लड़कियां अपनी देह की गरिमा बनाए रखें : कलकत्ता उच्च न्यायालय
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

लड़कियां अपनी देह की गरिमा बनाए रखें : कलकत्ता उच्च न्यायालय

न्यायालय ने अभिभावकों के लिए भी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अभिभावकों का उत्तरदायित्व है कि वह विशेषकर लड़कियों को गुड टच और बैड टच के साथ यह भी समझाएं कि कम उम्र में यौन सम्बन्ध न ही कानूनी रूप से सम्मत है और न ही उनके स्वास्थ्य के लिए ही उचित है।

by सोनाली मिश्रा
Oct 22, 2023, 02:34 pm IST
in भारत, मत अभिमत
कलकत्ता हाई कोर्ट

कलकत्ता हाई कोर्ट

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पॉक्सो के मामले में 18 अक्टूबर 2023 के अपने एक निर्णय में टिप्पणी करते हुए कहा कि लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। यह बहुत ही चौंकाने वाली टिप्पणी इस दृष्टि से कही जा सकती है क्योंकि भारत में एक बहुत बड़ा वर्ग है जो लगातार इस बात पर बल देता आ रहा है कि लड़कियों को देह की परम्परागत कोई सीमा नहीं माननी चाहिए क्योंकि यह एक बंधन है। और कथित आजादी और देह की आजादी को लेकर जो विमर्श गढ़ा गया है, वह हमारी किशोर पीढी को निरंतर उस कुएं में धकेल रहा है, जहां पर फिसलन और गिरावट के अतिरिक्त कुछ और नहीं है। यौन शिक्षा के नाम पर किशोरियों को एक ऐसे विमर्श का हिस्सा बनाया जा रहा है जहां पर उनके लिए अंधकार है और यह नैतिकता का प्रश्न नहीं बल्कि उनके अपने स्वास्थ्य का प्रश्न है।

क्या उस आयु में यौन सम्बन्ध स्वीकृत होने चाहिए जिस उम्र में उनके अंग ही इसके लिए तैयार नहीं हैं? क्या यह जो कथित देह की आजादी का नारा लगाया जाता है, उसमें बच्चों के स्वास्थ्य हित सम्मिलित हैं? क्योंकि देह के सम्बन्ध केवल देह के ही नहीं होते, बल्कि वह मन से भी जुड़े होते हैं। आए दिन ऐसे बच्चों के मामले सामने आते हैं, जो ब्रेकअप के चलते टूट जाते हैं। मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं और फिर नशे आदि की गिरफ्त में आ जाते हैं।

सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि यदि स्वास्थ्य के आधर पर इस कथित देह की हानिकारक आजादी का विरोध किया जाता है तो इसे नैतिक पोलिसिंग अर्थात मोरल पोलिसिंग आदि बातें कहकर एक दूसरा रूप दिया जाता है जबकि यह बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्या है और दूसरी जो सबसे बड़ी समस्या है वह यह कि 18 वर्ष से कम उम्र के लड़कों को यह भी नहीं पता होता है कि वह ऐसा करके कानून के शिकंजे में फंस सकते हैं। वे पॉक्सो अधिनियम के दायरे में आ सकते हैं, जिसे लेकर अभी हाल ही में कई चर्चाएँ भी हुई थीं, कि परस्पर सहमति से सेक्स की उम्र कम कर दी जाए! दरअसल, यह मामला इसी अधिनियम अर्थात यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों को यह पता नहीं होता है कि यह कानूनन अपराध है।

न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि देह में यौन उत्तेजना से सम्बंधित ग्रंथि जब सक्रिय होती है तो यौन इच्छा जागृत होती है, परन्तु उसके बाद उन्होंने जो कहा वह बहुत महत्वपूर्ण है। न्यायालय ने यह कहा कि संबंधित जिम्मेदार ग्रंथि अपने आप सक्रिय नहीं होती है क्योंकि इसे हमारी दृष्टि, श्रवण, कामुक सामग्री पढ़ने और विपरीत लिंग के साथ बातचीत से उत्तेजना की आवश्यकता होती है।

अत: पीठ का कहना था कि यौन आग्रह हमारी अपनी ही गतिविधियों के माध्यम से उत्पन्न होता है। यहीं पर फिल्मों और मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। यौन रूप से उत्तेजित करने वाले विज्ञापनों से लेकर कई प्रकार की अश्लील एवं उत्तेजक सामग्री बहुत ही आसानी से इन्टरनेट पर उपलब्ध हैं और उसे बच्चे भी एक्सेस कर लेते हैं। यही बात जब अभिभावक या समाज समझाने का प्रयास करता है कि एक उम्र के उपरान्त ही कुछ विशेष प्रकार का साहित्य आदि पढ़ना चाहिए तो उन्हें पिछड़ा कहकर अपमानित किया जाता है, मगर तब भी अभिभावकों की मुख्य चिंता उनके बच्चों का स्वास्थ्य, कैरियर, मानसिक स्वास्थ्य और कानूनी सुरक्षा ही होती है। कोलकता उच्च न्यायालय ने किशोरियों को सुझाव देते हुए कहा कि यह प्रत्येक महिला/किशोरी का कर्त्तव्य और दायित्व है कि वह

  • वे अपने शरीर की पवित्रता की रक्षा करें
  • अपनी गरिमा और आत्म-सम्मान की रक्षा करें
  • लैंगिक बाधाओं को पार कर अपने अस्तित्व के समग्र विकास के लिए प्रयास करें
  • यौन आग्रह/आवेगों पर नियंत्रण रखें, क्योंकि समाज की दृष्टि में वह तब विफल हो जाती हैं जब मात्र दो मिनट के यौन सुख का आनंद लेने के लिए वह सहज ही तैयार हो जाती है
  • अपने शरीर की स्वतंत्रता और उसकी निजता के अधिकार की रक्षा करें

वहीं न्यायालय ने किशोरों के लिए भी कहा कि वह किसी भी लड़की के उक्त दायित्वों का आदर करें और अपने दिमाग को इस प्रकार प्रशिक्षित करें कि वह एक महिला का आदर करे, उसके आत्मसम्मान का आदर करे, उसकी गरिमा का आदर करे और उसकी देह की स्वायत्ता का आदर करे!

न्यायालय ने अभिभावकों के लिए भी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अभिभावकों का उत्तरदायित्व है कि वह विशेषकर लड़कियों को गुड टच और बैड टच के साथ यह भी समझाएं कि कम उम्र में यौन सम्बन्ध न ही कानूनी रूप से सम्मत है और न ही उनके स्वास्थ्य के लिए ही उचित है। वह लड़कों को समझाएं कि कैसे एक महिला की देह का आदर करना है और कैसे एक महिला के साथ बिना यौन आग्रह के स्वस्थ मित्रता करनी है।

इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि यौन सम्बन्ध तब दो लोगों के बीच अपने आप आएँगे जब वह स्वयं सक्षम होंगे, आत्मनिर्भर होंगे और वह व्यक्ति बन जाएंगे जैसा होने का सपना देखते हैं! अर्थात न्यायालय ने वही बातें अपने इस निर्णय में कही हैं, जो एक आम भारतीय अभिभावक कहता है और जिसे कहने पर उसे देह की आजादी का झंडा उठाने वालों से पिछड़े होने का तमगा मिलता है!

न्यायालय ने यह भी कहा कि किशोरों को विपरीत सेक्स का साथ पसंद होना स्वाभाविक होता है, मगर बिना किसी वादे और प्रतिबद्धता के यौन सम्बन्ध बनाना सामान्य नहीं है।
यह सारी बहस ‘प्रोभात पुरकैत बनाम पश्चिम बंगाल राज्य’ मामले में न्यायमूर्ति चित्त रंजन दाश और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन की खंडपीठ में हुई, जिसमें एक युवक को रिहा कर दिया गया, जिस पर यह आरोप था कि उसने अपनी नाबालिग रोमांटिक साथी के साथ बलात्कार किया था!

Topics: स्वास्थ्यकलकत्ता उच्च न्यायालयपॉक्सो
Share12TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता: ‘कैश फॉर जॉब्स’ घोटाले में अयोग्य उम्मीदवारों को फिर से भर्ती, HC ने लगाई कड़ी फटकार

प्रतीकात्मक तस्वीर

राष्ट्र प्रथम: प्रचार से दूर, नियमित 90 हजार सेवा कार्य कर रहा संघ

dr muhammad yunus

बांग्लादेश पुस्तक मेले में फिर इस्लामी कट्टरपंथियों का बवाल : महिलाओं के मासिक स्वास्थ्य स्टॉल पर किया हमला

उत्तराखंड : पतंजलि के 30वें स्थापना दिवस पर स्वामी रामदेव ने की पञ्च क्रांतियों की घोषणा

स्वयंसेवकों को संबोधित करते श्री मोहनराव भागवत

‘जाति, पंथ से ऊपर उठें हिंदू’

भारत ने खतरनाक बीमारी ‘ट्रेकोमा’ का किया खात्मा, WHO ने सौंपा प्रमाण पत्र

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वाले 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies