पटना सहित बिहार के अन्य स्थानों पर दुर्गा पूजा धूमधाम से हो रही है। पटना में बने पूजा पंडालों को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आ रहे हैं।
पूरे बिहार में दुर्गा पूजा अपने चरम पर है। आज सप्तमी को मंदिरों और पूजा पंडालों के पट्ट खुल गए हैं। इसके साथ ही भक्तों की भीड़ पूजा पंडालों पर उमड़ पड़ी है। पटना के पंडाल सबको आकर्षित करते हैं। शहर के सारे पूजा पंडाल किसी न किसी थीम पर बनाए गए हैं। इन पंडालों में भारतीय एकात्मता की झलक दिखती है। कहीं वृंदावन का प्रेम मंदिर, तो कहीं पटना वीमेंस कॉलेज के स्वरूप का पंडाल बनाया गया है। सबसे भव्य नजारा बोरिंग रोड, डाकबंगला चौराहा, एस. के. पुरी और खाजपुरा में बने पंडालों में दिख रहा है। पूरे बिहार में सबसे अधिक चंद्रयाननुमा पंडाल बनाए गए हैं।
पटना के डाकबंगला चौराहे पर है सरस्वती मंदिर
डाकबंगला चौराहे पर इस साल राजस्थान के सरस्वती मंदिर जैसा पंडाल बनाया गया है। इस बार यहां का पंडाल रंगीन फाइबर से बनाया गया है। इस पंडाल की ऊंचाई लगभग 95 फीट है। पूजा समिति के अध्यक्ष संजीव प्रसाद टोनी ने बताया कि इसे बनाने के लिए बंगाल से भारतेंदु भुइयां की टीम को बुलाया गया है। इस बार पंडाल का बजट 60 लाख रु है। मूर्ति बनाने के लिए इस बार भी यहां वीरभूम के मूर्तिकार जगन्नाथ पाल, जो 25 साल से यहां मूर्ति बना रहे हैं, को ‘बुलाया गया है। इस बार यहां ग्रीन लाइट, रनिंग लाइट थीम पर रोशनी की व्यवस्था की गई है।
बोरिंग रोड चौराहे पर प्रेम मंदिर
पटना के बोरिंग रोड चौराहे पर पूजा समिति की ओर से वृंदावन के मशहूर प्रेम मंदिर की आकृति बनाई जा रही है। यहां 1983 से पूजा की जाती रही है। पंडाल की ऊंचाई 65 फीट, जबकि चौड़ाई 50 फीट है। पिछले साल इस पंडाल की ऊंचाई 60 फीट थी, जबकि चौड़ाई 50 फीट थी।
बोरिंग रोड दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष उमेश सिंह ने बताया कि यहां हर साल आकर्षक पंडाल बनाया जाता है। इस बार पूजा भव्य तरीके से करने की योजना है। इस साल पंडाल की लागत लगभग 10 लाख रु है। पिछले साल झारखंड से कारीगरों को बुलाया गया था। बजट ज्यादा होने से इस बार कारीगर पश्चिम बंगाल के वर्धमान और मधुपुर जिले से बुलाए गए हैं। मूर्ति बनाने के लिए भी यहीं से कारीगरों को बुलाया गया है। पंडाल के आसपास लगभग एक किलोमीटर तक रोशनी की व्यवस्था रहेगी। अलग-अलग दिशा में 5 द्वार का निर्माण कराया जा रहा है।
एस के पुरी में पंडाल
एस के पुरी के श्रीकृष्णा अपार्टमेंट के सामने इस बार पटना वीमेंस कॉलेज की तरह पूजा पंडाल का निर्माण किया जा रहा है। पंडाल के अंदर मां दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। एस के पुरी पूजा पंडाल की ऊंचाई 60 फीट और चौड़ाई 30 फीट होगी। इस साल पंडाल निर्माण का काम पटना के अनिल कुमार के जिम्मे है।
इस साल मूर्तियों के निर्माण का कार्य बिहार के कारीगर कर रहे हैं। पूजा का बजट करीब 10 लाख रुपए अनुमानित है। इस पूजा समिति द्वारा बीते 20 वर्ष से इस्कॉन मंदिर, गोलघर, सभ्यता द्वार, संग्रहालय, हरमंदिर साहिब की तरह पंडाल के निर्माण कराए गए हैं। यहां पाल कला शैली में माता की प्रतिमा बन रही है। प्रतिमा की ऊंचाई 12 फीट होगी। यहां की प्रतिमा निर्माण कार्य कुर्जी के मूर्तिकार संजय कुमार के जिम्मे है।
खाजपुरा पंडाल में दतिया पैलेस
खाजपुरा में शिव मंदिर दुर्गा पूजा समिति की तरफ से इस साल मध्यप्रदेश के दतिया पैलेस के स्वरूप का पंडाल देखने को मिलेगा। शहर के राजा बाजार स्थित खाजपुरा शिव मंदिर दुर्गा पूजा समिति की ओर से इस बार पंडाल की तैयारी विशेष रूप से की जा रही है। इस बार पंडाल का बजट 20 लाख रु रखा गया है। पंडाल बनाने की जिम्मेदारी कलकता के कारीगरों को दिया गया है। जबकि मूर्ति बनाने का काम दानापुर के ही कारीगरों को दिया गया है। इस बार यहां 14 फीट की प्रतिमा बनाई जा रही है। वहीं रोशनी पर इस साल सात लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
चंद्रयान-3 और बुर्ज खलीफा की भी झलक
कंकड़बाग में चंद्रयान 3 की थीम पर पंडाल बनाया जा रहा है। चंद्रयान 3 में मां दुर्गा विराजमान होंगी। वहीं पटना के अशोक राज पर टेढ़ी घाट में बुर्ज खलीफा थीम पर मां दुर्गा का 80 फीट ऊंचा पंडाल तैयार करवाया जा रहा है।
बिहार में दुर्गा पूजा की लंबी परंपरा है। 1912 के पहले बिहार बंगाल का ही हिस्सा था। ऐसा कहा जाता है कि पटना में दुर्गा पूजा का प्रारंभ एक बंगाली परिवार द्वारा प्लासी युद्ध के बाद मारूफगंज में करवाया गया था।
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