चाहिए। सांसदों ने पत्र में यह भी कहा है कि पाकिस्तान, अमेरिका से मिलने वाली मदद का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने में करता है।
बताया जा रहा है कि पत्र लिखने वाले सांसदों में महिला सांसद इल्हान भी शामिल हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान में खुलेआम मानवाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। इधर पाकिस्तान ईशनिंदा कानून को और कड़ा बनाने में लगा है। यह विधेयक सदन में पास हो चुका है, अब तो बस राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होना बाकी है। पत्र में यह भी लिखा है कि पाकिस्तान में आपराधिक कानून संशोधन विधेयक का पेस होने के बाद उन्हें चिंता है कि इसका इस्तेमाल अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ किया जाएगा।
बताया जाता है कि पाकिस्तान में 1987 से अब तक लगभग 2 हजार लोगों को ईशनिंदा कानून के तहत सजा दी जा चुकी है। ईशनिंदा कानून में आरोपी को मौत की सजा का भी प्रावधान है। पाकिस्तान में अकसर हिंदुओं और ईसाइयों पर इस कानून के तहत केस चलाया जाता है और मौत तक की सजा दी जाती है। यहां तक की वहां कई बार ईशनिंदा के आरोपियों की पीट-पीटकर या फिर गोली मारकर हत्या हो चुकी है।
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