संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की प्रासंगिकता पर भारत ने एक बार फिर सवाल उठाए हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि प्रतीक माथुर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंग खासतौर पर सुरक्षा परिषद 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के बोझ तले दब गई है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को बहुपक्षवाद के जरिये अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझा कर अपनी प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही इसे नकारने वालों को सुधार में बाधा बनने से रोकना होगा। भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में लगातार इसकी प्रासंगिकता की वकालत करता रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी आयोग में काउंसलर प्रतीक माथुर ने मंगलवार को कहा कि महासभा अपनी प्रतिष्ठा तभी प्राप्त कर सकता है जब यह मुख्य विचारक, नीति निर्माता की अपनी भूमिका को पुनर्स्थापित करे।
संयुक्त राष्ट्र की बैठक में ‘महासभा के कार्य का पुररुद्धार’ विषय पर बोलते हुए माथुर ने कहा कि हमें कुछ देशों के झूठ का पर्दाफाश करते हुए सदस्य देशों को इनके खिलाफ सामूहिक आवाज उठानी चाहिए। किसी को भी इसकी प्रक्रिया को बाधित करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि महासभा के बारे में एक अवधारणा बनती जा रही है कि यह अपने मूल कर्तव्यों से भटक गई है, अब इसकी प्रक्रियाओं में व्यापक सुधार की जरूरत है। माथुर ने कहा कि भारत निष्पक्ष वैश्वीकरण, पुनर्संतुलन व बहुपक्षवाद में सुधार का हिमायती है। इसे लंबे समय तक टाला नहीं जा सकता। महासभा को बहुपक्षवाद पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक एजेंडा तय करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सभी देशों से बहुपक्षवाद में सुधार का समर्थन करने की अपील की।
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