लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को समन भेजने वाले एसडीएम (न्यायिक) को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही वहां के पेशकार को भी निलंबित किया गया है।
हाल ही में एक मामले में बदायूं जनपद के एसडीएम (न्यायिक) ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को पक्षकार मानते हुए समन जारी कर दिया था। जैसे ही राज्यपाल को समन करने की सूचना राजभवन को मिली। राज्यपाल के विशेष सचिव ने बंदायू जनपद के जिलाधिकारी को पत्र लिख कर कड़ी आपत्ति जाहिर की। विशेष सचिव की तरफ से संविधान में दी गई व्ययस्था का हवाला देते हुए स्पष्ट किया गया कि किसी भी वाद में राज्यपाल को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता।
जानकारी के अनुसार, बंदायू जनपद के बहेड़ी गांव में ढाई बीघा भूमि का विवाद है। वहां के चंद्रहास नाम के व्यक्ति ने एसडीएम (न्यायिक) विनीत कुमार की कोर्ट में वाद दायर किया। वादी चन्द्रहास का आरोप है उनकी चाची कटोरी देवी की भूमि उनके रिश्तेदार ने धोखाधड़ी से अपने नाम पर करा ली है। उस भूमि को लेखराज नाम के व्यक्ति ने कूटरचना करके अपने नाम करा ली। अभी कुछ समय पहले उस ढाई बीघा भूमि का सरकार ने अधिग्रहण कर लिया। अधिग्रहण के बाद उसका मुआवजा करीब 15 लाख रुपये लेखराज ने लिया। चंद्रहास ने अपने वाद में लेखराज, अधिग्रहण करने वाले लोक निर्माण विभाग और राज्यपाल को पक्षकार बनाया। इस वाद के दाखिल होने के बाद एसडीएम ( न्यायिक) और उनके पेशकार ने राज्यपाल को पक्षकार मानते हुए समन भेज दिया था।
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