‘तकनीक पोस्टल केंद्रित’ सत्र में आर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने केंद्रीय संचार राज्यमंत्री देवुसिंह चौहान से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश-
आज गांव में मोबाइल सिग्नल की क्या स्थिति है?
आज भारत के 6.40 लाख गांव में से 2 लाख गांवों में मोबाइल, इंटरनेट संपर्क 96 प्रतिशत है। कुछ गांवों में अभी भी 4जी संपर्क नहीं है, जिसके लिए हम प्रयासरत हैं। देश में लगभग एक वर्ष पहले 5जी लॉन्च हुआ और हमने 6.40 लाख वीटीएस भी लगा दिए, जो एक रिकॉर्ड है। आज देश के हर जिले में 5जी है।
टेलीकॉम क्षेत्र में हम अपनी तकनीक विकसित कर रहे हैं या दूसरों पर ही निर्भर हैं?
प्रधानमंत्री जी ने 2019 में आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत की थी। संचार विभाग पहले 40,000 लाख रुपये का आयात करता था। लेकिन अब हमने स्वदेशी 4जी और 5जी तकनीक विकसित कर ली। सभी के पास 2030 तक जो 6जी कनेक्टिविटी होगी, वह भी स्वदेशी होगी। इसके लिए हमने पीपीपी मॉडल में वृद्धि की। 2021 तक अंतरिक्ष तकनीक में 25 संस्थान कार्यरत थे, जो अब 70 हैं। इसीलिए भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना है।
सुकन्या समृद्धि योजना, महिला सम्मान-पत्र योजना के तहत खाता खोलने पर सबसे अधिक ब्याज दिया जाता है। हाल ही हमने असंठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है। इस पोर्टल पर लगभग 28 करोड़ श्रमिक पंजीकृत हैं। इन्हें मात्र 279 रुपये में 4 लाख रुपये और 499 में 10 लाख रुपये का बीमा दिया जाता है। श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा ऋण भी देते हैं।
साइबर सुरक्षा के लिए आपका मंत्रालय क्या कर रहा है?
2018 में राष्टीय डिजिटल संचार नीति बनने के बाद बहुत काम हुए हैं। मोबाइल चोरी होने पर पुलिस में शिकायत करने के साथ ‘संचार साथी’ एप पर मोबाइल नंबर डालें। यह एप मोबाइल ढूंढ़कर देता है। अभी तक हमें 2.5 लाख करोड़ शिकायतें मिली हैं, जिनमें 75,000 चोरी हुए मोबाइल ढूंढ़कर उपभोक्ता को वापस किया है। सिम की पहचान के लिए भी एक एप है। अब देश में कोई भी व्यक्ति 5 से अधिक सिम लेगा तो हमें पता चल जाएगा। इसी तरह, साइबर सुरक्षा की दिशा में भी काफी काम हुए हैं। कर्मयोगी पोर्टल पर हमने 4.5 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया है। लोग भी सचेत रहें, जांच परख कर ही एप डाउनलोड करें और लेन-देन में सावधानी बरतें।
डाक विभाग तकनीक के साथ तालमेल कैसे कर रहा है?
देखिए, भारत में हमारा जितना नेटवर्क है, उतना किसी का नहीं है। देश में 1.60 लाख डाकघर हैं, जिनमें 1.35 लाख गांवों में हैं। इसके अलावा, हमने अमेजन सहित कई कंपनियों और देश के ट्रेडर्स एसोसिएशन के साथ समझौता किया है। इस एसोसिएशन में 40,000 ट्रेडर्स हैं, जिनके 8 करोड़ ग्राहक हैं। ग्रामीण डाक सेवक इनके उत्पाद को उपभोक्ताओं तक पहुंचाएंगे। भारत सरकार रोजगार मेला चला रही है। 9 रोजगार मेलों में डाक विभाग ने 72,000 ग्रामीण डाक सेवकों की भर्ती की है। पहले इसी काम के लिए लोगों को पैसा देना पड़ता था। आज उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है।
डाक या संचार विभाग में महिलाओं के लिए कोई योजना है?
महिलाओं के लिए जो काम बैंकों को करना चाहिए था, वह डाक विभाग ने किया है। हर डाकघर बैंक की भूमिका निभा रहा है। सुकन्या समृद्धि योजना, महिला सम्मान-पत्र योजना के तहत खाता खोलने पर सबसे अधिक ब्याज दिया जाता है। हाल ही हमने असंठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है। इस पोर्टल पर लगभग 28 करोड़ श्रमिक पंजीकृत हैं। इन्हें मात्र 279 रुपये में 4 लाख रुपये और 499 में 10 लाख रुपये का बीमा दिया जाता है। श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा ऋण भी देते हैं। बीमारी के कारण कोई श्रमिक अस्पताल में भर्ती है, तो उसे 10 दिन तक रोजाना 1,000 रुपये देते हैं।
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