दिल्ली हाई कोर्ट ने दो सरकारी पार्कों पर जामा मस्जिद द्वारा अवैध रूप से कब्जा करने की घटना पर दिल्ली एमसीडी को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने एमसीडी के अधिकारियों के रवैये पर कहा कि शायद आपके अधिकारी किसी और दुनिया में रहते हैं। इसी कारण से आपको ये अवैध कब्जा नहीं दिखता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी कि अगर पार्क के मालिक होते तो आप इसे सार्वजनिक ट्रस्ट में रखते।
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यहीं नहीं एमसीडी को खरी खोटी सुनाते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि आप इस तरह से सार्वजनिक पार्क का कब्जा नहीं छोड़ सकते। हम 21वीं सदी में एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां कानून का शासन चलता है। इसके साथ ही कोर्ट ने एमसीडी को जामा मस्जिद के कब्जे से दोनों पार्कों को मुक्त करवाने के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह निर्देश मोहम्मद अर्सलान नाम के व्यक्ति की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने एमसीडी को भरोसा दिलाया कि अगर पार्कों को मुक्त करवाने की कार्रवाई के दौरान पुलिस मदद की आवश्यकता होती है तो वो भी उन्हें दी जाएगी।
दरअसल, दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के प्राधिकारियों ने उसके सामने स्थित दो सरकारी पार्कों पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया है। एमसीडी के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि जामा मस्जिद के अधिकारियों ने पार्क में ताला लगा दिया है, जबकि दिल्ली वक्फ बोर्ड ने भी अपनी जमीनों का विस्तार करते हुए इस पर अपना दावा ठोंक दिया है। मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन औऱ जस्टिस पुष्करणा ने की।
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कोर्ट ने एमसीडी के पार्कों को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि वो कानून के मुताबिक पार्कों को अपने कब्जे में ले। यहां हम हर दिन पार्कों के संरक्षण की बातें कर रहे हैं, दिल्ली में लोगों का सांस लेना भी दूभर हो गया है। जनता के प्रति आप जबावदेह हो।
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