‘इंडिया नहीं, भारत’। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) अपनी किताबों में इंडिया की जगह भारत करने जा रहा है। बुधवार को कई मीडिया रिपोर्ट ये खबर चली। बताया गया कि NCERT पैनल द्वारा पुस्तकों के अगले सेट को इंडिया के बजाय ‘भारत’ के रूप में वर्णित करने के प्रस्ताव को इसके सदस्यों ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है। पैनल के सदस्यों में से एक सीआई इस्साक के मुताबिक, नई एनसीईआरटी किताबों के नाम में बदलाव होगा। इस्साक ने कहा, यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है।
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इसके साथ ही NCERT पैनल ने किताबों में हिन्दू योद्धाओं-राजाओं और क्रांतिकारियों के योगदान और उनकी जीतों को हाईलाइट करने की सिफारिश भी की है। पैनल की ओर से प्राचीन इतिहास की जगह शास्त्रीय इतिहास नाम रखने की भी सिफारिश की गई है। इस्साक ने कहा कि इतिहास को अब प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में विभाजित नहीं किया जाएगा जैसा कि अंग्रेजों ने किया था। अंग्रेजों ने साजिश के तहत भारत की वैज्ञानिक प्रगति में पिछड़ा और ज्ञान से रिक्त दिखाया था। समिति ने सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को शामिल करने की भी सिफारिश की है। मीडिया में यह खबर बुधवार को चर्चा का विषय बनी।
ये है एनसीईआरटी का जवाब
मीडिया रिपोर्ट्स पर एनसीईआरटी की तरफ से बुधवार को कहा गया कि अपनी पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ को ‘भारत’ में बदलने के संबंध में मीडिया के कुछ हिस्सों में आई रिपोर्टों पर “टिप्पणी करना बहुत जल्दबाजी होगी”। हमने नए पाठ्यक्रम के विकास पर ध्यान दिया है। चूंकि नया पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें प्रक्रिया में हैं। विशेषज्ञों से चर्चा हो रही है, इसलिए संबंधित मुद्दे पर मीडिया में छप रही खबरों पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।.
इतिहासकार सीआई इसाक की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) पैनल ने पहले स्कूली पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ को ‘भारत’ से बदलने की सिफारिश की थी। सिफारिशें सामाजिक विज्ञान के लिए सात सदस्यीय समिति द्वारा की गईं, जो विभिन्न विषयों पर स्थिति पत्र तैयार करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा गठित समितियों में से एक है।
एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने उन खबरों का खंडन किया है, जिसमें कहा गया है कि सामाजिक विज्ञान पैनल के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। सकलानी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि इसमें कहीं भी यह नहीं लिखा है कि नाम बदला जाना चाहिए। ये अफवाहें हैं। ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है। जिसने भी दावा किया है उसे दस्तावेज दिखाने होंगे। हमने ऐसा नहीं किया है।
जी-20 की बैठक के दौरान जी-20 देशों के नेताओं को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के ऑफिस से रात्रिभोज के लिए निमंत्रण भेजा गया था। निमंत्रण को “गवर्नमेंट ऑफ इंडिया” के बजाय “भारत के राष्ट्रपति” के नाम से भेजा गया था।
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पिछले महीने सितंबर में जब देश में जी-20 की मीटिंग चल रही थी। उस दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टेबल पर ‘भारत’ लिखा गया था।
उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 1(1) में हमारे देश का नाम “इंडिया, अर्थात भारत राज्यों का एक संघ होगा” परिभाषित किया गया है।
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