स्वामिनारायण वड़तालधाम द्वारा संचालित ‘गोकुलधाम’ की स्थापना 2004 में हुई। इसका परिसर 22 एकड़ में फैला है। यहां शिक्षा, सेवा, पर्यावरण संरक्षण, संस्कार और रोजगार के अनेक प्रकल्प चलते हैं
मणिपुर में जारी हिंसा में अब तक सैकड़ों लोग मारे गए हैं और लाखों लोग बेघर हो गए हैं। अनगिनत घरों, दुकानों, यहां तक कि अस्पतालों और विद्यालयों को भी आग के हवाले कर दिया गया। सैकड़ों बच्चे अनाथ हो गए। कई संगठन इन बच्चों की देखरेख कर रहे हैं, पर ये बच्चे पढ़ नहीं पा रहे थे। ऐसे में ‘स्वामिनारायण गोकुलधाम’ नामक संस्था ने मैतेई समाज के 50 बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी ली है। यह संस्था गुजरात में आणंद जिले की पेटलाद तहसील के नार गांव में कार्यरत है।
इन बच्चों में से किसी के पिता नहीं हैं तो किसी की मां नहीं है। कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनके माता-पिता दोनों ही हिंसा का शिकार हुए। इसलिए इनकी शिक्षा पूरी तरह रुक गई थी। यही कारण है कि इन बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए गोकुलधाम लाया गया। ये बच्चे तीसरी से छठी कक्षा तक के हैं। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की मणिपुर इकाई ने इन बच्चों की चिंता की। विहिप के कार्यकर्ताओं ने गोकुलधाम के संस्थापक स्वामी सुखदेव प्रसाद दास जी से संपर्क किया। इसके बाद यह तय किया गया कि मणिपुर के हिंसा पीड़ित मैतेई बच्चों की शिक्षा गोकुलधाम में नि:शुल्क होगी। इसके बाद आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी की गई और बच्चों को गोकुलधाम लाया गया।
लगभग एक महीना पहले आए इन बच्चों का नामांकन हो गया है और इनकी विधिवत पढ़ाई भी शुरू हो गई है। स्वामी सुखदेव प्रसाद दास जी ने बताया, ‘‘इन सभी बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई जाएगी। 12वीं तक की शिक्षा तो गोकुलधाम में ही पूरी हो जाएगी। इसके बाद कॉलेज में भी इनका नामांकन कराया जाएगा, क्योंकि ये बच्चे बहुत होशियार हैं। अवसर मिलने पर ये देश के लिए बहुत अच्छे कार्य कर सकते हैं। इसलिए ये बच्चे जहां तक पढ़ना चाहें, वहां तक उन्हें पढ़ाया जाएगा। इसके लिए उनसे कुछ भी नहीं लिया जाएगा। सब कुछ नि:शुल्क होगा।’’ उन्होंने यह भी बताया, ‘‘अभी भाषा और खानपान की कुछ समस्याएं आ रही हैं, लेकिन ये बाधाएं जल्दी ही दूर हो जाएंगी। कुछ बच्चे मणिपुरी के अलावा और कोई भाषा नहीं जानते, जबकि कुछ बच्चे हिंदी और अंग्रेजी भी बोल लेते हैं।’’
गोकुलधाम के एक अन्य साधु हरिकेशवदास जी कहते हैं, ‘‘स्वामिनारायण संप्रदाय ने मणिपुरी बच्चों के अनुरूप खानपान और शिक्षा की व्यवस्था की है। इन्हें पढ़ाने के लिए कुछ एनआरआई का भी सहयोग लिया जा रहा है।’’
गोकुलधाम में जो कुछ हो रहा है, उसका प्रेरक स्थल है स्वामिनारायण वड़तालधाम। यह बहुत ही दिव्य स्थल है। यहां सेवा के अनेक प्रकल्प चलते हैं। इनके अतिरिक्त वड़तालधाम की देखरेख में अन्य स्थानों पर भी सेवा और शिक्षा के अनेक कार्य चल रहे हैं। इनसे सामान्य लोगों का जीवन आसान हो रहा है। स्वामिनारायण वड़तालधाम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. संत वल्लभदास जी महाराज का मानना है कि मणिुपर में जो कुछ हो रहा है, वह देश के सामने बड़ी चुनौती है। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘भारतवर्ष के किसी भी स्थल पर यदि कोई आपदा आती है तो सनातन हिंदू परंपरा के संरक्षण के लिए स्वामिनारायण संप्रदाय सेवा और शिक्षा प्रदान करने हेतु तत्पर रहता है। इसी भावना के अंतर्गत स्वामिनारायण संप्रदाय ने मणिुपर के बच्चों को शिक्षा देने का संकल्प लिया है।’’
संस्था के अन्य कार्य
स्वामिनारायण वड़तालधाम संचालित ‘गोकुलधाम’ की स्थापना 2004 में हुई। इसका परिसर 22 एकड़ में फैला है। यहां शिक्षा, सेवा, पर्यावरण संरक्षण, संस्कार और रोजगार के अनेक प्रकल्प चलते हैं। 2008 से यहां एक वृद्धाश्रम चल रहा है। इसमें वृद्धों की सेवा की जाती है। एक गोशाला भी है, जहां 80 गायें हैं। गोकुलधाम में पीने के पानी के लिए एक बड़ा संयंत्र लगाया गया है। यहां से प्रतिदिन आसपास के 22 विद्यालयों में पढ़ने वाले लगभग 7,000 छात्रों को पीने का पानी नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। गोकुलधाम में भोजन सेवा भी चलती है।
आसपास के सरकारी अस्पतालों में भर्ती लोगों के परिजनों के लिए यहां से भोजन भेजा जाता है। प्रतिदिन भोजन पाने वालों की संख्या 125 से अधिक रहती है। गोकुलधाम के आसपास के उन 32 गांवों में औषधालय भी चलाए जाते हैं, जिनकी जनसंख्या 2000-2500 तक है, और वहां कोई निजी चिकित्सक कार्य न कर रहा हो। ऐसे ही दिव्यागों को कृत्रिम अंग जैसे हाथ, पैर आदि उपलब्ध कराए जाते हैं। इन अंगों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये आराम से असली अंगों की तरह मुड़ जाते हैं। यानी इन अंगों को देख कोई आसानी से यह नहीं कह सकता है कि कृत्रिम हैं।
गोकुलधाम पर्यावरण की रक्षा के लिए आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों से बांस न काटने का निवेदन करता है। किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर लोग बांस काटकर अर्थी बनाते हैं और उसी पर रखकर शव को श्मशान घाट ले जाते हैं। लोग बांस की अर्थी न बनाएं, इसके लिए गोकुलधाम स्टील की अर्थी उपलब्ध कराता है। यह संस्था दिव्यांग और अनाथ लड़कियों का सामूहिक विवाह भी कराती है। अब तक 460 लड़कियों का विवाह कराया जा चुका है। ऐसे ही लड़कियों को सेनेटरी पैड को लेकर जागरूक किया जाता है। अब तक 10,000 से अधिक लड़कियों के बीच सेनेटरी पैड का नि:शुल्क वितरण किया गया है।
गोकुलधाम उन गरीबों को चप्पल भी उपलब्ध कराता है, जो खुद चप्पल नहीं खरीद पाते। इसके लिए समय-समय पर अभियान चलाया जाता है और जो भी राहगीर खाली पैर मिलता है, उसे चप्पल दी जाती है। ऐसे ही गरीब बुजुर्गों को सहारे के लिए छड़ी दी जाती है। गोकुलधाम सरकारी विद्यालयों में छात्रों के बीच पुस्तकें भी वितरित करता है। इसके साथ ही श्रीमद्भगवद्गीता भी बांटी जाती है।
इन कार्यों के कारण गुजरात में गोकुलधाम की एक अलग पहचान बन गई है। जब भी सेवा की बात आती है, तो लोग गोकुलधाम की चर्चा अवश्य करते हैं।
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