पर्यावरण समूह ने चीन की दवा कंपनियों को लेकर हैरान करने वाला खुलासा किया है। पर्यावरण समूह के अनुसार चीन की तीन दवा निर्माता कंपनियां अपने उत्पादों में लुप्तप्राय जानवरों के हिस्सों को सामग्री के रूप में इस्तेमाल करती हैं। ये कंपनियां यूबीएस और एचएसबीसी जैसे वैश्विक बैंकों को निवेशक मानती हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक लंदन स्थित पर्यावरण जांच एजेंसी ने तीन कंपनियों – बीजिंग टोंग रेन टैंग समूह, तियानजिन फार्मास्युटिकल समूह और जिलिन एओडोंग फार्मास्युटिकल समूह में वैश्विक निवेशकों से अपनी हिस्सेदारी बेचने का आग्रह किया है। ये कंपनियां उन 72 कंपनियों में शामिल हैं, जिनके बारे में पर्यावरण गैर-लाभकारी संगठन ने कहा है कि लगभग 88 पारंपरिक चीनी चिकित्सा उत्पादों में खतरे में पड़े तेंदुओं और पैंगोलिन के अंगों को सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
पर्यावरण समूह ने फार्मास्युटिकल कंपनियों पर ध्यान केंद्रित किया है, क्योंकि वे सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध हैं और अपनी वेबसाइट्स पर उन उत्पादों को दिखाया है जिनमें तेंदुए और पैंगोलिन के अंगों के हिस्से शामिल हैं। एनजीओ के कानूनी और नीति विशेषज्ञ का कहना है कि, “इतने सारे प्रमुख बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इस तरह की चीजों में निवेश करता देखना काफी निराशाजनक है। उन्हें जल्द से जल्द संकटग्रस्त प्रजातियों का उपयोग करने वाले टीसीएम निर्माताओं से विनिवेश करने की आवश्यकता है।”
संबंधित कंपनियों से एक समाचार एजेंसी ने उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन कंपनियों की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। जानकारी के मुताबिक वेल्स फार्गो एंड कंपनी सहित कुछ निवेशकों ने बताया कि उन्होंने या तो टीसीएम फर्मों में निवेश किए गए फंड को बेच दिया है या कंपनियों में अपने शेयर बेच दिए हैं।
समूह ने चीनी सरकार से अपने घरेलू बाजारों में सभी व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए लुप्तप्राय जानवरों के अंगों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। बता दें कि चीन का संशोधित वन्यजीव संरक्षण कानून मई में लागू हुआ है। जिसके अनुसार भोजन के रूप में उपभोग के लिए अधिकांश जंगली जानवरों के व्यापार पर प्रतिबंध लग गया है। कुछ विशेष परिस्थितियों में प्रजनन और उपयोग की अनुमति दी जा सकती है।
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