सुप्रीम कोर्ट से कड़ी फटकार के बावजूद पंजाब में पराली जलने के मामलों में कोई कमी नहीं आई है। बुधवार को राज्य में पराली जलने के 2003 मामले सामने आए। राज्य में अब तक कुल 22981 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।
बुधवार को बठिंडा के साथ मंडी गोबिंदगढ़ का एक्यूआई भी बेहद खराब श्रेणी में रहा। बुधवार को बठिंडा का एक्यूआई 348, मंडी गोबिंदगढ़ का 338, जालंधर का 266, खन्ना का 253, लुधियाना का 292 और पटियाला का 267 दर्ज किया गया। लगातार बढ़ रहे एक्यूआई से बच्चों, बुजुर्गों व पहले से बीमार मरीजों को सेहत संबंधी समस्याएं हो रही हैं।
इसे कहते हैं दीपक तले अंधेरा, राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान के जिले संगरूर में ही सबसे अधिक पराली जलाने के 466 मामले सामने आए हैं। इसके अलावा बठिंडा में 221, फरीदकोट में 150, मानसा में 131, पटियाला में 106, जालंधर में 90, तरनतारन में 41, लुधियाना में 96, फिरोजपुर में 103 और मोगा में 89 मामले रिपोर्ट किए गए। संगरूर में अब तक कुल 4070 मामले आए हैं, जो राज्य में सर्वाधिक हैं। 2176 मामलों के साथ फिरोजपुर दूसरे और 1888 के साथ तरनतारन तीसरे स्थान पर है। इस साल के कुल 22981 मामलों की तुलना में साल 2021 में इस समय तक कुल 42330 और साल 2022 में 33090 मामले रिपोर्ट हो चुके थे। पराली के धुएं ने पंजाब में सूर्य देव के दर्शन दीदार भी फीके कर दिए हैं। अस्पतालों में सांस, हृदय रोग, दमे, एलर्जी, खांसी-जुकाम के केस बढ़ते हुए बताए जा रहे हैं।
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