पंजाब अराजकता का शिकार होता नजर आने लगा है। पराली लोगों की जान ले रही है तो सरकार मूकदर्शक बनकर सब देख रही। आम लोग उसी तरह बेबस नजर आने लगे हैं जैसे कि दिल्ली में चले किसान आंदोलन के दौरान दिखे थे। राज्य में धान की कटाई में तेजी आने के साथ पराली जलाने के मामलों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों अनुसार, रविवार 5 नवंबर को इस सीजन के एक दिन में पराली जलाने के सबसे ज्यादा 3,230 मामले सामने आए। इनमें से सबसे ज्यादा 551 मामले मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के जिले संगरूर से हैं।
विभिन्न शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक बठिंडा 365, जालंधर 256, खन्ना 254, पटियाला 253, लुधियाना 235 और का अमृतसर 176 हो गया है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी कर दी है। लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी गई है। एडवाइजरी में बच्चों, बुजुर्गों, शुगर, दिल व अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को खास ख्याल रखने को कहा गया है।
पराली लोगों का खून भी पीती दिख रही है। राज्य के मोगा जिले के गांव अजीतवाल के पास एक सड़क हादसे में दूल्हे समेत चार लोगों की मौत हो गई। बरात फाजिल्का से लुधियाना के बद्दोवाल जा रही थी। दूल्हे की कार अजीतवाल के पास खड़े ट्राले में जा घुसी। लोगों ने बताया कि सुबह छह बजे के करीब यह हादसा धुएं और धुंध की वजह से हुआ है। सोमवार सुबह भी मोगा के पास सड़क दुर्घटना में 5 युवकों की मौत हो गई। इसके कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है परंतु आशंका यही व्यक्त की जा रही है कि स्मॉग के कारण हादसा हुआ है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में इस तरह की कई दुर्घटनाओं की खबरें आ रही हैं, जिनमें लोग जख्मी हो रहे हैं।
अधिकारियों से ही पराली में आग लगवा रहे किसान
कमजोर सरकार के कारण विभिन्न किसान संगठन मनमानी कर रहे हैं। पराली जलाने से रोकने, किसानों को समझाने के लिए गांवों में जाने वाले अधिकारियों को बंधक बनाया जा रहा है। बंधक अधिकारियों को ही पराली जलाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। शनिवार को जिला प्रशासन की एक टीम गांव बुर्ज महमा पहुंची थी। जैसे ही अधिकारी गांव पहुंचे, वहां भारतीय किसान यूनियन के नेता राम सिंह और अन्य किसानों ने अधिकारियों को घेर लिया और विरोध करने लगे। अधिकारी कहते रहे कि आप ऐसा मत करो। सरकार व जिला प्रशासन के नियमों का पालन करो, पराली को आग न लगाओ लेकिन किसानों ने उनकी एक न सुनी और जबरदस्ती माचिस हाथ में पकड़वाकर पराली को आग लगवा दी। इतना ही नहीं किसानों ने कहा कि जब भी कोई अधिकारी उनके गांव में आएगा तो वह ऐसे ही उससे पराली जलवाएंगे। तरनतारन, अमृतसर, मोगा, मानसा आदि अनेक जिलों में किसान यूनियनों द्वारा पराली जलाने के बाद अराजकता फैलाने की घटनाएं सामने आई हैं। आम आदमी ‘आम आदमी पार्टी’ की सरकार की छत्रछाया में अपने आप को असहाय व ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
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