इटानगर। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में अरुणाचल “प्रार्थना उत्सव” के दौरान बच्चों की बीमारियों को ठीक करने के लिए जादुई उपचार का उपयोग करने के आरोपित पादरी पॉल दिनाकरन के खिलाफ महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने जांच शुरू करने का निर्देश दिया है। स्थानीय अधिकारियों से पादरी पॉल दिनाकरन के खिलाफ उचित कार्रवाई करने को कहा है।
सीपीसीआर अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित, एनसीपीसीआर के पास बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 सहित बच्चों से संबंधित विभिन्न कानूनों के कार्यान्वयन की निगरानी करने का निर्देश दिया।
सोशल जस्टिस फोरम ऑफ अरुणाचल (एसजेएफए) द्वारा दायर एक शिकायत के जवाब में आयोग ने कहा कि “पादरी पॉल दिनाकरन अलौकिक शक्तियों का उपयोग करके बीमारियों को ठीक करने का दावा कर रहा था। इतना ही नहीं उन्होंने दर्शकों के सामने उन बच्चों को भी प्रस्तुत किया जिनके ठीक होने का पादरी ने दावा किया था।” शिकायत में इन गतिविधियों के फोटो और वीडियो साक्ष्य शामिल किये गये हैं।
एनसीपीसीआर इस मामले को बेहद गंभीरता से देख रहा है, क्योंकि उसका मानना है कि पादरी पॉल दिनाकरन की हरकतें ड्रग्स एंड मैजिकल रेमेडीज़ एक्ट-1954 का उल्लंघन हैं और वनवासी बच्चों को सार्वजनिक समारोहों में शामिल कर अंध विश्वास का प्रचार करता है। सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 (1) (जे) के अनुसार, आयोग ने मामले की जांच शुरू कर दी है, आयुक्त अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो द्वारा राज्य के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को जारी एक नोटिस प्रेषित किया गया है।
आयोग ने स्थानीय अधिकारियों से वीडियो और फोटोग्राफिक साक्ष्यों के आधार पर पादरी पॉल दिनाकरन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह किया है। इसके अलावा, अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि वे पादरी द्वारा ठीक किए गए बच्चों की पहचान करें और उन्हें व्यापक चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए सरकारी अस्पतालों में रेफर करें, ताकि किसी भी बीमारी या मनोवैज्ञानिक संकट की पहचान और उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
एनसीपीसीआर ने स्थानीय अधिकारियों से कार्रवाई रिपोर्ट जमा करने के लिए सात दिनों की समय सीमा तय की है, जिसमें एफआईआर कॉपी, बच्चों और उनके माता-पिता के बयान और प्रासंगिक रिकॉर्ड शामिल हैं।
टिप्पणियाँ