कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) की अभी उस समय वैश्विक स्तर पर निंदा हुई थी जब उन्होंने खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में भारत पर आरोप लगाया था। इसके सबूत वे आज तक नहीं दे पाए। अब उन्होंने हिंदुओं के प्रतीक चिह्नों, सनातन प्रतीकों पर हमला करना शुरू कर दिया है। ट्रूडो ने स्वास्तिक को नफरत फैलाने वाला चिह्न बता दिया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि – जब हम घृणित भाषा और कल्पना देखते या सुनते हैं, तो हमें इसकी निंदा करनी चाहिए। पार्लियामेंट हिल पर किसी व्यक्ति द्वारा स्वास्तिक का प्रदर्शन अस्वीकार्य है। कनाडाई लोगों को शांतिपूर्वक इकट्ठा होने का अधिकार है – लेकिन हम यहूदी विरोधी भावना, इस्लामोफोबिया या किसी भी प्रकार की नफरत को बर्दाश्त नहीं कर सकते।
जस्टिन ट्रूडो एक तो खालिस्तान समर्थकों पर कार्रवाई नहीं करते, ऊपर से भारत को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करते हैं और अब पूरी पृथ्वी को एक परिवार की तरह मानने वाले और विश्व शांति की अलख जगाने वाले सनातन धर्म पर वह प्रहार करते हैं। हर हिंदू के घर में पूजे जाने वाले स्वास्तिक चिह्न को उन्होंने नफरत फैलाने वाला बता दिया। शायद वह स्वास्तिक और नाजियों के चिह्न में अंतर नहीं जानते। शायद वह यह नहीं जानते कि यहूदियों का नरसंहार नाजियों ने किया था, हिंदुओं ने नहीं, कश्मीर में जो नरसंहार हुआ था वह इस्लामिक कट्टरपंथियों ने किया था, हिंदुओं ने नहीं, केरल के मोपला में जो नरसंहार हुआ था वह इस्लामिक कट्टरपंथियों ने किया था, हिंदुओं ने नहीं।
सोशल मीडिया पर जस्टिन ट्रूडो की कड़ी आलोचना और निंदा की जा रही है। उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि नाजियों के चिह्न और हिंदुओं के प्रतीक चिह्न स्वास्तिक में फर्क समझ लीजिए। वे यह भी भूल गए कि भारत में यहूदी प्रेम के साथ रहते हैं। वे भारत में जितना सुरक्षित हैं, उतना और कहीं नहीं। उनका पूजा स्थल भी भारत के हृदय यानि दिल्ली में बना हुआ है। फ्रांस से भी ताजा मामला सामने आया है। एक यहूदी महिला पर चाकू से हमला किया गया। उसके पास नाजी चिह्न छोड़ा गया।
भारत सहित दुनियाभर में रहने वाले हिंदू हर पर्व-त्यौहार और धामिर्क मौके पर स्वास्तिक का चिह्न बनाते हैं। ये सौभाग्य का प्रतीक है। शांति और समृद्धि का प्रतीक है। अमेरिका, चीन, जापान, ब्रिटेन ही नहीं, अरब देशों में भी हिंदू इस पवित्र सनातक प्रतीक को अपने घरों पर बनाते हैं और पूजा करते हैं।
ये है नाजियों का हकेनक्रेज
नाजियों और हिटलर ने जिस चिह्न को अपनाया वह स्वास्तिक से बिल्कुल अलग है। यह सफेद गोले के भीतर काला चिह्न है, जिसे जर्मनी में हकेनक्रेज कहते हैं। इसे हुक्ड कॉस भी कहते हैं। यह 45 डिग्री पर झुका हुआ होता है। स्वास्तिक की तरह इसमें न तो चार बिंदु होते हैं और न ही चारों कोनों में ध्वज रहते हैं। डॉ डेनियल लाफेरियर ने एक किताब लिखी है, उसका नाम है द साइन ऑफ क्रॉस। इसमें वह लिखते हैं कि ऑस्ट्रिया में रहते हुए हिटलर ने हुक्ड क्रॉस देखा होगा और इसे तोड़-मरोड़कर अपना लिया होगा। पश्चिमी मीडिया ने जान-बूझकर स्वास्तिक और हकेनक्रेज के अंतर को छिपाए रखा। हकेनक्रेज नफरत का प्रतीक है, लेकिन स्वास्तिक शांति, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है।
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