शानी लॉक से लेकर विवियन सिल्वर: कहानी फिलिस्तीन समर्थक शांति-पसंद लोगों की, जो शिकार हुए हमास के आतंकियों का
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शानी लॉक से लेकर विवियन सिल्वर: कहानी फिलिस्तीन समर्थक शांति-पसंद लोगों की, जो शिकार हुए हमास के आतंकियों का

शानी लॉक, विवियन सिल्वर और ऐडा सागी, ये नाम उन अनगिनत लोगों में से कुछ लोगों के नाम हैं, जो अक्टूबर माह की शुरुआत में इजरायल में हमास के आतंकियों का शिकार हुए।

by सोनाली मिश्रा
Oct 30, 2023, 04:41 pm IST
in विश्व
हमास के आतंकियों का शिकार हुईं महिलाएं

हमास के आतंकियों का शिकार हुईं महिलाएं

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शानी लॉक, विवियन सिल्वर और ऐडा सागी, ये नाम उन अनगिनत लोगों में से कुछ लोगों के नाम हैं, जो अक्टूबर माह की शुरुआत में इजरायल में हमास के आतंकियों का शिकार हुए। शानी लॉक की लगभग निर्वस्त्र देह के साथ किया गया अपमान अभी तक सभी को याद ही होगा।

मगर एक बात और है जिसे सामने आना चाहिए। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर कहा कि आखिर जिस देश में अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण है, वहां पर लोग ऐसे भाग कैसे सकते हैं और कैसे लोग पकड़ में आ सकते हैं? विशेषकर महिलाऐं? ऐसे में इन कुछ उदाहरणों की कहानियां कुछ दृष्टि डाल सकती हैं।

शानी लॉक

सबसे पहले शानी लॉक की कहानी, जिनके शरीर के साथ जो कुछ भी हुआ, वह पूरी दुनिया ने देखा ही था, कि कैसे उनके शरीर को हमास के आतंकियों ने ट्रक पर डाला और थूका भी गया। आखिर उन्हें क्यों मारा गया था? या फिर उनकी माँ को यह विश्वास है कि वह जिंदा है और बहुत गंभीर हालत में हैं, तो उन्हें इस गंभीर हालत में किसने पहुंचाया?

शानी लॉक के पास जर्मनी का पासपोर्ट था। उनका पालनपोषण इजरायल में हुआ था, मगर वह जर्मनी की नागरिक थीं और उनके पास जर्मनी का पासपोर्ट था और यही कारण था कि उन्होंने अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया था। वह एक शांति की समर्थक कार्यकर्ता थीं और इजरायल की अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण की नीति की विरोधी थीं।
डेली मेल के अनुसार शानी लॉक की आंटी ने कहा कि शानी लॉक ने उस अनिवार्य सैन्य सेवा से इंकार कर दिया था, जो इजरायल में अनिवार्य है। चूंकि शानी का विश्वास शांति में था, इसलिए उसने ऐसा किया था और इसमें उसके जर्मन पासपोर्ट ने मदद की थी। अर्थात दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि शानी लॉक इजरायल की उस नीति के विरुद्ध थीं, जो नागरिकों को अपनी रक्षा करने में सक्षम करती है? मगर प्रश्न यह उठता है कि यह शांति किसके साथ बनाए रखने के लिए थी?

विवियन सिल्वर

शानी लॉक जैसी ही कहानी एक और पीस-लवर अर्थात शांति प्रेमी कनाडाई यहूदी महिला की है, जो कई दशकों से फिलिस्तीन महिलाओं और बच्चों के जीवन को बेहतर करने के लिए मानवीय प्रयासों के लिए कार्यरत थीं। 74 वर्षीय विवियन सिल्वर इजरायल में गाजा बॉर्डर के पास रहती थीं। वह मूलत: कनाडा से थीं और वर्ष 1974 में वह इजरायल चली आई थीं।

वह मध्य एशिया में यहूदियों और मुस्लिमों के बीच एक साझी सोसाइटी और मध्य एशिया में शान्ति की बात करने वाले एनजीओ के साथ काम करती थीं। उनका सपना भी यही था कि इजरायल और फिलिस्तीन में शांति हो जाए। मगर दुर्भाग्य की बात यही है कि वह जिनके लिए शान्ति बनाने की बात करती थीं उन्होंने ही उनका अपहरण कर लिया। और अभी तक यह नहीं पता है कि उनके साथ क्या हुआ?

अरब-ज्यूइश सेंटर फॉर इक्वालिटी, एम्पावरमेंट एंड कोऑपरेशन में सिल्वर की पूर्व सहयोगी ने कहा कि यह सोच ही बहुत खतरनाक है कि वह व्यक्ति जिसने अपनी पूरी ज़िन्दगी कब्जे को खत्म करने के लिए, गाजा की घेराबंदी को हटाने के लिए बिता दी, उसका ही अपहरण हमास ने कर दिया।

शानी लॉक और विवियन सिल्वर दोनों में ही एक बात सामान्य थी कि दोनों ही इजरायल की तुलना में फिलिस्तीन से नज़दीकी महसूस करती थीं और जिसके चलते वह उस शांति की बात करती थीं, जिसकी सच्चाई दरअसल हर तार्किक व्यक्ति समझता है। वर्ष 2017 में सिल्वर ने वेस्ट बैंक में जॉर्डन नदी के किनारे पर शांति मार्च निकाला था, जिसमें उन्होंने इजरायल के फिलिस्तीन पर हुए उस हमले की निंदा की थी जिसमें कुछ फिलीस्तीनी नागरिक मारे गए थे। उन्होंने कहा था कि उन्हें सात दशकों से पढ़ाया जा रहा दृष्टिकोण बदलना है कि केवल युद्ध ही शान्ति ला सकता है, जो कि पूरी तरह से गलत है। इतना ही नहीं सत्तर वर्ष की उम्र में भी वह गाजा से इजरायल में मरीजों को इलाज के लिए लाती थीं। और वह जिनके लिए लड़ती रहीं, वही उन्हें उठाकर ले गए! और यह भी नहीं पता है कि वह जीवित हैं या नहीं!

ऐडा सागी

75 वर्षीय ऐडा सागी ने गाजा के निवासियों के साथ बात करने के लिए अरबी भाषा सीखी थी और वह अपना जन्मदिन मनाने के लिए अपने बेटे के पास लंदन जाने वाली थीं। ऐडा का जन्म वर्ष 1948 में तेल अवीव में हुआ था और वह पोलैंड से होलोकॉस्ट सर्वाइवर हैं। तीन बच्चों की माँ ऐडा ने अरबी भाषा इसलिए सीखी कि वह अपने पड़ोसियों से बात कर सकें और फिर उन्होंने वह भाषा दूसरों को भी सिखाई जिससे कि वह गाजा पट्टी की दक्षिण पूर्वी सीमा पर रहने वाले फिलिस्तीनियों के साथ सम्बन्ध सुधार सकें।
ऐडा सागी के बेटे ने लन्दन में प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह इस मामले को गंभीरता से देखें। वहीं सबसे चौंकाने वाला किस्सा ऐडा सागी के साथ प्रेस वार्ता कर रही एक महिला के अभिभावकों का है, जो “पीस-एक्टिविस्ट” थे और जिनका नाम उसने सुरक्षा कारणों से नहीं बताया। उस महिला ने कहा कि उसके पिता जीवन भर एक शान्ति कार्यकर्ता रहे और जो अपने रिटायरमेंट के बाद गाजा से फिलिस्तीनियों को पूर्वी येरुशलम में अस्पतालों में इलाज के लिए लाते रहे।
वहीं ऐडा सागी के बेटे ने कहा कि उनकी माँ एक अरबी शिक्षिका थीं, जिनका उद्देश्य संवाद करना था, राजनीति नहीं। उन्होंने कहा कि वह शांति से प्यार करने वाले लोग थे, जिन्होनें पूरी ज़िन्दगी पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते के लिए जीवन भर लड़ाई की!

अब ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि शांति के लिए लड़ने वाले आखिर किसके लिए लड़ रहे थे और किससे लड़ रहे थे? वह किससे संवाद करना चाहते थे और क्यों? खुद होलोकॉस्ट के सर्वाइवर होकर क्या अस्तित्व के उस युद्ध को समझने में वह नाकाम थे या फिर वह उस सिंड्रोम के शिकार थे जो अपन अस्तित्व के शत्रुओं में ही अपना रक्षक खोजता है? या फिर अपनी उस पहचान से छुटकारा पाने की यह छटपटाहट थी, जिसके चलते वह फिलिस्तीनियों या कट्टर मुस्लिमों की हिंसा का शिकार हो सकते थे? मगर ये सभी यह भूल गए कि पहचान की लड़ाई में मूल पहचान ही मायने रखती है, फिर चाहे आप कनाडाई मूल के हों, जर्मन पासपोर्ट वाले हों या फिर फिलिस्तीन से इजरायल में मरीजों का इलाज कराने वाले हों! आपके काम और मूल कहीं का भी हो, यदि पहचान की लड़ाई है तो वह होगी ही और आप उसके शिकार भी होंगे, उससे बचा नहीं जा सकता है!

Topics: Shani Lockepro-Palestinian peace loving peoplevictims of Hamas terroristsशानी लॉकविवियन सिल्वरऐडा सागीVivian SilverAda SagiIsrael hamas war
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