आस्था : देवी का वह मंदिर, जहां पूजा करने से आंखों की बीमारी से मिलती है निजात!

Published by
Manish Chauhan

भारत में ऐसे अनेक मंदिर हैं, जो अपने रहस्यों, चमत्कारों और मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं। इन धार्मिक स्थलों के प्रति भक्तों में गहरी आस्था भी है। आज आपको ऐसे ही एक देवी मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो मध्यप्रदेश के रीवा जिले स्थित जतरी गांव में है। यह मंदिर सोनमती माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से आंखों से संबंधित बीमारियां ठीक हो जाती हैं। इसके अलावा भक्तों का यह भी कहना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। इस वजह से मंदिर में सालभर भक्तों का आना जाना लगा रहता है। नवरात्रि में यह क्रम और बढ़ जाता है।

भक्त ऐसे लगाते हैं हाजिरी
मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोगों ने बताया कि अगर कोई आंखों की बीमारी से परेशान है तो यहां आकर मातारानी को प्रतीक स्वरूप किसी भी धातु की आंख अर्पित करने की मन्नत मान दे तो निश्चित ही उसके आंख की बीमारी ठीक हो जाती है। अगर किसी भक्त के पास धातु की आंख चढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं तो वह मिट्टी की भी आंख चढ़ा सकता है। ग्रामीणों का दावा है कि बड़ी संख्या में आंखों की बीमारी से ग्रसित लोगों को लाभ मिला है। इसलिए दूर-दूर तक मां सोनमती के प्रति लोगों में आस्था है।

हर मन्नत पूरी होने का दावा
मां सोनमती के भक्तों और स्थानीय लोगों का दावा है कि मां के दर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। आंखों की बीमारी ठीक होने के अलावा सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी होती है। कई भक्त मंदिर में नारियल बांधकर चले जाते हैं और जब मुराद पूरी होती है तो वापस आकर मां को नारियल अर्पित कर देते हैं। अगर आपके पास नारियल नहीं है तो आप बस एक लोटा जल ही मां के चरणों में चढ़ा दें, मां आपकी मन्नत पूरी करेंगी।

कई सौ साल पुरानी है प्रतिमा
मंदिर में स्थापित सोनमती माता की प्रतिमा कई सौ साल पुरानी बताई जाती है। इसकी स्थापना कब और किसके द्वारा की गई। इसकी कोई सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है। स्थानीय बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया था कि वर्षो पहले कुछ लोगों को यह प्रतिमा जरिया पहाड़ में मिली थी। जिसे वह लेकर जा रहे थे, रास्ते में यहां सुसताने के लिए प्रतिमा को एक पेड़ के नीचे रख दिया और वहीं लेट गए। थोड़ी देर में उन्हें नींद आ गई। तब मां ने उन्हें सपने में बताया कि वह यहीं पर रहेंगी। नींद से उठने के बाद उन लोगों ने प्रतिमा को उठाकर ले जाने की कोशिश की, लेकिन प्रतिमा नहीं उठी। अंत में वह प्रतिमा को यहीं छोड़कर चले गए। वर्तमान में उस स्थान पर माता का बड़ा मंदिर बन चुका है।

सोने से पत्थर की हो गई प्रतिमा!
किवदंती यह भी है कि मां सोनमती की प्रतिमा पहले सोने की थी। एक बार डाकू मंदिर में घुसे और सोने की प्रतिमा को ले जाने लगे। किसी तरह से प्रतिमा को मंदिर के द्वार तक ले गए। उसके बाद प्रतिमा में इतना वजन हो गया कि उनसे उठी ही नहीं, परेशान होकर डाकुओं ने प्रतिमा को वहीं कुएं में फेंक दिया और चले गए। उसके बाद माता ने ग्रामीणों को सपने में घटना की जानकारी दी। जब ग्रामीणों ने कुएं में प्रतिमा की तलाश की तो उन्हें वही प्रतिमा पत्थर की मिली। हालांकि यह पूर्णत: अनुश्रुति है। इसका कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है।

Share
Leave a Comment