अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में कल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की होने वाली बातचीत को लेकर सामरिक उथलपुथल में उलझे दुनिया के एक बड़े हिस्से में सुगबुगाहट तेज हो गई है। लेकिन उससे ज्यादा माथापच्ची व्हाइट हाउस और अमेरिकी संसद के गलियारों में दिखाई दे रही है। जिनपिंग से होने वाली महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता से ठीक पहले अमेरिका के सांसदों ने बाइडन से कहा है कि वे दक्षिण चीन सागर का विशेष रूप से ध्यान रखें और वहां सेना की क्षमता बढ़ाते हुए उसके स्वतंत्र रहकर काम करने की भी चिंता करें।
सब जानते हैं कि दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी जारी है। उसे अपने प्रभाव में लेने के लिए उसने सामरिक पैंतरे अपनाए हुए हैं। ताजा उदाहरण वहां उसका फिलिपींस के जहाज का रास्ता रोकने, उस पर चेतावनी के गोले बरसाने का है। इसलिए बाइडन प्रशासन उस तरफ विशेष ध्यान रखे है। अब अमेरिका के सांसदों को लगता है कि शी जिनपिंग से इस मुद्दे पर सीधी बात भी हो और अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को लेकर उन्हें कोई संशय न रहे।
साथ ही अमेरिका के सांसदों ने यह अपील भी की है कि बाइडन अपने चीनी समकक्ष से नशीले पदार्थ फेंटेनाइल की गैरकानूनी तस्करी को रोकने की चर्चा करें। यहां बता दें कि चीन की ओर से यह नशीला पदार्थ अवैध तौर पर अमेरिकी बाजारों में खपाया जा रहा है और यह अमेरिकी युवाओं को तेजी से अपने शिकंजे में जकड़ता जा रहा है।
बाइडन और शी बुधवार को सैन फ्रांसिस्को में कल से ‘एपेक’ (एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग) की बैठक होने जा रही है। पिछले लंबे समय से दोनों देशों के बीच चले आ रहे ‘शीत युद्ध’ जैसे संबंधों की वजह से यह प्रस्तावित वार्ता विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। संभवत: इसीलिए सीनेट के नेता चक शूमर ने उल्लेख किया है कि इस्राएल-हमास युद्ध के बारे में राष्ट्रपति शी ईरान पर अपने प्रभाव का प्रयोग करें और उसको ऐसे किसी भी काम से दूर रखने को मनाएं जिससे यह तनाव बढ़ने की जरा भी शंका हो।
बाइडन और शी बुधवार को सैन फ्रांसिस्को में कल से ‘एपेक’ (एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग) की बैठक होने जा रही है। बहुत दिनों से कयास लगाया जा रहा था कि इस दौरान बाइडन की चीनी समकक्ष से सीधी बात होगी। पिछले लंबे समय से दोनों देशों के बीच चले आ रहे ‘शीत युद्ध’ जैसे संबंधों की वजह से यह प्रस्तावित वार्ता विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। संभवत: इसीलिए सीनेट के नेता चक शूमर ने उल्लेख किया है कि इस्राएल-हमास युद्ध के बारे में राष्ट्रपति शी ईरान पर अपने प्रभाव का प्रयोग करें और उसको ऐसे किसी भी काम से दूर रखने को मनाएं जिससे यह तनाव बढ़ने की जरा भी शंका हो। चक का कहना है कि वर्तमान तनाव को सीमित रखने में चीन नकारात्मक नहीं, बल्कि सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
उल्लेखनीय है कि चक शूमर की यह अपील उस चीन के नेता शी से है जिन्होंने 7 अक्तूबर (जब हमास द्वारा इस्राएल पर अचानक हमला बोला गया था) को लेकर एक बयान जारी किया था लेकिन उसमें जिनपिंग ने इस्राएल के आम नागरिकों के क्रूर नरसंहार की भर्त्सना नहीं की थी। शूमर ने उस बयान को लेकर अगले दिन कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। अब उनका कहना है कि राष्ट्रपति बाइडन इस बात पर मजबूत रहें कि ईरान तथा रूस को लेकर चीन सकारात्मक रुख अपनाए।
चक शूमर का मानना है कि यह वार्ता एक तरह से इस बात की कसौटी होगी कि राष्ट्रपति जिनपिंग अमेरिका के साथ सच में बेहतर संबंध बनाना चाहते हैं अथवा यह बस खानापूर्ति की बात होगी। उधर अमेरिकी सांसद रॉब विट्टमैन का कहना है कि राष्ट्रपति बाइडन को साफतौर पर यह संकेत दे देना होगा कि हमारा देश यह बिल्कुल नहीं चाहता कि चीन की सेना आक्रामक रवैया बनाए रखे।
अगर मुद्दो पर स्पष्टता नहीं रही तो दोनों देशों में बढ़ सकता है तनाव: सुलिवन
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन तथा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली वार्ता से पूर्व अमेरिकी एनएसए जैक सुलिवन का कहना है कि अगर कुछ मुद्दों पर रोक नहीं लगाई जाती तो कहीं ऐसा न हो कि अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष पैदा हो सकता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुलिवन का यह बयान इस वक्त अमेरिका में उथलपुथल मचाए हुए है। बाइडेन और जिनपिंग की वार्ता से ठीक पहले आया ऐसा बयान चीन के खेमे को भी चुभा हो सकता है। लेकिन सुलिवन अपनी जगह सही कहते हैं कि अमेरिका को यह मौका मिला है कि ताइवान जलडमरूमध्य में शांति तथा स्थिरता का प्रभावी इंतजाम किया जाए। ऐसे ही कुछ मुद्दे हैं जिन्हें हम गहन कूटनीति के जरिए काबू कर पाए हैं। ताइवान को लेकर चीन के आक्रामक तेवरों पर भी संभवत: चर्चा में कोई उल्लेख आए।
अमेरिकी एनएसए का यह कहना साफ समझ में आता है कि आज के संदर्भ में दोनों देशों के बीच रिश्ता जटिल तथा प्रतिस्पर्धी है, जिस पर यदि लगाम नहीं लगती तो इसे तनाव में बदलते देर नहीं लगेगी। सुलिवन के अनुसार, रिश्ते को असरदार ढंग से काबू करना राष्ट्रपति और उनके साथ काम करने वालों की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। सुलिवन के अनुसार, अमेरिका तथा चीन महत्व के तमाम विषयों पर आपस में सीधी बात कर सकते हैं। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कुछ मुद्दे भी सम्मिलित हैं।
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