खुद की फेसबुक आईडी हैक हुई तो बनी हैकर, 24 साल की उम्र में, 7000 साइबर केस सुलझाए, पुलिस और सेना को भी ट्रेनिंग
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खुद की फेसबुक आईडी हैक हुई तो बनी हैकर, 24 साल की उम्र में, 7000 साइबर केस सुलझाए, पुलिस और सेना को भी ट्रेनिंग

गाजियाबाद की कामाक्षी ने हैकर बनने के लिए गूगल और फेसबुक से मिली जॉब को ठुकरा दिया। उत्तर प्रदेश पुलिस इन्हें जीनियस गर्ल के नाम से बुलाती है।

by Kuldeep Singh
Oct 24, 2023, 12:12 pm IST
in उत्तर प्रदेश
Kamakshi Ethikil hacker

मीनाक्षी ने 50000 से अधिक पुलिसवालों को भी ट्रेनिंग दी है

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‘कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना’ ये वाक्य तो आप अक्सर सुनते ही होंगे। ये बात गाजियाबाद की कामाक्षी पर बिल्कुल फिट बैठती है। लैपटॉप की स्क्रीन पर टकटकी और की बोर्ड पर कामाक्षी की उंगलियां खुद से ही रेस लगाए सरपट दौड़ती हैं। निशाने पर होते हैं वो साइबर अपराधी जो इंटरनेट की दुनिया का मिसयूज करते हैं। इन्हीं के कोडवर्ड से खेलती हैं कामाक्षी, जो कि पेशे से हैकर हैं।

गाजियाबाद की पंचवटी कॉलोनी में रहने वाली 24 वर्षीय कामाक्षी हैकर है और उत्तर प्रदेश पुलिस की केस को सुलझाने में मदद करती हैं। यूपी पुलिस उन्हें जीनियस गर्ल के नाम से बुलाती है। कामाक्षी ने इतनी कम उम्र में एथिकल हैकिंग की दुनिया में बड़ा नाम कमाया है। उन्होंने यूपी पुलिस के 50,000 जवानों को ट्रेनिंग दी है। इसके अलावा उन्होंने अब तक 7000 लोगों को ट्रेनिंग दी है।

इसे भी पढ़ें: समाज को विभाजित करने वाली शक्तियों को पहचानें, राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं : सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

यहीं नहीं कामाक्षी ने भारतीय सेना के साथ मिलकर भी काम किया है। वो सेना के जवानों को कोडिंग, फेक ID हैकिंग, इंटरनेट फ्रॉड एक्सपोजिंग जैसी तकनीक सिखा रही हैं। हाल ही में उन्होंने भारत में सीमा पार से होने वाले साइबर हमलों पर सुरक्षा एजेंसियों के साथ एक वर्कशॉप भी की थी। हालांकि, एथिकल हैकर बनने का उनका सफर भी काफी रोचक रहा है।

ऐसे हुई सफर की शुरुआत

कामाक्षी बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहती थीं। इसी सपने को सच करने के लिए उन्होंने उत्तराखंड की गढ़वाल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। वहां से बीटेक करने के दौरान ही वो अपने दोस्तों के फेसबुक अकाउंट को हैकर कर लेती थीं। लेकिन एक दिन किसी ने उनकी ही फेक आईडी बना दी। इसके बाद डिपार्टमेंट के डीन के पास गई और उन्हें इसके बारे में बताया। डीन ने कहा कि तुम तो खुद ही फेसबुक हैक कर लेती हो तो अपनी हेल्प खुद ही कर लो।

इसे भी पढ़ें: ‘…ये हमास का डर!’, इजरायल की दो वृद्ध महिला बंधकों को किया रिहा, 220 लोग अभी भी कब्जे में

यहीं से कामाक्षी के हैकर बनने के सफर की शुरुआत होती है। पहले वो अपना अकाउंट सेक्योर करती हैं और फिर वो इस तरह की समस्याओं का सामना कर रहे दूसरे लोगों की मदद करने लगती हैं। अब तक कामाक्षी को ये समझ आ गया था कि हैकिंग के जरिए वो इन्वेस्टिगेशन भी कर सकती हैं। इसीलिए वो इसी में अपना कैरियर बनाने का डिसीजन ले लेती हैं। दिल में देश की पुलिस और सेना के साथ मिलकर काम करने का सपना पाले कामाक्षी अपने काम पर जुट जाती हैं।

शुरुआत में पुलिस ने नहीं किया भरोसा

शुरुआत में जब वो पुलिस के पास गई तो किसी ने उनपर भरोसा नहीं किया, लेकिन एक बार गाजियाबाद के सिहानी गेट कोतवाली इंस्पेक्टर विनोद पांडे ने कामाक्षी से एक केस के सिलसिले में मदद मांगी। दरअसल,  HCL कंपनी के एक कर्मचारी को किसी ने किडनैप कर लिया था। किडनैपर्स लगातार वॉट्सऐप कॉल पर पैसे मांग रहे थे। इसी कारण पुलिस उन्हें ट्रेस नहीं कर पा रही थी, क्योंकि उस समय वॉट्सऐप कॉल को ट्रेस करना मामूली बात नहीं थी। लेकिन कामाक्षी ने न सिर्फ उन किडनैपर्स की लोकेशन ट्रैक की बल्कि पुलिस को ये भी बता दिया कि किन-किन जगहों से फोन किए गए हैं।

एथिकल हैकिंग में महारत हासिल करने वाली कामाक्षी को इसी स्मार्टनेस के लिए उन्हें लंदन बुक ऑफ अवॉर्ड और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड जैसे बड़े सम्मान मिल चुके हैं। इसके अलावा उन्हें गृह मंत्रालय की तरफ से भी काम करने का ऑफर मिल चुका है। उन्हें नेशनल पुलिस ग्रुप नाम का एक मिशन मिला, जिसमें जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक उन्होंने 30 से ज्यादा शहरों में तैनात IPS अफसरों और पुलिसकर्मियों को साइबर सिक्योरिटी पर ट्रेनिंग दी।

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