नई दिल्ली में एक ऐसी अहम बैठक होने जा रही है जिसकी सिर्फ भारत के सत्ता अधिष्ठान में ही चर्चा नहींं है, बल्कि विश्व के महत्वपूर्ण देश भी कल होने वाली इस 2—2 वार्ता पर टकटकी लगाए हुए हैं। राजधानी में कल यानी 10 अक्तूबर को होने वाली इस वार्ता में भारत के दो वरिष्ठ मंत्री और अमेरिका के दो वरिष्ठ मंत्री भाग लेने वाले हैं।
भारत के विदेश विभाग ने इस बारे में एक विशेष बयान जारी करके बताया है कि भारत की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा विदेश मंत्री एस. जयशंकर वार्ता में शामिल होंगे तो अमेरिका का प्रतिनिधित्व वहां के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तथा विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन करेंगे।
असल में यह 2—2 मंत्रियों की बैठक पहले भी हो चुकी है। इसमें भारत और अमेरिका मिलकर दोनों देशों में सहयोग को और मजबूत करने की संभावनाओं पर चर्चा करते हैं। लेकिन इस बार इसमें वैश्विक परिस्थितियों पर गहन विचार विमर्श के अलावा रक्षा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिए जाने की पूरी संभावना है। कल शुक्रवार को विदेश और रक्षा मंत्रियों की उपस्थिति बताती है कि सामरिक दृष्टि से यह बैठक कितनी महत्वपूर्ण होने वाली है।
कल इसी संबंध में अमेरिका के विदेश विभाग ने भी बयान जारी करके बताया था कि 10 नवम्बर को नई दिल्ली में होने वाली भारत-अमेरिका 2—2 मंत्रिस्तरीय वार्ता सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के विषय को केन्द्र में रखेगी। अमेरिकी विदेश विभाग में उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कल पत्रकारों को बताया कि वर्तमान में भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी महत्वपूर्ण है।
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन पहले भी अनेक अवसरों पर भारत आकर अपने समकक्षों से चर्चा कर चुके हैं और इससे इन मंत्रियों की भारत को लेकर ये धारणाएं और प्रगाढ़ हुई हैं कि धरती के हिस्से में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो तेजी से बदलते हुए विश्व में प्रमुख भूमिका निभाने को तैयार है।
व्हाइट हाउस की तरफ से इस संबंध में विज्ञप्ति जारी करके कहा गया है कि ‘भारत तथा अमेरिका महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार हैं’। यहां उल्लेखनीय है कि यह भारत की कूटनीति ही है कि अमेरिका अन्य देशों की तरह अपनी मंशा हम पर नहीं थोपता है। और व्हाइट हाउस के उक्त बयान से भी यह स्पष्ट है जिसमें उसने कहा है कि ‘मध्य पूर्व के साथ ही दुनिया की वर्तमान स्थिति पर नई दिल्ली का मत उसे ही तय करना है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता का यह कहना मायने रखता है कि मंत्रियों के बीच यह चर्चा दोनों देशों के मध्य रक्षा क्षेत्र में सहयोग और भागीदारी के सिद्धांतों को पहले से और गहरा करेगी। विश्व राजनीति, इस्राएल—हमास, रूस—यूक्रेन जैसे अनेक विषयों पर भी मंथन संभव है, लेकिन फोकस द्विपक्षीय हित को साधते हुए भविष्य की दृष्टि पर ही रहने वाला है।
पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में पटेल का कहना था कि 2023 की शुरुआत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका आए थे, उस यात्रा में कुछ विषय सामने आए थे। ऐसे कुछ विषयों पर चर्चा के लिए दोनों अमेरिकी मंत्री दिल्ली जा रहे हैं।
उधर व्हाइट हाउस की तरफ से इस संबंध में विज्ञप्ति जारी करके कहा गया है कि ‘भारत तथा अमेरिका महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार हैं’। यहां उल्लेखनीय है कि यह भारत की कूटनीति ही है कि अमेरिका अन्य देशों की तरह अपनी मंशा हम पर नहीं थोपता है। और व्हाइट हाउस के उक्त बयान से भी यह स्पष्ट है जिसमें उसने कहा है कि ‘मध्य पूर्व के साथ ही दुनिया की वर्तमान स्थिति पर नई दिल्ली का मत उसे ही तय करना है। व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी जॉन किर्बी ने माना कि भारत अमेरिका का एक रणनीतिक साझीदार देश है और यह चीज प्रधानमंत्री मोदी की पिछली अमेरिका यात्रा के दौरान साफ झलकी भी थी।
संभवत: इस्राएल और यूक्रेन के संदर्भ में पूछे गए सवाल के जवाब में किर्बी का यह कहना भारत की बढ़ती ताकत को दिखाता है कि भारत की सरकार और प्रधानमंत्री को तय करना है कि मध्य पूर्व सहित विश्व में किसी भी संकट विशेष अथवा घटना पर वे क्या मत बनाएं। लेकिन यह तय है कि अमेरिका भारत के साथ अपनी इस साझेदारी को आगे ले जाने को प्रतिबद्ध है।
इधर भारत के विदेश विभाग का कहना है कि इस 2—2 मंत्रियों की महत्वपूर्ण वार्ता में रक्षा सहयोग के विभिन्न आयामों, प्रौद्योगिकी में सहयोग तथा पीपुल टू पीपुल संबंधों के बारे में अब तक हुई प्रगति पर नजर डाली जाएगी। दोनों देशा के विदेश और रक्षा मंत्री प्रधानमंत्री मोदी तथा राष्ट्रपति बाइडन की तरफ से भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर खींचे गए खाके पर बात करके उसे अमल में लाने के रास्ते तलाशेंगे। बैठक में संयुक्त राष्ट्र, क्वाड तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों में आपसी तालमेल पर भी चर्चा की जा सकती है।
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