भारत में यूरोपीय संघ ने अपना मिलिट्री अटैशे नियुक्त किया है। भारत की नजर से यह एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है। यह दिखाता है कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं और रक्षा सहयोग पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रगति कर रहा है।
इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि भारत तथा यूरोपीय संघ ने मिलकर समुद्री सुरक्षा सहयोग की मजबूती के लिए अभी 24 अक्तूबर को ही गिनी की खाड़ी में पहली बार संयुक्त नौसैन्य अभ्यास किया था। इससे पहले, ब्रुसेल्स में 5 अक्तूबर को भारत-यूरोपीय संघ समुद्री सुरक्षा वार्ता का तीसरा दौर आयोजित किया गया था। इन दो महत्वपूर्ण घटनाक्रमों के बाद ही, यूरोपीय संघ ने नई दिल्ली स्थित अपने मिशन में एक स्थायी मिलिट्री अटैशे रखने का फैसला कर लिया था।
दरअसल यूरोपीय संघ के अंतर्गत 27 सदस्य देश हैं। यह भारत की कूटनीतिक सफलता ही कही जाएगी कि इन लगभग सभी देशों के साथ उसने संबंध सुधारे हैं। रक्षा का क्षेत्र ऐसा है जिसमें दोनों पक्ष आपस में बहुत भरोसे के साथ ही आगे बढ़ते हैं। ऐसे में भारत के अपने मिशन में एक स्थायी सैन्य अटैशे की नियुक्ति की है। यूरोपीय संघ—भारत संबंधों में ऐसा पहली बार हो रहा है इसलिए यह ऐतिहासिक निर्णय ही कहा जाएगा।
महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व के कुछ ही देश हैं जहां अपने मिशन में यूरोपीय संघ ने अपना सैन्य अटैशे रखा हुआ है। नए सैन्य अटैशे ने गत दिनों नई दिल्ली स्थित यूरोपीय संघ के मिशन में पद संभाला है। यूरोपीय संघ का सबसे पहला सैन्य अटैशे अमेरिका में 2020 में रखा गया था। विश्व के 15 से भी कम देशों में यूरोपीय संघ के मिलिट्र अटैशे तैनात हैं। अब भारत भी उसके साथ इस दर्जे के संबंध रखने वाले देशों में से एक बना है।
विश्व के अन्य देशों के साथ जिस तरह भारत ने संबंधों में गर्मजोशी भरी है वैसे ही यूरोपीय संघ भी भारत के नजदीक आया है। दोनों के बीच गत कुछ वर्ष में रणनीतिक संबंधों पर बहुत काम हुआ है। विदेश मंत्री जयशंकर के यूरोप दौरों में इन संबंधों को और मजबूत बनाने की राह तलाशी गई है। और संबंध ऐसे सुधरे हैं कि रक्षा में आपसी सहयोग किया जा रहा है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व के कुछ ही देश हैं जहां अपने मिशन में यूरोपीय संघ ने अपना सैन्य अटैशे रखा हुआ है। नए सैन्य अटैशे ने गत दिनों नई दिल्ली स्थित यूरोपीय संघ के मिशन में पद संभाला है। यूरोपीय संघ का सबसे पहला सैन्य अटैशे अमेरिका में 2020 में रखा गया था। विश्व के 15 से भी कम देशों में यूरोपीय संघ के मिलिट्र अटैशे तैनात हैं। अब भारत भी उसके साथ इस दर्जे के संबंध रखने वाले देशों में से एक बना है।
किसी मिशन या दूतावास में सैन्य अटैशे का काम होता है उस देश के साथ रक्षा के क्षेत्र में आगे सहयोग को पुख्ता करना और सैन्य नजरिए से मददगार साबित होना। भारत के साथ ही, यूरोपीय संघ की योजना हिंद-प्रशांत इलाके के कुछ और देशों में रक्षा क्षेत्र में संभावनाएं तलाशकर सैन्य सहयोग बढ़ाने की है।
गत वर्ष फ्रांस की राजधानी परिस में संयुक्त राष्ट्र की मंत्री स्तरीय बैठक हुई थी, इस बैठक में हिन्द—प्रशांत क्षेत्र में रणनीति को लेकर विस्तार से चर्चा की गई थी। उसमें यूरोपीय संघ ने इस क्षेत्र में भविष्य की अपनी योजनाओं पर प्रकाश डाला था। इसी तरह 2021 में सितम्बर माह में यूरोपीय संघ ने हिन्द्र—प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक, राजनीतिक तथा रक्षा क्षेत्रों में आपसी संबंधों को और मजबूत करने वाली अपनी नीतियों का खुलासा भी किया था।
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