मध्यप्रदेश का दमोह कन्वर्जन के मामलों को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है और एक बार फिर से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। इस घटना में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने प्रशासन से कार्रवाई करने के लिए कहा है।
एनसीपीसीआर के अनुसार आयोग को एक शिकायत प्राप्त हुई थी जिसमें लिखा गया था कि पता:303। कोटाताला ग्राम पंचायत माहताल जनपद पंचायत जिला दमोह में राजीव नथानियल नाम के व्यक्ति की समग्र परिवार आईडी (44478944) के अंतर्गत 18 नाबालिग बच्चे जो कि 12 से 17 वर्ष के आयुवर्ग के थे, पंजीकृत हैं। आयोग के अनुसार एक ही व्यक्ति की समग्र आईडी पर 18 बच्चों का पंजीकृत होना संदेह उत्पन्न करता है। इस शिकायत के आधार पर आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 7 नवंबर को उक्त स्थान का निरीक्षण किया तो हकीकत कुछ और निकली। वह वहां पहुंचे तो पाया कि कोई आवासीय भवन नहीं है बल्कि यह एक छात्रावास है और वह यहां का मैनेजर है। यह छात्रावास एक ईसाई संस्थान मिड इंडिया क्रिश्चियन सर्विसेस द्वारा संचालित किया जा रहा है।
जब वहां पर बच्चों के विषय में पूछा गया तो मैनेजर ने बताया कि अभी तो वहां पर कोई बच्चा नहीं है और जो बच्चे पंजीकृत थे, उन्हें ओडिशा से लाकर वहां रखा गया था। आयोग द्वारा जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में यह भी लिखा है कि पूर्व में भी उक्त संस्था अर्थात मिड इन्डियन क्रिश्चियन सर्विसेस द्वारा अवैध बालगृह संचालित करने पर उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गयी थी। यह रिपोर्ट इन अवैध कन्वजईन को लेकर दर्ज की गयी थी।
आयोग ने यह आशंका व्यक्त की है कि कहीं न कहीं यह मामला बच्चों की तस्करी का प्रतीत हो रहा है एवं समग्र आईडी में बच्चों के नाम गलत तरीके से दर्ज किए गए हैं। इसी संबंध में प्रियंक कानूनगो ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि एक ही आदमी के पहचानपत्र में 18 बच्चे दर्ज होना तो शंका उत्पन्न करता ही है, बल्कि एक ही आयु के 5 बच्चे होना असंभव ही, इसलिए वह स्वयं उस परिवार का निरीक्षण करने गए थे और वहां पर ईसाई मिशनरी का अवैध बालगृह चलता हुआ पाया और जिसके लिए विदेशों से चंदा लिया जा रहा है।
इस मामले में किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत कार्यवाही करने को कहा गया है। पत्र में आयोग ने संस्था के मैनेजर एवं पदाधिकारी, संचालक के विरुद्ध नियमों के अंतर्गत कार्यवाही सुनिश्चित करने के साथ ही संस्था प्रारम्भ होने से अभी तक की सभी उपलब्ध जानकारी माँगी है।
मध्य प्रदेश का दमोह क्षेत्र ईसाई मिशनरी ही नहीं बल्कि इस्लामिक कन्वर्जन को लेकर भी कई दिनों से चर्चा में बना हुआ है। एनसीपीसीआर द्वारा मामलों में कार्यवाही की जा रही है। अभी 4 नवम्बर को ही आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने X पर पोस्ट करते हुए उसी पुराने मामले में कार्यवाही के विषय में बताते हुए लिखा था कि दमोह में बालगृह के नाम पर बच्चों का कन्वर्जन करने वाले, बच्चों का दुर्व्यापार (तस्करी) करने वाले, बच्चों का शोषण करने वाले माफिया की तरह आपराधिक कृत्य करने वाले मिशनरी अजय लाल व अन्य के विरुद्ध उन्होंने गत वर्ष नवंबर महीने में थाना देहात दमोह में FIR दर्ज करवायी थी। उन्होंने लिखा था कि साक्षी के रूप में 6 नवम्बर को वह स्वयं न्यायालय में प्रस्तुत होकर साक्ष्य देने के लिए दमोह पहुँच रहे हैं।
ईसाई संस्था आधारशिला के बाल भवन की मान्यता हाल ही में रद्द की गयी थी।
यह दमोह ही है जहां पर छह महीने पहले हिन्दू बच्चियों को हिजाब पहनाने, उन्हें कलमा पढ़ाने एवं इस्लामी रीतिरिवाज सिखाने का मामला सुर्ख़ियों में रहा था और पाठकों को वह तस्वीरें भी याद होंगी जिनमें गंगा जमुना स्कूल के पोस्टर में हिन्दू लड़कियां हिजाब में देखी गई थीं। इस मामले में भी आयोग ने कार्यवाही की थी और फिलहाल स्कूल की मान्यता रद्द है, मगर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि इस मामले में जिन बच्चों ने शिकायत की उन बच्चों के परिवार को इन आरोपियों द्वारा धमकाया जा रहा है और कोर्ट में बयान बदलने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि आयोग ने संज्ञान लिया है और डीजीपी मध्यप्रदेश को कार्यवाही के लिए नोटिस जारी किया है।
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