पता चला है कि झारखंड में तैनात प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को विभिन्न जांचों से दूर रखने के लिए कई तरह के षड्यंत्र होटवार जेल से रचे जा रहे थे। इस मामले में ईडी ने होटवार जेल में छापेमारी कर कई सबूत इकट्ठे किए हैं। इसी के तहत आज ईडी ने होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार के जेल अधीक्षक हमीद अख्तर, जेलर नसीम खान और लिपिक मोहम्मद दानिश को ईडी ने समन जारी किया है। इन तीनों पर सबूत मिटाने और ईडी के गवाहों को धमकाने का आरोप है।
झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बाद अब कुछ लोग गवाह को धमकाने और ईडी के अधिकारियों को ही फंसाने की साजिश रच रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह साजिश रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में रचा जा रहा है। इसी कारागार में झारखंड मे अवैध खनन, जमीन घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कई आरोपी बंद हैं। हालांकि ईडी को जैसे ही इस मामले की जानकारी मिली 3 नवंबर की शाम अचानक होटवार जेल में छापेमारी की गई।
बता दें कि प्रदेश में अवैध खनन, जमीन घोटाले और अवैध खनन समेत कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच से जुड़े ईडी के अधिकारियों को फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश रचने और ईडी के गवाहों को धमकी देने की सूचना मिली थी। इसके लिए जेल एक अंदर से नक्सलियों और अमन साव के गिरोह से संपर्क साधा जा रहा था। इसका खुलासा तब हुआ जब कुछ महीने पहले ही एक अधिकारी को धुर्वा में एसटी-एससी केस में फंसाने की कोशिश हुई थी। इसके साथ ही दो महिलाओं को भी अधिकारियों पर मामला दर्ज करने के लिए तैयार किया गया था। हालांकि जैसे ही इसकी भनक एजेंसी को लगी इस साजिश को नाकाम कर दिया गया। इसके साथ ही ईडी के गवाहों को भी जान से मारने कि धमकी मिल रही थी। इसी क्रम में अवैध खनन मामले में अहम गवाह विजय हांसदा अब गवाही देने से पीछे हट रहे हैं। इसके साथ ही कुछ गवाहों ने ईडी को बताया है कि उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। अभी हाल ही में देवघर जिले के एक गवाह को भी जान से मारने की धमकी दी गई थी। उसने भी ईडी के समक्ष अपना बयान दर्ज करवाया था। इसकी जानकारी मिलते ही ईडी ने इसकी जांच शुरू कर दी। इसी जांच के क्रम में पता चला कि इसकी साजिश बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से की जा रही है और इस साजिश में अवैध खनन एवं जमीन घोटाले में शामिल प्रेम प्रकाश, अमित अग्रवाल समेत अन्य कैदियों की भूमिका भी सामने आई है। इसके साथ ही जेल प्रशासन द्वारा भी जेल में बंद हाई प्रोफाइल आरोपियों को मदद पहुंचाने की बात सामने आ रही है। सिर्फ इतना ही नहीं, झारखंड में ईडी के निशाने पर वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी हैं।
निगरानी पर थे कई मोबाइल नंबर
ईडी को इस बात की सूचना मिली थी कि उसके अधिकारियों को झूठे मुकदमे में फंसाने की साजिश रची जा रही है, ताकि जांच को प्रभावित किया जा सके। इसके अलावा उन मामलों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही थी जिनमें ईडी अवैध खनन, जमीन घोटाला और मनरेगा घोटाला की जांच कर रही है। इसके लिए जेल से ही पुलिस अधिकारियों से संपर्क स्थापित किया जा रहा था। इसका उद्देश्य संबंधित प्राथमिकी में उन धाराओं को गलत साबित करना है, जो धाराएं पीएमएलए के दायरे में आती हैं। इसके साथ ही ईडी के गवाहों को भी धमकी देने का मामला आया। इसके बाद कारागार के अंदर और बाहर इस्तेमाल हो रहे कई मोबाइल नंबर निगरानी पर रखे गए थे। जांच एजेंसी के अधिकारियों ने इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी सूचना दे दी है। इसी दौरान कई लोंगों की गतिविधियों पर नजर रखी गई थी। इसकी पुष्टि के बाद ईडी ने सभी मामलों को न्यायालय के समक्ष रखकर उनके आदेश से छापेमारी की कार्रवाई की।
प्रवर्तन निदेशालय तक नहीं पहुंच पा रहे थे जेल में बंद कैदियों के पत्र, कई अहम दस्तावेज भी गायब
ईडी की जांच में पता चला है कि प्रेम प्रकाश सहित कई हाई प्रोफाइल कैदियों की गतिविधियों को लेकर जेल में बंद कैदियों ने ईडी से पत्राचार की कोशिश की थी लेकिन जेल प्रशासन ने उन पत्रों को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों तक पहुंचने ही नहीं दिया और कैदियों द्वारा की गई शिकायतों का रिकॉर्ड को गायब कर दिया गया। हालांकि बंदी रजिस्टर में कैदियों द्वारा प्रेम प्रकाश एवं अन्य के खिलाफ शिकायत करने का उल्लेख है।
इसके बाद ईडी ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में करीब 7 घंटे तक सीसीटीवी फुटेज को खंगाला और 18 घंटे का सीसीटीवी फुटेज पेन ड्राइव में अपने साथ ले गई है। इसी जांच में यह भी पता चला कि कैदियों से मुलाकात करने आने वालों के सीसीटीवी फुटेज को मिटा दिया गया है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार ने झारखंड सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था पर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रदेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था नष्ट हो चुकी है, अराजकता का माहौल है, जांच करने वाले अधिकारियों को भी नक्सलियों और अपराधियों के माध्यम से डराने की कोशिश की जा रही है। एक तरफ खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, दूसरी तरफ जांच करने वाले अधिकारियों को धमकी भी मिल रही है। ऐसा लगता है कि झारखंड में लोकतंत्र नाम की चीज बची ही नहीं है।
ईडी के अधिकारियों की बढ़ाई गई सुरक्षा
मामले के सामने आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रांची में तैनात ईडी की पूरी टीम की सुरक्षा व्यवस्था का आकलन करने का निर्देश झारखंड पुलिस मुख्यालय को दिया है। इस बीच रांची में ईडी अधिकारियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती सभी अधिकारियों के घर पर भी की गई है। इसके साथ ही अधिकारियों को अंगरक्षक भी मुहैया कराए गए हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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