हमास के आतंकी खुद ही कह रहे हैं कि उन्होंने यहूदियों को बर्बरता से मारा है। एक आतंकवादी लोगों को मारने के बाद अपने अब्बा को फोन पर बता रहा है कि उसने 10 यहूदियों को अपने हाथों से मारा है। बेटे की इस ‘बहादुरी’ से बाप बहुत खुश है और उसे शाबाशी दे रहा है। यही वह मानसिकता है, जिसने इस्राएल को गुस्से से भर दिया है।
इस समय पूरी दुनिया की नजर इस्राएल पर टिकी है। अनेक देशों में इस्राएल के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। यह दिखाने का प्रयास हो रहा है कि इस्राएल हमास के आतंकवादियों की आड़ में फिलिस्तीनियों को मार रहा है। लेकिन 7 अक्तूबर को हमास के आतंकियों ने जैसी बर्बरता दिखाई, वह दिल दहलाने वाली है। इसके अनेक वीडियो सामने आ रहे हैं। हमास के आतंकी खुद ही कह रहे हैं कि उन्होंने यहूदियों को बर्बरता से मारा है। एक आतंकवादी लोगों को मारने के बाद अपने अब्बा को फोन पर बता रहा है कि उसने 10 यहूदियों को अपने हाथों से मारा है। बेटे की इस ‘बहादुरी’ से बाप बहुत खुश है और उसे शाबाशी दे रहा है। यही वह मानसिकता है, जिसने इस्राएल को गुस्से से भर दिया है।
हमास के 320 ठिकाने ध्वस्त
यही कारण है कि गत 7 अक्तूबर से ही इस्राएल हमास के आतंकवादियों को निशाना बना रहा है। इस रपट के लिखे जाने तक इस्राएल ने हमास के 320 ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। अब तक हवाई हमले ही हुए हैं। यहां के सैन्य अधिकारियों ने बताया कि जल्दी ही जमीनी हमले भी किए जाएंगे। इसकी पूरी तैयारी हो चुकी है। बस, सरकार की अनुमति का इंतजार है। यह भी कहा जा रहा है कि इस्राएली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू हमास के विरुद्ध जमीनी कार्रवाई करने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, लेकिन उन पर कुछ वैश्विक दबाव है। हालांकि जो स्थिति है, उसे देखते हुए कहा जा रहा है कि बेंजामिन अधिक दिनों तक दबाव में नहीं रहेंगे। यानी जमीनी कार्रवाई अवश्य होगी।
नेतन्याहू के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, हमास द्वारा बंधक बनाए गए अपने लोगों को छुड़ाना। इस्राएल डिफेंस फोर्सेस (आईडीएफ) के अनुसार हमास ने 212 इस्राएलियों को बंधक बनाया है। इनमें बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी हैं। इन्हें छुड़ाने के लिए प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, उप-रक्षा मंत्री और दो अन्य नेताओं की पांच सदस्यीय समिति बनाई गई है। यही पांच नेता जमीनी कार्रवाई करने का अंतिम निर्णय लेंगे।
इस्राएल किसी भी कीमत पर नहीं रुकेगा। यहां पर मैंने सभी प्रमुख दलों के नेताओं से बात की। सभी दल हमास के विरुद्ध जमीनी कार्रवाई करने के लिए एकमत हैं।
हालांकि फिलिस्तीन और इस्राएल के बीच अंदरूनी बातचीत क्या हो रही है, इसकी खबर नहीं लग रही। हमास के तीन नेता तुर्किये में हैं। इन्हें वापस भेजने के लिए तुर्किये, कतर और मिस्र पर दबाव डाला जा रहा है। हमास का इन तीनों देशों के साथ अच्छा रिश्ता है। वहीं, इस्राएल के रक्षा मंत्री ने ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ से एक साक्षात्कार में कहा है कि अगर ईरान हिजबुल्ला का समर्थन करता है, तो हम उसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। इसके पीछे इस्राएली सोच है। इस्राएल का हर व्यक्ति चाहता है कि हमास का नामोनिशान मिटा दिया जाए। यहां तक कि इस्राएल के मुसलमान भी यही चाहते हैं। इस्राएल में 15 प्रतिशत मुसलमान हैं।
7 अक्तूबर को हमास के आतंकियों ने जैसी बर्बरता दिखाई, वह दिल दहलाने वाली है। इसके अनेक वीडियो सामने आ रहे हैं। हमास के आतंकी खुद ही कह रहे हैं कि उन्होंने यहूदियों को बर्बरता से मारा है। एक आतंकवादी लोगों को मारने के बाद अपने अब्बा को फोन पर बता रहा है कि उसने 10 यहूदियों को अपने हाथों से मारा है। बेटे की इस ‘बहादुरी’ से बाप बहुत खुश है और उसे शाबाशी दे रहा है। यही वह मानसिकता है, जिसने इस्राएल को गुस्से से भर दिया है।
इस्राएल के लिए ‘पवित्र युद्ध’
कुछ लोग यह सवाल उठाते हैं कि इस्राएल के सुरक्षा कवच को हमास के आतंकि यों ने कैसे तोड़ा? इस बारे में इस्राएल के कुछ प्रमुख पूर्व खुफिया अधिकारियों और सेना के लोगों का कहना है कि यह सेना के अति आत्मविश्वास का नतीजा है। हालांकि अब इस्राएल की आंतरिक खुफिया एजेंसी ‘ब्लू लाइन’ हमास के बारे में हर जानकारी को इकट्ठा कर रही है और उसी आधार पर उसके आतंकवादियों को ढेर किया जा रहा है। ‘ब्लू लाइन’ को ‘मोसाद’ से कई गुना अधिक खतरनाक माना जाता है। दोनों खुफिया एजेंसियां हैं। ‘ब्लू लाइन’ को ‘आईबी’ और ‘हमास’ को ‘रॉ’ कह सकते हैं।
इस्राएल का हर व्यक्ति इसे ‘पवित्र युद्ध’ मान रहा है। इस्राएली संसद के अध्यक्ष अनित ओरियन ने भी इसे ‘पवित्र युद्ध’ माना है। इसलिए हर व्यक्ति लड़ने के लिए तैयार है। जितने भी सेवानिवृत्त सैनिक हैं, वे सभी वापस आ गए हैं। इसलिए हमास रत्तीभर भी उम्मीद न करे कि उसे छोड़ दिया जाएगा। इस्राएल का एक ही मकसद है- हमास को जड़ से समाप्त करना। इसलिए दुनिया चाहे कुछ भी कहे, इस्राएल किसी की नहीं सुनेगा, ऐसा ही लग रहा है।
आईडीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि उनकी टुकड़ी ने एक आपरेशन में लगभग 100 आतंकवादियों को मार गिराया है। ऐसी अनेक टुकड़ियां आपरेशन में लगी हैं। दूसरी ओर, राफा सीमा को खोल दिया गया है और मिस्र से राहत सामग्री आने लगी है। भारत ने भी फिलिस्तीन के लिए राहत सामग्री भेजी है। इस पर इस्राएल को कोई आपत्ति नहीं है। इस्राएल और भारत के बीच बहुत अच्छा रिश्ता है। इस्राएल में भारतीयों को बहुत इज्जत मिलती है। इस्राएल जानता है कि भारत भी आतंकवादियों से परेशान है। अरब और कुछ पश्चिमी देशों के रुख से भी इस्राएल को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। तुर्किये और मिस्र के साथ अमेरिका का अच्छा रिश्ता है। इसलिए ये देश इस्राएल के खिलाफ कुछ नहीं करेंगे।
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गाजा पट्टी सुरंगों का संजाल
हमास के नियंत्रण वाली गाजा पट्टी में 1400 सुरंगें हैं, जो 500 किलोमीटर तक फैली हुई हैं। हमास द्वारा रिहा की गई एक बंधक योशेवेद लिफशित्ज ने तेल अवीव मेडिकल सेंटर के सामने अंतरराष्ट्रीय मीडिया को बताया कि उसे सुरंगों के मकड़जाल में ले जाया गया था, जहां ठंडक और नमी थी। उन्हें वहीं रखा गया था। हालांकि, इस्राएल की विशेष यूनिट सुरंग युद्ध से निबटने में सक्षम है। आईडीएफ के लिए यह जटिल नहीं है। जानकारी के मुताबिक, इस्राएल इन सुरंगों में मौजूद आतंकियों और उनके आकाओं के सटीक ठिकानों का पता लगाने और रणनीतिक रूप से हमले की योजना बना रहा है।
जहां तक दुनिया भर में फिलिस्तीनियों के नाम पर हमास के समर्थन का सवाल है, अरब का कोई भी देश फिलिस्तीनी नागरिकों को आश्रय देने को राजी नहीं है। इसमें कोई शक नहीं कि लोग इस द्वन्द्व का मजाक भी उड़ा रहे हैं, लेकिन वह भी बिना कुछ किए। ऐतिहासिक रूप से जिसने भी फिलिस्तीन का समर्थन किया, उसने उसी पर हमला करने की कोशिश की है। जॉर्डन के शासक हुसैन ने फिलिस्तीनियों को शरण दी थी, लेकिन उन्होंने उसे भी मारने की योजना बनाई। नतीजा, हुसैन ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें कई फिलिस्तीनी नेता मारे गए। फिलिस्तीन ने लेबनान, सीरिया और यहां तक कि कुवैत में भी घृणित खेल खेला। फिलिस्तीनियों का सबसे करीबी देश मिस्र भी आईएसआईएस के गठन के समय उनकी नकारात्मक सूची में था। इसलिए फिलिस्तीनियों के कृतघ्न स्वभाव और पीठ में छुरा घोंपने की आदत के कारण ही कोई उनका समर्थन नहीं करता।
वहां मानव को ढाल बनाने का चलन है। याद कीजिए, 7 अक्तूबर से पहले एक जनमत संग्रह के दौरान गाजा पट्टी के 73 प्रतिशत लोगों ने आश्चर्यजनक रूप से हमास और उसके शासन का समर्थन किया था। मानव ढाल हमेशा खुद को हमले से बचाने के लिए आतंकी समूहों की एक चाल रही है। इस्राएल जमीनी आक्रमण के दौरान मानव ढाल के नुकसान से अवगत है, लेकिन हालात ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि इस्राएली सेना के लिए जमीनी हमला जरूरी हो गया है। इसलिए युद्ध बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि इस्राएल के लोग हमारी तरह नहीं है। वे अपने पड़ोसी इस्लामी आतंक के खतरे को खत्म करने के पक्षधर हैं।
इस्राएल में पुरुषों के लिए तीन वर्ष और महिलाओं के लिए दो वर्ष के अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण ने उन्हें ऐसी परिस्थितियों के लिए तैयार कर दिया है। उन्हें लगता है कि उन्होंने गाजा में लोगों की सहायता के लिए सब कुछ किया, जिसमें नौकरियां, स्वास्थ्य देखभाल और सब कुछ शामिल था, लेकिन बदले में उन्हें हत्या, बलात्कार और तबाही ही मिली। अब इस्राएली पूर्ण प्रतिशोध चाहते हैं। राजनीतिक नेतृत्व को यह करना होगा। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योव गैलेंट सहित सरकार में कई सैनिक हैं।
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प्रोपेगेंडा युद्ध चरम पर है, जिसे दुनिया भर में फिलिस्तीन के पक्ष में देखा जा सकता है। यह इस्लामिस्टों के बहुत व्यवस्थित और मीडिया केंद्रित मीडिया प्रबंधन के कारण है। हालांकि, कॉम्बैट एंटीसेमिटिज्म मूवमेंट (सीएएम) जैसे यहूदी संगठनों के गठन के बाद चीजें धीरे-धीरे बदल रही हैं। पहले इस्राएल में भी उदारवाद और वामपंथ की छत्रछाया वाला एक वर्ग था, जो युद्ध के प्रयासों का विरोध करता था। मैंने एक महिला के बारे में पढ़ा है, जो अमेरिका में रहती थी।
वह साम्यवाद, ट्रांसजेंडर अधिकारों की समर्थक और उदारवादी थी, लेकिन वह उस समय अवाक् रह गई, जब उसने देखा कि इन आंदोलनों में उसके सभी पुराने दोस्तों और सहयोगियों ने इस्राएल के लोगों की पीड़ा के प्रति आंखें मूंद कर फिलिस्तीन की गढ़ी हुई कहानियों का समर्थन किया। हालांकि अब इस्राएल में युद्ध के खिलाफ कोई नहीं बोलता। समूचा देश युद्ध के लिए तैयार है। इस्राएल तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यहां के लोग अमीर हैं और वे खर्च भी दिल खोल कर करते हैं। स्वाभाविक रूप से युद्ध का असर लोगों के जीवन पर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था में गिरावट आ सकती है, लेकिन लोगों ने 7 अक्तूबर को जो देखा और सहा, उसका बदला लेने के लिए तैयार हैं। लेखक- अरुण लक्ष्मण, तेल अवीव से
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