संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान जब भी मुंह खोलता है तब कुछ न कुछ ऐसा बोलता है कि उसकी जगहंसाई होती ही है। उसके बाद वह इतना लज्जित होता है कि कई दिन के लिए मुंह दबाकर बैठ जाता है। लेकिन अब एक बार फिर उसने अपना प्रिय कश्मीर राग अलाप कर भारत पर उंगली उठाने की कोशिश की और एक बार फिर भारत ने तथ्यों के साथ उसका मुंह बंद कर दिया।
संयुक्त राष्ट्र में कल पाकिस्तान ने इस्राएल तथा हमास के बीच चल रहे युद्ध को लेकर बेवजह की बात उठाने की कोशिश की। उसने युद्ध में हमलों के केन्द्र गाजा के साथ कश्मीर की तुलना कर दी। इस बहाने पड़ोसी इस्लामी देश ने यूएन में फिर से कश्मीर का रोना रोया। लेकिन इस बार भी, भारत ने ऐसा जबरदस्त जवाब दिया कि उसकी बोलती बंद हो गई।
यह इस्लामी देश खुद को तो संभाल नहीं पा रहा है, भूख से बेहाल है और पैसे से कंगाल। लेकिन इन हालात में भी अपनी शैतानी प्रवृत्ति से बाज नहीं आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में जब उसे इस्राएल—फिलिस्तीन युद्ध के संदर्भ में अपनी बात रखने को कहा गया तो उसने उस बहाने भी कश्मीर को बीच में लपेट लिया।
पिछले दिनों भी इसी संयुक्त राष्ट्र में आकर पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक ने अपने देश के रटे-रटाए राग को दोहराया था। उन्होंने भी राग कश्मीर की गाया था। भारत ने तब पड़ोसी इस्लामी देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री को तथ्यों की जानकारी देते हुए कहा था कि इस वक्त पाकिस्तान ने जो भी भारतीय इलाके कब्जाए हुए हैं उन्हें वह खाली कर दे और सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लगा ले।
यूएनएससी में पाकिस्तान का जो स्थायी प्रतिनिधि है, उसका नाम है मुनीर अकरम। उसने कल अपने वक्तव्य में यह कह दिया कि ‘कश्मीर में रह रहे लोगों की स्थिति भी फिलिस्तीनियों की वर्तमान हालत जैसा ही है’। मुनीर ने आगे कहा कि जैसे इस्राएल फिलिस्तीन में लोगों की आजादी को कुचल रहा है। वैसे ही भारत में सरकार कश्मीर में कश्मीर के लोगों की आवाज को दबा रहा है। पाकिस्तान की ऐसी शरारतपूर्ण तुलना को लेकर भारत की तरफ से कहा गया कि मुनीर जान लें कि इस्राएल और फिलिस्तीन के बीच जो भी विवाद है भारत सदा से उसका शांतिपूर्ण हल निकाले जाने का हामी रहा है।
पाकिस्तान के इस दुर्भावनापूर्ण वक्तव्य के संदर्भ में भारत का पक्ष रखते हुए पाकिस्तान को कड़े शब्दों में जवाब दिया गया। भारत के प्रतिनिधि ने साफ कहा कि पाकिस्तान ने यह टिप्पणी अपनी उसी पुरानी आदत की जवह से की है जिससे वह हमेशा से ग्रसित रहा है। भारत ने पूरा जोर देते हुए कहा कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि के वक्तव्य में ऐसे संघ शासित प्रदेशों का उल्लेख आया जो मेरे देश के अभिन्न आतंरिक हिस्से हैं। ऐसी टिप्पणियां साफ तौर पर अवमानना की कोशिश ही कही जा सकती हैं। वैसे भी, ऐसी बेसिरपैर की बातों पर कोई जवाब देकर इनका मोल नहीं बढ़ाना चाहते।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों भी इसी संयुक्त राष्ट्र में आकर पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक ने अपने देश के रटे-रटाए राग को दोहराया था। उन्होंने भी राग कश्मीर की गाया था। उस दौरान कई देशों के प्रतिनिधि उस तरफ ध्यान तक नहीं देते देखे गए। काकर के उस भाषण पर भी तब भारत की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया की गई थी। भारत ने तब पड़ोसी इस्लामी देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री को तथ्यों की जानकारी देते हुए कहा था कि इस वक्त पाकिस्तान ने जो भी भारतीय इलाके कब्जाए हुए हैं उन्हें वह खाली कर दे और सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लगा ले।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में तब भी खुलकर कहा था कि पाकिस्तान बड़ी संख्या में आतंकवादियों को शरण दिए हुए है। यह भी कहा गया था कि अभी तक पाकिस्तान ने भारत में 26/11 आतंकवादी हमले के साजिशकर्ता आतंकवादियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है जिसकी भर्त्सना की जानी चाहिए। हम चाहते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद की कार्रवाइयों का पोषण करना बंद करे।
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