कुपवाड़ा। कश्मीर में शक्तिपीठ मां शारदा देवी के मंदिर में 75 साल बाद दिवाली मनाई गई। टीटवाल गांव दीपकों से जगमगा उठा। भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान ने कबाइली घुसपैठ की आड़ में 1947 में हमला किया था। शारदा मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया था। पाकिस्तानी घुसपैठियों ने एक धर्मशाला और गुरुद्वारे को जला दिया था।
रविवार को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के टीटवाल गांव में मिट्टी के दीए जले। 75 वर्षों में माता शारदा देवी मंदिर में पहली बार दिवाली मनी। मंदिर में प्रार्थना की गई। दिवाली की पूजा के बाद लोग मंदिर के बाहर एकत्र हुए और पटाखे फोड़े। सेव शारदा समिति के प्रमुख और संस्थापक रविंदर पंडिता ने बताया कि 75 साल में ऐसा पहली बार हुआ है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि दिवाली उसी तरह मनाई जा रही है जैसे 75 साल पहले मनाई जाती थी। इस मंदिर का उद्घाटन जीर्णोद्धार के बाद 22 मार्च को किया गया था। उन्होंने सरकार से करतारपुर साहिब की तरह शारदा पीठ खोलने की भी अपील की। शारदा पीठ नीलम नदी के किनारे है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हिंदुओं की दो शक्ति पीठ हैं- हिंगलाज मंदिर और शारदा पीठ।
शारदा पीठ, भारत की सनातन संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान है और यह ज्ञान का एक अद्भुत केंद्र रहा है। स्वयं आदि शंकराचार्य भी ज्ञान पाने के लिए यहीं गए थे और कश्मीर के लिए भी मां शारदा सांस्कृतिक-आध्यात्मिक चेतना की केंद्र रही हैं। मां शारदा को ‘कश्मीर पुरवासिनी’ भी कहा जाता है और वे कश्मीर के लोगों की कुलदेवी भी हैं। शारदा लिपि भी मां शारदा के ही नाम पर है।
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