उत्तर प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में अवैध मदरसे चलाए जा रहे हैं। कई मदरसों को विदेशों से भी फंडिंग मिल रही है। इसी फंडिंग की जांच के लिए राज्य सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) गठित की है। एसआईटी ने मुजफ्फरनगर में जांच भी शुरू कर दी है। एसआईटी की तरफ से बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे अवैध मदरसों को नोटिस भा जारी किया गया है।
जिला प्रशासन की ओर से जारी नोटिस में मदरसों के प्रबंधकों को मदरसे के रजिस्ट्रेशन से जुड़े आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा गया है। जिला प्रशासन के मुताबिक, जिले में कम से कम 100 ऐसे मदरसे संचालित हो रहे हैं, जिनके पास किसी भी तरह के कागजात नहीं हैं। इसमें से जिले के 12 मदरसों को संचालन बंद करने तक हर दिन 10,000 रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है।
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इस मामले में मुजफ्फरनगर के बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने कहा कि अल्पसंख्यक विभाग की तरफ से हमें सूचित किया गया है कि जिले में प्रॉपर डॉक्युमेंटेशन के बिना ही 100 मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। इसके तहत ब्लॉक शिक्षा अधिकारी द्वारा नोटिस जारी किए गए थे। हम इन मदरसा संचालकों को अपना रजिस्ट्रेशन करने के लिए कह रहे हैं। स्कूल या मदरसे का रजिस्ट्रेशन इतना जटिल या मुश्किल नहीं है।
शिक्षा विभाग मदरसों के मामले न करे हस्तक्षेप
इस बीच यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने प्रशासन को ही चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक विभाग को छोड़कर शिक्षा विभाग या किसी को भी मदरसों के मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। मदरसे सामान्य स्कूलों की तरह नहीं हैं। इसलिए इन पर स्कूलों के लिए निर्धारित नियमों, दंड या जुर्माना थोपा नहीं जा सकता है। 1995 में ही मदरसों को स्कूलों के नियमों और कानूनों से अलग कर दिया गया था।
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वहीं इस मदरसों को नोटिस दिए जाने के मुद्दे पर जमीयत उलेमा ए हिन्द के यूपी के सचिव कारी जाकिर हुसैन ने शिक्षा विभाग द्वारा अवैध मदरसों को नोटिस जारी किए जाने को गैरकानूनी करार दिया है। हुसैन का कहना है कि नियम इस्लामी मदरसों, स्कूलों या अन्य धार्मिक संस्थानों पर लागू नहीं होता है। कई मदरसों को 3-5 दिनों के भीतर दस्तावेजों को प्रस्तुत करने का नोटिस दिया गया है और अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो प्रति दिन 10,000 रुपए जुर्माना देना पड़ेगा। यह कैसे संभव हो सकता है?
राज्य में चल रहे हैं 25,000 मदरसे
उत्तर प्रदेश में 25,000 मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। इनमें से केवल 16,500 मदरसे यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। बाकि के 8,500 मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।
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