श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए आज दोपहर 3:33 मिनट पर बंद हो गए। रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने वैदिक मंत्रोचारण के बीच कपाट को बंद किया।
शीतकाल में श्री बद्री विशाल के कपाट बंद होने के साथ-साथ मंदिर के सुरक्षा का दायित्व परंपरा के अनुसार माणा ग्रामवासियों के पास रहेगा। हालांकि सुरक्षा की जिम्मेदारी आईटीबीपी और पुलिस के पास भी रहती है, लेकिन दशकों से मंदिर मूर्ति की सुरक्षा जिम्मा माणा ग्रामवासियों के पास रहता आया है वो बारी-बारी से मंदिर की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। श्री बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी राधा कृष्ण थपलियाल, वेद पाठी रविंद्र भट्ट, बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
गढ़वाल राइफल्स की बैंड धार्मिक धुन बजाने के लिए एक दस्ता भी इस अवसर पर मौजूद रहा। मंदिर को 10 कुंतल गेंदे की फूलों से सजाया गया था। कपाट बंद होने से पूर्व धर्माधिकारियों, वेद पाठियों ने विधि- विधान से पूजा-अर्चना की और अपने ग्रंथ को सुरक्षित अलमारी में रख दिया इसके बाद श्री बद्री विशाल की मूर्ति का विधि-विधान से श्रृंगार किया और अखंड ज्योति का अवलोकन किया गया। ये ज्योति कपाट खुलने तक जलती रहती है। ऐसा कैसे होता है ये भी एक रहस्य बना हुआ हैं।
श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट पिछली 6 मई को खोले गए थे। अभी तक करीब 18 लाख, 25 हजार तीर्थ यात्रियों ने श्री बद्री विशाल के दर्शन किए हैं।
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