केरल की पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार राज्य में इस्लामिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक माइक्रोसाइट लॉन्च करने जा रही है। केरल के पर्यटन मंत्रालय की ओर से इस्लाम को ग्लोरिफाई करने वाला डिजिटल प्रोडक्शन तैयार किया जाएगा। इसके लिए 93.8 लाख रुपए की धमराशि भी स्वीकृत की गई है।
राज्य पर्यटन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, 7वीं शताब्दी से केरल में इस्लाम का समृद्ध इतिहास, संस्कृति और परंपरा का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। डिजिटल प्रोडक्शन केरल में इस्लाम के शुरुआती वर्षों, मस्जिदों, वास्तुकला, जीवनशैली, संस्कृति, कला रूपों और त्योहारों पर प्रकाश डाला जाएगा। इसके जरिए 6 अध्यायों में अंतरारष्ट्रीय और घरेलू लोगों के समक्ष इस्लाम की गाथा को पेश किया जाएगा।
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अधिकारी ने कहा कि इस्लाम ने केरल को आकार देने में अहम रोल प्ले किया है। इसके तहत इस्लाम की जानकारी को एक छत के नीचे लाने की जरूरत है। इससे पर्यटकों को मदद मिलेगी और यह धार्मिक विद्वानों, इतिहासकारों, छात्रों और तीर्थयात्रियों को केरल लाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।”
इसके पहले पहले अध्याय, ‘केरल में इस्लाम के इतिहास’ के बारे में बताया जाएगा। जिसमें, इस बात का विवरण होगा कि कैसे व्यापारियों के जरिए इस्लाम ने केरल में जड़ें जमाईं और मालाबार तट पर उनकी पहली बसावट हुई। दूसरे चैप्टर में केरल में तिरुवनंतपुरम के बीमापल्ली से लेकर कासरगोड में जुमा मस्जिद तक के इस्लामी तीर्थस्थलों पर होगा। सेकंड पैप्टर में केरल में स्थित प्राचीन मस्जिदों में कोडुंगल्लूर में चेरामन जुमा मस्जिद, मलप्पुरम में जामा-एट मस्जिद, कोझिकोड में मिशकाल मस्जिद, थालास्सेरी में ओडाथिल पल्ली, तिरुवनंतपुरम में पलायम मस्जिद, पोन्नानी जुमा मस्जिद, कोंडोटी और वावर में पझायंगडी मस्जिद, एरुमेली में मस्जिदों को दिखाया जाएगा।
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व्यंजन और खाद्य संस्कृति
तीसरे अध्याय में मुसलमानों के खाना बनाने की कला के बारे में बताया जाएगा। इसके तहत मप्पिला व्यंजन, जो पारंपरिक केरल, फ़ारसी, यमनी और अरब खाद्य संस्कृतियों को शामिल किया गया है। वास्तुकला के अध्याय में केरल में स्वदेशी निर्माण तकनीकों के साथ अरबी परंपरा के मिश्रण का विवरण होगा। अंतिम अध्याय केरल में मुसलमानों के कला रूपों और त्योहारों से संबंधित होगा, जिसमें 16 वीं शताब्दी में उभरी एक लोकप्रिय लोककथा मप्पिला गीतों का प्रभाव भी शामिल है। इससे पहले केरल पर्यटन ने ईसाई धर्म, यहूदी धर्म और केरल के मंदिरों पर इसी तरह की माइक्रोसाइट बनाई थी।
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