मुंबई। आतंकी संगठन आईएसआईएस के पुणे मॉड्यूल की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। एनआईए मामले की जांच कर रही है। जांच के दौरान और आतंकियों से पूछताछ में पता चला है कि सभी संदिग्ध आतंकियों ने उच्च शिक्षा ली है और बड़ी आईटी कंपनी में काम करते थे। गोपनीयता बनाए रखने के लिए कोडवर्ड में आपस में बातचीत करते थे। इन सभी संदिग्ध आतंकियों से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) गहन छानबीन कर रही है। एनआईए ने कोर्ट को आरोप पत्र के माध्यम से कई जानकारी दी है।
सूत्रों के अनुसार एनआईए को पूछताछ के दौरान पता चला है कि सभी संदिग्ध आतंकी उच्च शिक्षित हैं और लाखों रुपये कमाते थे। जुल्फिकार अली एक बड़ी आईटी कंपनी में काम करता था। उसकी सालाना सैलरी 31 लाख रुपये थी। शाहनवाज शैफुजामा माइनिंग इंजीनियर था, इसलिए उसे विस्फोटकों की अच्छी जानकारी थी। इसी तरह तीसरा संदिग्ध आतंकी कादिर पठान पुणे में ग्राफिक डिजाइनर के तौर पर काम करता था। उसने अपने दो सहयोगियों इमरान खान और यूनुस साकी को भी ग्राफिक्स सिखाया था।
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एनआईए ने आरोप पत्र के माध्यम से कोर्ट को जानकारी दी है कि यह सभी संदिग्ध आतंकी अपनी पहचान छिपाए रखने के लिए अलग-अलग काम करके पैसे कमा रहे थे। मोहम्मद नाम का हैंडलर उन्हें ऑपरेट करता था। इसके अलावा आरोपियों ने आईईडी बम बनाने का काम युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया था। इन आरोपियों ने केमिकल विस्फोटक बनाने के लिए केमिकल खरीदा था। वे रसायनों के लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल कर रहे थे।
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सूत्रों के अनुसार संदिग्ध आतंकी सल्फ्यूरिक एसिड के लिए कोड वर्ड विनेगर का इस्तेमाल कर रहे थे। इसी तरह रसायन एसीटोन के लिए गुलाब जल और हाइड्रोजन पेरोक्साइड के लिए शर्बत कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे। एनआईए ने यह भी कहा है कि आरोपियों ने सिलसिलेवार बम विस्फोट या बड़े पैमाने पर जनहानि करके आतंक पैदा करने की साजिश रची थी। आतंकियों ने पुणे शहर में सिलसिलेवार बम धमाके करना चाहते थे। इसके लिए आतंकवादियों को सीधे सीरिया से निर्देश मिल रहे थे।
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