इजरायल और हमास में मध्य जारी जंग के बीच भारत सरकार ने इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए एक कदम बड़ा दिया है। इसके तहत भारत में कॉरिडोर निर्माण के लिए भारत सरकार बजट तय कर दिया है। देश के पश्चिमी तटों को रेलवे से जोड़ने के लिए सरकार ने 3.5 लाख करोड़ रुपए का बजट तय किया है।
भारत सरकार की कोशिश है कि देश के पश्चिमी तटों बंदरगाहों से रेलवे से कनेक्ट कर दिया जाय, जिससे कनेक्टिविटी आसान हो जाए। सरकार की योजना है कि रेलवे के जरिए देश के किसी भी कोने से 36 घंटे के अंदर माल को पश्चिमी बंदरगाहों तक आसानी से पहुंचाया जा सके। इस योजना के मुख्य खिलाड़ी भारत, सउदी अरब और अमेरिका बताए जा रहे हैं। इन देशों ने परियोजना पर काम भी शुरू कर दिया है। इसी के तहत भारत सरकार ने परियोजना में तेजी दिखाई है।
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पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की सराहना का थी। इसके महत्व को स्वीकारते हुए उन्होंने कहा था कि ये प्रोजेक्ट उनके लिए बहुत ही अहम है। बाइडेन ने कहा था, “मिडिल ईस्ट के लिए बेहतर भविष्य को तैयार करने के लिए वो अपने सहयोगियों के साथ प्रतिबद्ध हैं। इस कॉरिडोर के बनने से रोजरागर पैदा होंगे और खर्चे में कमी आएगी। कनेक्टिविटी बढ़ने से युद्ध की संभावनाएं भी कम होंगी।”
क्या होगा कॉरिडोर का रूट
गौरतलब है कि इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत व्यापारियों का माल ट्रेनों के जरिए भारत के पश्चिमी बंदरगाहों पर पहुंचेगा और वहां से ये जहाजों के जरिए यूएई के फुजैरा पहुंचाया जाएगा। फुजैरा से इसे इजरायल के हाइफा पोर्ट तक ट्रेन के जरिए लाया जाएगा। हाइफा से इसे इटली के रास्ते यूरोप के अन्य देशों तक पहुंचाया जाएगा।
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उल्लेखनीय है कि इसी साल सितंबर में जी-20 की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का प्रस्ताव रखा था। पीएम मोदी के इस प्रस्ताव का सभी देशों ने समर्थन किया था।
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